नौ करोड़ ग्रामीण घरों तक नल से जल पहुंचाकर जल जीवन मिशन ने अहम पड़ाव प्राप्त किया

वर्ष 2024 तक देश के हर घर तक नल से स्वच्छ जल उपलब्ध कराने के बारे में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की परिकल्पना को साकार करने के लिये, ढाई साल से भी कम अवधि तथा कोविड-19 महामारी और लॉकडाउन की दिक्कतों के बावजूद जल जीवन मिशन ने 5.77 करोड़ से अधिक ग्रामीण घरों तक नल से जल उपलब्ध करा दिया है। परिणामस्वरूप आज देश के नौ करोड़ ग्रामीण घरों को नल से साफ पानी की आपूर्ति का सुख मिल रहा है।

15 अगस्त, 2019 को मिशन की घोषणा होने के वक्त भारत में 19.27 करोड़ घरों में से केवल 3.23 करोड़ (17 प्रतिशत) घरों में ही पानी का कनेक्शन था। ‘सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास और सबका प्रयास’ की प्रधानमंत्री की परिकल्पना सम्बंधी सिद्धांत के तहत छोटी सी अवधि में ही 98 जिले, 1,129 प्रखंड, 66,067 ग्राम पंचायतें और 1,36,135 गांव ‘हर घर जल’ के दायरे में आ चुके हैं। गोवा, हरियाणा, तेलंगाना, अंडमान व निकोबार द्वीपसमूह, पुदुच्चेरी, दादर एवं नगर हवेली और दमन एवं दीव में हर ग्रामीण घर में नल से जलापूर्ति हो रही है। पंजाब (99 प्रतिशत), हिमाचल प्रदेश (92.4 प्रतिशत), गुजरात (92 प्रतिशत) और बिहार (90 प्रतिशत) जैसे कई अन्य राज्य भी 2022 में ‘हर घर जल’ के मुहाने पर पहुंच गये हैं।

पांच वर्षों की अवधि में हर ग्रामीण घर तक नल से जल पहुंचाने के इस भगीरथी कार्य को पूरा करने के लिये 3.60 लाख करोड़ रुपये की धनराशि आवंटित की गई है। केंद्रीय बजट 2022-23 में 3.8 करोड़ घरों तक नल से जल पहुंचाने के लिये ‘हर घर जल’ को 60,000 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है।

उपरोक्त के अलावा, वर्ष 2021-22 में राज्यों को 26,940 करोड़ रुपये आवंटित किये गये, जो ग्रामीण स्थानीय निकायों/पंचायती राज संस्थानों को जल तथा स्वच्छता सम्बंधी अनुदान दिये जाने की 15वें वित्त आयोग की सिफारिशों से जुड़ा है। अगले पांच वर्षों, यानी 2025-26 तक के लिये 1,42,084 करोड़ रुपये के आश्वस्त वित्तपोषण का प्रावधान है। देश के ग्रामीण इलाकों में होने वाले इस भारी निवेश से ग्रामीण अर्थव्यवस्था बढ़ रही है तथा आर्थिक गतिविधियों में तेजी आई है। साथ ही गांवों में रोजगार के अवसर भी बन रहे हैं।

पूर्व के जलापूर्ति कार्यक्रमों से हटकर, जल जीवन मिशन का पूरा ध्यान जल सेवा आपूर्ति पर भी है, न सिर्फ जलापूर्ति अवसंरचना के निर्माण तक। जल जीवन मिशन का मूलमंत्र है ‘कोई पीछे न छूट जाये,’ और इस तरह, वह सामाजिक-आर्थिक पृष्ठभूमि से ऊपर उठकर हर घर को नल से जल की उपलब्धता सुनिश्चित कर रहा है। सदियों से घरों के लिये पानी ढोकर लाने के कठिन श्रम से माताओं और बहनों को मुक्ति दिलाने तथा उनके स्वास्थ्य, शिक्षा और सामाजिक-आर्थिक परिस्थितियों में सुधार लाने के लिये जल जीवन मिशन का प्रयास है। मिशन ग्रामीण परिवारों के लिये जीवन को सुगम बना रहा है तथा उन्हें गौरव और सम्मान के साथ जीने का अवसर दे रहा है।

