NFRA ने बीमा अनुबंधों के लेखांकन के लिए एएस 117 के संबंध में जीवन बीमा उद्योग के साथ बातचीत की

राष्ट्रीय वित्तीय रिपोर्टिंग प्राधिकरण (NFRA) के कार्यकारी निकाय ने उन प्रस्तावित परिवर्तनों पर चर्चा करने के लिए जीवन बीमा उद्योग के सदस्यों के साथ कल बातचीत की, जो इंड एएस 117 बीमा अनुबंधों के लेखांकन में लाना चाहता है। इस बातचीत में आईआरडीएआई के प्रतिनिधियों ने भी भाग लिया।

इंडएएस 117 उच्च गुणवत्ता वाले वैश्विक मानक आईएफआरएस 17, आईएफआरएस फाउंडेशन के अंतर्राष्ट्रीय लेखा मानक बोर्ड द्वारा जारी बीमा अनुबंधों पर आधारित है। आईएफआरएस 17 जो मूल रूप से मई 2017 में जारी किया गया था, 1 जनवरी 2023 से वैश्विक स्तर पर प्रभावी हो गया है। इससे निवेशकों और अन्य लोगों को बीमाकर्ताओं के जोखिम, लाभप्रदता और वित्तीय स्थिति को बेहतर ढंग से समझने में मदद मिलने की उम्मीद है।

एनएफआरए ने 2018 से किए गए सार्वजनिक परामर्श के परिणामों के साथ-साथ इंडएएस 117 के संबंध में आईसीएआई का प्रस्ताव प्राप्त किया था। जीवन बीमा से जुड़ी कई संस्थाओं ने आईसीएआई द्वारा जारी एक्सपोजर ड्राफ्ट पर अपनी टिप्पणियां दीं थीं। इंडएएस 117 को विशेष रूप से बीमा संस्थाओं के बीमा और निवेश अनुबंधों की अनूठी विशेषताओं को समझने के लिए डिज़ाइन किया गया है और यह बीमा संस्थाओं के वित्तीय विवरणों में परिमाप, प्रस्तुति तथा प्रकटीकरण के संदर्भ में एक व्यापक बदलाव का समावेश करता है।

एनएफआरए के अध्यक्ष डॉ. अजय भूषण पांडे ने वैश्विक अर्थव्यवस्था में बीमा उद्योग द्वारा निभाई जाने वाली केन्द्रीय भूमिका पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि आईएएसबी के एक अध्ययन के अनुसार, कुल 13 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर मूल्य की परिसंपत्तियों के साथ बीमाकर्ता 2015 में सूचीबद्ध कंपनियों की कुल परिसंपत्तियों का 12 प्रतिशत हिस्सा रखते हैं। बीमा क्षेत्र के महत्व को देखते हुए, इस उद्योग द्वारा पालन किए जा रहे कार्यप्रणालियों एवं मानकों और अंतरराष्ट्रीय मानकों एवं सर्वोत्तम कार्यप्रणालियों के साथ उनके सामंजस्य से होने वाले अपेक्षित लाभों की सराहना करना महत्वपूर्ण है।

यह विचार-विमर्श उपयोगी रहा जिसमें आईआरडीएआई के प्रतिनिधियों और जीवन बीमा उद्योग के सदस्यों ने प्रस्तावित इंड एएस 117 की पेचीदगियों और व्यापक परामर्श, क्षमता निर्माण एवं ज्ञान साझा करने के उन प्रयासों के बारे में बहुमूल्य विचार साझा किए जो कंपनियों तथा पेशेवरों (लेखा, बीमांकक और प्रौद्योगिकी दल) को परिवर्तन के अनुकूल ढलने से संबंधित तैयारियों से लैस करने की दिशा में किए जा रहे हैं।