उत्तरकाशी के सिल्क्यारा में चल रहे बचाव कार्यों के द्वारा सरकार श्रमिकों का जीवन बचाने की अपनी दृढ़ प्रतिबद्धता को जारी रखते हुए सक्रिय रूप से लगी हुई है। निर्माणाधीन सुरंग में 41 श्रमिक फंसे हुए हैं।
बचाव अभियान का केंद्र बिंदु इस समय सुरंग का 2 किमी का खंड है, जिसका कंक्रीट का काम पूरा हो चुका है, और जो श्रमिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए महत्वपूर्ण है। सुरंग के इस सुरक्षित हिस्से में, जहां श्रमिक हैं, बिजली और पानी की आपूर्ति चालू है, और खाना तथा दवाओं सहित आवश्यक वस्तुएं एक 4-इंच के कंप्रेसर पाइपलाइन के माध्यम से पहुंचाए जा रहे हैं।
श्रमिकों को सुरक्षित निकालने के लिए हर आवश्यक उपाय सुनिश्चित करते हुए विभिन्न सरकारी एजेंसियों को तैनात किया गया है, जिनमें से हर एक को उनकी दक्षता और विशेषज्ञता के अनुसार कार्य सौंपे गए हैं। फंसे हुए श्रमिकों का मनोबल बढ़ाए रखने के लिए सरकार लगातार उनसे संपर्क बनाए रख रही है।
सिल्कयारा से बरकोट के बीच निर्माणाधीन सुरंग में 12 नवंबर 2023 को सिल्कयारा की तरफ सुरंग के 60 मीटर हिस्से में मलबा गिरने से सुरंग ढह गई थी जिसके चलते 41 श्रमिक फंस गए थे। फंसे हुए सभी 41 मजदूरों को बचाने के लिए राज्य और केंद्र सरकारों द्वारा तत्काल आवश्यक उपाय किए गए और जरूरी संसाधन जुटाए गए।
बचाव अभियान के शुरुआती चरण में मलबे के बीच से 900 मिमी की पाइप पहुंचाई गई और सुरक्षा से जुड़ी चिंताओं के कारण एक साथ कई बचाव विकल्पों का पता लगाया गया। निर्माण से जुड़े कर्मी जहां पर फंसे हुए हैं उसकी ऊंचाई 8.5 मीटर और लंबाई 2 किलोमीटर है, जो निर्माणाधीन सुरंग का हिस्सा है। जगह की पर्याप्तता के चलते बिजली और पानी की आपूर्ति करने में आसानी हुई है और मजदूरों को सुरक्षा प्रदान करने में मदद मिली है।
पांच एजेंसियों-ONGC, SJVNL, RVNL, NHIDCL और THDCL को उनकी अपनी-अपनी विशेषज्ञता के अनुसार जिम्मेदारियां सौंपी गई हैं, जो परिचालन दक्षता के लिए सामयिक कार्य समायोजन के साथ मिलकर काम कर रही हैं।
नोट: बचाव के लिए तय की गई समय-सीमा में संभावित तकनीकी खामियों, चुनौतीपूर्ण हिमालयी क्षेत्र और अप्रत्याशित आपात स्थितियों के कारण परिवर्तन हो सकता है।