जल जीवन मिशन के तहत गुणवत्ता-प्रभावित गांवों, आकांक्षी जिलों, अजा/अजजा बहुल गांवों, कम पानी वाले इलाकों और सांसद आदर्श ग्राम योजना के गांवों को प्राथमिकता के आधार पर नल से जल प्रदान किया जा रहा है। पिछले 24 महीनों में नल से जलापूर्ति में चार गुना इजाफा हुआ तथा वह 117 आकांक्षी जिलों में 24 लाख (9.3 प्रतिशत) से बढ़कर लगभग 1.36 करोड़ (49 प्रतिशत) घरों तक पहुंच गई। इसी तरह जापानी बुखार-दिमागी बुखार (जेई-एईएस) प्रभावित के 61 जिलों मे 1.15 करोड़ से अधिक घरों (38 प्रतिशत) में नल से पानी पहुंचाया जा रहा है। गुणवत्ता-प्रभावित इलाकों में अगर सतह आधारित जलापूर्ति प्रणाली बनाने में समय लगता है, तो अस्थायी उपाय के तौर पर सामुदायिक जलशुद्धि संयंत्र लगाये गये हैं, ताकि हर घर को 8-10 लीटर प्रति व्यक्ति-प्रति दिन की दर से सुरक्षित पानी मिल सके।

देश के स्कूलों और आंगनवाड़ी केंद्रों में बच्चों के स्वास्थ्य और कुशलक्षेम के लिये प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 100 दिवसीय अभियान की घोषणा की थी, जिसे जलशक्ति मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत ने दो अक्टूबर, 2020 को शुरू किया था। अब तक, 16 महीने जितनी छोटी सी अवधि में ही देश के 8.46 लाख (82 प्रतिशत) स्कूलों और 8.67 लाख (78 प्रतिशत) आंगनवाड़ी केंद्रों में पीने तथा मध्याह्न भोजन बनाने, हाथ धोने और शौचालयों में इस्तेमाल करने के लिये नल से जल की आपूर्ति की जा रही है। देशभर के स्कूलों में 93 हजार वर्षाजल संरक्षण सुविधायें और पानी को दोबारा इस्तेमाल योग्य बनाने के लिये 1.08 लाख संरचनायें विकसित की गई हैं।

अंडमान व निकोबार द्वीपसमूह, आंध्रप्रदेश, दादर एवं नगर हवेली तथा दमन एवं दीव, गुजरात, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, जम्मू एवं कश्मीर, कर्नाटक, केरल, पुदुच्चेरी, सिक्किम, तमिलनाडु, तेलंगाना और उत्तराखंड ने प्रत्येक स्कूल में नल से जल की व्यवस्था कर ली है। केंद्र सरकार ने राज्यों से आग्रह किया है कि वे बाकी बचे स्कूलों और आंगनवाड़ी केंद्रों में जल्द से जल्द साफ पानी की आपूर्ति सुनिश्चित करें, ताकि बच्चों के लिये बेहतर स्वास्थ्य, स्वच्छता और साफ-सफाई की व्यवस्था बन सके।

जल जीवन मिशन ‘सोपान’ (बॉटम-अप) दृष्टिकोण का पालन करता है, जहां समुदाय योजना बनाने से लेकर उसे कार्यान्वित करने, प्रबंधन, संचालन और रख-रखाव के काम में अहम भूमिका निभाते हैं। इसे प्राप्त करने के लिये ग्राम जल एवं स्वच्छता समिति (वीडब्लूएससी)/पानी समिति का गठन किया जा रहा है तथा उन्हें मजबूत बनाया जा रहा है; समुदाय की संलग्नता से ग्रामीण कार्य-योजना विकसित की गई है; कार्यान्वयन समर्थन एजेंसियों को साथ लाया गया, ताकि कार्यक्रम के क्रार्यान्वयन में ग्रामीण समुदायों का समर्थन किया जा सके तथा लोगों में जागरूकता पैदा की जा रही है। अब तक देशभर में 4.69 लाख पानी समितियों का गठन किया गया है और 3.81 लाख ग्राम कार्य-योजनायें विकसित की गई हैं।

