भारत की अध्यक्षता के अंतर्गत जी-20 के विदेशमंत्रियों की औपचारिक बैठक आज नई दिल्ली के राष्ट्रपति भवन सांस्कृतिक केंद्र में शुरू हुई। बैठक की शुरूआत में विदेश मंत्री डॉ. सुब्रह्मण्यम जयशंकर ने कोविड महामारी, कमजोर आपूर्ति श्रृंखला, चल रहे संघर्ष, ऋण संकट और जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों के लिए साझा मंच तलाशने की आवश्यकता की बात कही। उन्होंने कहा कि इन वैश्विक संकट को लेकर विचारों की भिन्नता से संबंधित कुछ मामले हैं। लेकिन आपसी सहमति से सदस्य देश मार्गदर्शन करेंगे क्योंकि विश्व हमसे ऐसी ही आशा कर रहा है। डॉ. सुब्रह्मण्यम जयशंकर ने संयुक्त राष्ट्र में सुधार करने की आवश्यकता की बात कही। उन्होंने कहा कि वर्तमान वैश्विक व्यवस्था अपने आठवें दशक में है। इस दौरान संयुक्त राष्ट्र के सदस्यों की संख्या चार गुना हो चुकी है। उन्होंने कहा कि संयुक्त राष्ट्र वर्तमान राजनीति, आर्थिक स्थिति या आकांक्षाओं को प्रतिबिंबित नही करता है। उन्होंने कहा कि वैश्विक निर्णय को लोकतांत्रिक बनाया जाना चाहिए। जी-20 के विदेशमंत्रियों की चर्चाओं के एजेंडे को लेकर डॉ. जयशंकर ने कहा कि इसमें खाद्य, उर्वरक और ईंधन सुरक्षा की चुनौती शामिल है। उन्होंने कहा कि ये मुद्दे विकासशील देशों के लिए महत्वपूर्ण है। इन मुद्दों को अंतर्राष्ट्रीय व्यवस्था के दायरे से अलग नहीं रखा जाना चाहिए। वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिए इन मुद्दों को निर्णायक बताते हुए उन्होंने कहा कि ये मुद्दे किसी भी फैसले के केंद्र में होने चाहिए। डॉ. जयशंकर ने कहा कि विश्व को अधिक विश्वसनीय और लचीली आपूर्ति श्रृंखला के लिए भी प्रयास करने चाहिए। वैश्विक समाधान में देश की भूमिका का ज़िक्र करते हुए उन्होंने कहा कि 78 देशों में भारत की विकास परियोजनाएं चल रही हैं। भारत परियोजनाओं के आदान-प्रदान और क्षमतावर्धन को प्रोत्साहित करता है। उन्होंने कहा कि कोविड महामारी का वैश्विक समाधान तलाशने में भारत ने एक सजग प्रयास किया।
डॉ. एस. जयशंकर ने कहा कि जी-20 के सभी सदस्य देश अंतर्राष्ट्रीय विकास और इसकी समृद्धि में योगदान देने के लिए प्रतिबद्ध हैं। उन्होंने कहा कि इसका कार्यान्वयन सतत साझेदारी और सद्भावना पहल के जरिए हो रहा है। डॉ. जयशंकर ने कहा कि जी-20 देशों को अपने सभी साझेदारों की आर्थिक चिंताओं और प्राथमिकताओं को लेकर संवेदनशील बनना चाहिए। उन्होंने कहा कि इस प्रकार के सहयोग के लिए संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान आवश्यक मार्गदर्शक सिद्धांत है। सबसे पहले गणमान्य अतिथियों ने तुर्किए और सीरिया के विनाशकारी भूकंप में जान गंवाने वाले लोगों की याद में एक मिनट का मौन रखा। विदेशमंत्री डॉ. सुब्रह्मण्यम जयशंकर जी-20 विदेशमंत्रियों की बैठक के पहले सत्र की अध्यक्षता कर रहे हैं। बहुपक्षवाद, खाद्य तथा ऊर्जा सुरक्षा और विकास सहयोग से संबंधित चुनौतियों पर चर्चा जारी है। दूसरे सत्र में आतंकवाद और मादक पदार्थों से निपटने, वैश्विक कौशल का खाका तैयार करने और वैश्विक प्रतिभा पूल सहित नए तथा उभरते खतरों पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा।