15 सितंबर, 2021 को घोषित दूरसंचार सुधार पैकेज के तहत कुछ दूरसंचार सेवा प्रदाताओं द्वारा सरकार को कुछ देय राशि को इक्विटी में बदलने के संबंध में अपने विकल्पों का प्रयोग करने के मुद्दे पर प्रश्न प्राप्त हुए हैं।
नहीं। किसी टीएसपी के शेयरों के अधिग्रहण को लेकर सरकार कुछ भी भुगतान नहीं कर रही है। 15 सितंबर 2021 को घोषित दूरसंचार सुधार पैकेज के अनुसार कुछ टीएसपी द्वारा कुछ देय राशियों को उनके द्वारा प्रयोग किए गए विकल्पों के आधार पर इन कंपनियों में इक्विटी/वरीयता पूंजी में परिवर्तित किया जा रहा है।
दूरसंचार क्षेत्र लंबे समय से कानूनी झगड़े के दौर से गुजर रहा है। नतीजतन सभी दूरसंचार कंपनियों पर बड़ी मात्रा में देनदारियां हैं जो विभिन्न परम्परागत मुद्दों के कारण उत्पन्न हुई हैं। विरासत में मिले इन मुद्दों ने भारतीय दूरसंचार उद्योग को तनाव में डाल दिया है।
हमारे समाज के लिए विशेष रूप से कोविड के बाद के परिदृश्य में दूरसंचार क्षेत्र महत्वपूर्ण है। इसलिए सरकार ने सितंबर 2021 में कई संरचनात्मक और प्रक्रियात्मक सुधारों को मंजूरी दी।
इन सुधारों के तहत टीएसपी को सरकार के लिए कुछ निश्चित ब्याज देनदारियों को सरकार के पक्ष में इक्विटी/वरीयता शेयरों में बदलने का विकल्प दिया गया था।
जबकि कुछ कंपनियों ने अपनी देनदारियों को इक्विटी/वरीयता शेयरों में परिवर्तित नहीं करने का विकल्प चुना। तीन कंपनियों ने देनदारियों को इक्विटी/ वरीयता शेयरों में परिवर्तित करने के विकल्प का प्रयोग किया है। उन्होंने अपनी देनदारियों के बदले सरकार को इस विकल्प की पेशकश की है।
सरकार इन शेयरों को उचित समय पर बेच सकती है और देय राशि प्राप्त कर सकती है।
नहीं। ये तीनों कंपनियां पीएसयू नहीं बनेंगी। इन तीनों कंपनियों को पेशेवर रूप से संचालित निजी कंपनियों के रूप में देखभाल करना जारी रहेगा।
दूरसंचार उद्योग को स्वस्थ और प्रतिस्पर्धी बने रहने की जरूरत है। महामारी के समय में सरकार के सुधार और सहयोग का मतलब है कि कंपनियां अपने व्यवसाय को बनाए रखने में सक्षम होंगी।
यह उस परिदृश्य को भी रोकेगा जहां बाजार में बहुत कम खिलाड़ी होंगे। प्रतिस्पर्धा की ऐसी संभावित कमी से कीमतें बढ़ेंगी और सेवाएं खराब हो सकती हैं। बाजार में पर्याप्त प्रतिस्पर्धा आम आदमी के हितों की रक्षा करती है।
देनदारियों को इक्विटी/वरीयता शेयरों में बदलने के साथ ही इस क्षेत्र को निवेश करने और बेहतर सेवाएं देने की क्षमता वापस मिल गई है। कंपनियां निवेश करने की क्षमता भी बरकरार रखती हैं, ताकि दूरसंचार सेवाएं दूर दराज क्षेत्रों तक पहुंच सकें।
अतीत में एमटीएनएल और बीएसएनएल व्यवस्थित रूप से कमजोर हो गए थे, क्योंकि उन्हें प्रौद्योगिकी में सुधार की अनुमति नहीं थी। इसका नतीजा यह हुआ कि इन दो सार्वजनिक उपक्रमों ने बाजार में हिस्सेदारी खो दी और लगभग 59,000 करोड़ के कर्ज के बोझ तले दब गए।
सरकार ने इन पीएसयू के अस्तित्व को सुनिश्चित करने के लिए कई कदम उठाए हैं। सरकार ने बीएसएनएल और एमटीएनएल को पुनर्जीवित और विकसित करने के लिए 70,000 करोड़ रुपये के पैकेज की मंजूरी दी है।
सरकारी प्रयासों के परिणामस्वरूप भारतीय 4जी और 5जी तकनीकों का विकास हुआ है। बीएसएनएल 4जी पीओसी के अंतिम चरण में है। सरकार ने 4जी स्पेक्ट्रम हासिल करने के लिए बीएसएनएल को फंड भी आवंटित किया है। इन सभी कदमों ने बीएसएनएल को अत्यधिक प्रतिस्पर्धी स्थिति में जीवित रहने में सक्षम बनाया है। अब बीएसएनएल को 20 लाख से अधिक घरों में हाई स्पीड इंटरनेट सेवाएं प्रदान करने में सरकारी सहायता मदद कर रही है।
अतीत के विपरीत वर्तमान सरकार पारदर्शी रूप से यह सुनिश्चित करने के लिए काम कर रही है कि सस्ती दूरसंचार सेवाएं सबसे गरीब घरों तक पहुंचे।