ब्रिक्स देशों ने संयुक्त राष्ट्र प्रावधानों के अंतर्गत अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद पर व्यापक संधि को अंतिम रूप देने और अपनाने का आह्वान किया

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 14वें ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में भारत का नेतृत्व किया। चीन के राष्ट्रपति षी जिनपिंग की अध्यक्षता में यह बैठक वर्चुअल माध्यम से बुलाई गई थी। दो दिन का शिखर सम्मेलन कल पेइचिंग घोषणा के साथ सम्पन्न हुआ।

घोषणापत्र में कहा गया है कि ब्रिक्स देश रूस और यूक्रेन के बीच बातचीत का समर्थन करते हैं। सदस्य देशों ने यूक्रेन में मानवीय संकट पर विचार-विमर्श किया और मानवीय सहायता उपलब्ध कराने के प्रयासों में संयुक्त राष्ट्र, संयुक्त राष्ट्र एजेंसियों और रेड क्रॉस के प्रयासों का समर्थन किया।

ब्रिक्स घोषणापत्र में कहा गया है कि आतंकवाद को किसी भी धर्म, राष्ट्रीयता, सभ्यता या जातीय समूह से जोड़कर नहीं देखा जाना चाहिए। सम्मेलन ने संयुक्त राष्ट्र प्रावधानों के अंतर्गत अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद पर व्यापक संधि को अंतिम रूप दिए जाने का आह्वान किया।

विदेश मंत्रालय ने एक वक्तव्य में कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने अफ्रीका, मध्य एशिया, दक्षिण-पूर्व एशिया और प्रशांत क्षेत्र से लेकर कैरेबियाई क्षेत्र तक भारत की विकास भागीदारी का उल्लेख किया। उन्होंने मुक्त, स्वतंत्र, समावेशी और नियम आधारित समुद्री क्षेत्र के लिये भारत के प्रयासों पर भी बल दिया।

पूर्व राजनयिक अशोक सज्‍जनहार ने कहा कि ब्रिक्‍स घोषणापत्र में लिए गए फैसलों को किस प्रकार लागू किया जाएगा यह महत्‍वपूर्ण हैं।

ब्रिक्स का जो अभी जो समिट हुआ है, बेसिकली इसका कारण यही है जो सभी देशों में एक ट्रस्ट डेफिसिट है क्रेडिबिलिटी की थोड़ी कमी है क्योंकि हम जानते हैं जो चीन ने भारत के ऊपर 2020 से अपने ट्रूप्स को लगा रखा है 50 हजार से ऊपर तो इसके बीच में जब ये हम देखते हैं ज्वाइंट्स स्टेट्समेंट ज्वाइंट्स डिकलरेसंस निकलकर आता है जिसमें हमने आतंकवाद के विरुद्ध कड़े शब्दों में कहा गया है परंतु इसको अब देखना होगा जो किस प्रकार से कार्यान्वित किया जाता है क्योंकि बात एक डेकलरेसन में कही जाए वो अच्छी बात है सभी जो देश हैं एक ही पेज पर हैं परंतु फिर उसको कैसे आगे लागू किया जाए वो सबसे महत्वपूर्ण है और उसको देखना होगा क्योंकि चीन ने अभी भी यूनाइटेड नेशनसंस में ये अब्दुल रहमान मकी के विरुद्ध टैक्नीकल होल्ड लगा दिया 16 जून को, तो कहता चीन कुछ और है और करता कुछ और है तो उसकी विश्वसनीयता में बहुत कमी है। आगे हमें यही देखना होगा कि किस प्रकार से इसे कार्यान्वित किया जाता है।

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