पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट ने निजी क्षेत्र में हरियाणा के स्‍थानीय लोगों के लिए 75 प्रतिशत आरक्षण वाले प्रावधान को असंवैधानिक घोषित किया

पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट ने हरियाणा के उद्योगों में राज्‍य के निवासियों को 75 प्रतिशत आरक्षण के प्रावधान वाले, स्‍थानीय उम्‍मीदवारों के लिए हरियाणा राज्‍य रोजगार अधिनियम 2020 को रद्द कर दिया है। न्‍यायालय ने फरीदाबाद उद्योग परिसंघ और अन्‍य याचिकाकर्ताओं की कई याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए यह फैसला सुनाया। सरकार ने इस अधिनियम को नवम्‍बर 2021 में अधिसूचित किया था। राज्‍य सरकार द्वारा जार‍ी अधिसूचना के अनुसार इसमें निजी क्षेत्र की उन नौकरियों में, जिनमें 15 जनवरी 2022 से 30 हजार रुपये से कम मासिक वेतन दिया जाता है, स्‍थानीय युवाओं को 75 प्रतिशत आरक्षण देने का प्रावधान है।

इसमें निजी कम्‍पनियां, समितियां, न्‍यास और राज्‍य की हिस्‍सेदारी वाली कम्‍पनियां शामिल हैं। अधिनियम को चुनौती देने वाले एक याचिकाकर्ता ने कहा कि यह अधिनियम संविधान के प्रावधानों और योग्‍यता के मूल सिंद्धांत के खिलाफ है। याचिकाकर्ता ने यह भी कहा है कि योग्‍यता, व्‍यवसायों के बढ़ने और प्रतिस्‍पर्धी बने रहने के लिए आधार का काम करती है।

न्‍यायालय ने कहा कि यह अधिनियम असंवैधानिक है और संविधान के भाग-3 का उल्‍लंघन है।