G20 RIIG के विशेषज्ञों ने सतत ऊर्जा प्रौद्योगिकियों के लिए सहयोग और काम करने के तंत्र पर चर्चा की

रांची में सतत ऊर्जा के लिए सामग्री पर जी20 के अनुसंधान नवाचार पहल समूह (रिसर्च इनोवेशन इनिशिएटिव गैदरिंग – आरआईआईजी) सम्मेलन में पर्यावरण संरक्षण और स्थिरता के लिए कार्बन उत्सर्जन सकल -शून्य (नेट – जीरो) लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए सामूहिक रूप से ऊर्जा चुनौतियों को हल करने के उपायों पर विचार- विमर्श किया।

विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी), भारत सरकार के सचिव और आरआईआईजी के अध्यक्ष डॉ. एस. चंद्रशेखर ने इस अवसर पर कहा कि भारत सहित कई जी20 देशों के पास ऐसी विशाल खनिज और संसाधन संपदा है जिसका हम सभी की ऊर्जा आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए निरंतर उपयोग करने की आवश्यकता है।

भारत की अध्यक्षता के अंतर्गत जी-20 की विषयवस्तु (थीम) – “वसुधैव कुटुम्बकम” अथवा ” एक पृथ्वी, एक परिवार, एक भविष्य ” पर प्रकाश डालते हुए वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान विभाग (डीएसआईआर) की सचिव और वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) की महानिदेशक डॉ. एन. कलैसेल्वी ने कहा कि यह समूचे विश्व को एक साथ आने की उस आवश्यकता को रेखांकित करता है जिसके लिए हम सतत एवं स्थायी ऊर्जा पर ध्यान केंद्रित करें ताकि शुद्ध शून्य उत्सर्जन (नेट जीरो इमीशन) के साथ हमारा एक वैश्विक भविष्य हो सके।

अन्य दो त्रिमूर्ति (ट्रोइका) देशों – इंडोनेशिया और ब्राजील के जी20 प्रतिनिधियों ने जहां एक ओर इस सम्मेलन के महत्व को दोहराया वहीं कई देशों के प्रतिनिधियों ने जी20 देशों से सतत ऊर्जा भंडारण, वितरण और प्रबंधन में अनुसंधान को आगे बढ़ाने एवं तकनीकी समाधान विकसित करने के लिए एक साथ हाथ मिलाने का आह्वान किया।

सम्मेलन में तीन सत्रों के अंतर्गत ‘सतत ऊर्जा के लिए सामग्री’ के विभिन्न पहलुओं – ऊर्जा सामग्री और उपकरणों, सौर ऊर्जा उपयोग और फोटोवोल्टिक प्रौद्योगिकी से संबंधित 21वीं सदी की चुनौतियां और हरित ऊर्जा के लिए सामग्री एवं प्रक्रियाएं पर चर्चा की गई।

16 जी20 सदस्य देशों के कुल 21 विदेशी प्रतिनिधियों, आमंत्रित अतिथि देशों और अंतर्राष्ट्रीय संगठनों ने लगभग 40 भारतीय विशेषज्ञों के साथ इस सम्मेलन में भाग लिया। इस सम्मेलन का समन्वयन वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) , नई दिल्ली द्वारा किया गया था।

रांची, झारखंड में ‘ सतत ऊर्जा के लिए सामग्री ‘ पर इस सम्मेलन के बाद तीन और अनुसंधान नवाचार पहल समूह (रिसर्च इनोवेशन इनिशिएटिव गैदरिंग – आरआईआईजी) कार्यक्रम डिब्रूगढ़ (असम), धर्मशाला (हिमाचल प्रदेश) और केंद्र शासित प्रदेश दीव में क्रमशः ‘ चक्रीय जैव- अर्थ- व्यवस्था (सर्कुलर- बायो इकॉनमी), ‘ ऊर्जा संक्रमण के लिए पर्यावरण-नवाचार’ ‘स्थायी नीली अर्थ व्यवस्था (सस्टेनेबल ब्लू इकोनॉमी) प्राप्त करने की दिश में वैज्ञानिक चुनौतियां और अवसर ‘ विषयों पर आयोजित किए जाएंगे।