समुदाय जल सुविधा का कारगर प्रबंध कर सकें, इसकी क्षमता पैदा करने के लिये जल जीवन मिशन कार्यान्वयन समर्थन एजेंसियों, 104 प्रमुख संसाधन केंद्रों और सेक्टर साझीदारों की मदद से क्षमता निर्माण कार्यक्रम चला है तथा देश भर में जल-क्षेत्र में काम कर रहा है।

जल जीवन मिशन के तहत जल गुणवत्ता निगरानी और सतर्कता गतिविधियों को उच्च प्राथमिकता दी जा रही है। हर गांव की पांच महिलाओं को हर तरह के अशुद्ध जल की जांच करने का प्रशिक्षण दिया जा रहा है, जिसके लिये फील्ड टेस्ट किट का इस्तेमाल होता है। इन किटों को पंचायतों को सौंपा जाता है। किटों की मदद से नौ पैमानों पर पानी की जांच होती है, जैसे पीएच, एल्केलाइन, क्लोराइड, नाइट्रेट, पानी में सख्तपन, फ्लोराइड, आयरन, अंश रहित क्लोरीन और एच2एस। इन किटों के जरिये 9.13 लाख से अधिक महिलाओं को जल की शुद्धता की जांच करने के लिये प्रशिक्षित किया जा चुका है।

देश में पानी की जांच करने के लिये 2,022 प्रयोगशालायें हैं। इनमें से 454 प्रयोगशालायें एनएबीएल से मान्यता-प्राप्त हैं। देश में पहली बार, जल जांच प्रयोगशालाओं को लोगों के लिये खोल दिया गया है, ताकि वे मामूली दरों पर अपने पानी के नमूनों की जांच कर सकें। कई राज्यों को मोबाइल वैन भी दिये गयें हैं, ताकि वे दूर-दराज के गांवों में पानी के नमूनों की जांच कर सकें।

जल जीवन मिशन प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल करता है, ताकि पारदर्शिता, जवाबदारी, निधियों का उचित उपयोग और सेवा आपूर्ति सुनिश्चित हो सके। जल जीवन मिशन के तहत तैयार की गई हर जलापूर्ति सम्पदा जियो-टैग के साथ है। हाइड्रो-जियो मॉरफोलॉजिकल (एचजीएम) मानचित्र का इस्तेमाल एक ग्राम योजना के लिये किया जाता है, ताकि पेयजल स्रोतों की पहचान की जा सके और जल-स्रोतों को रीचार्ज करने की अवसंचरना बनाई जाये। मिशन के तहत घरों में पानी के कनेक्शन को घर के मुखिया के आधार कार्ड नंबर से जोड़ा गया है। उल्लेखनीय है कि सभी वित्तीय लेन-देन को जन वित्त प्रबंधन प्रणाली (पीएफएमएस) के जरिये किया जाता है।

जल जीवन मिशन को कार्यान्वित करने में पारदर्शिता और जवाबदारी सुनिश्चित करने के लिये मिशन की सभी सूचनाओं को जनता के सामने रखा जाता है। मिशन के डैशबोर्ड को https://ejalshakti.gov.in/jjmreport/JJMIndia.aspx पर देखा जा सकता है।

जनता और खासतौर से महिलाओं तथा ग्रामीण समुदायों की सक्रिय भागीदारी की बदौलत, जल जीवन मिशन एक जन आंदोलन बन गया है। दीर्घकालीन पेयजल सुरक्षा, स्थानीय समुदाय और ग्राम पंचायतें एक साथ मिलकर यह काम कर रही हैं तथा वे सब मिलकर गांवों में जलापूर्ति प्रणालियों, अपने जल स्रोतों और इस्तेमालशुदा पानी के प्रबंधन की जिम्मेदारी निभा रही हैं। वर्ष 2024 तक हर ग्रामीण घर तक नल से जल पहुंचाने की सरकार की प्रतिबद्धता पूरी करने की दिशा में जल जीवन मिशन अग्रसर है।

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