वर्ष 2030 के लिए डीकार्बोनाइजेशन लक्ष्य और 2070 के लिए शून्य कार्बन उत्सर्जन का लक्ष्य प्राप्त करने पर मजबूती से ध्यान केंद्रित किया गया: सर्बानंद सोनोवाल

केंद्रीय पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने कहा है कि भारत में पोत परिवहन क्षेत्र को हरा-भरा बनाने, प्रदूषण के प्रभाव को कम करने और पोत परिवहन क्षेत्र में अक्षय ऊर्जा और हरित हाइड्रोजन का उपयोग शुरू करने के लिए रणनीति विकसित करने के लिए एक रूप रेखा विकसित करना महत्वपूर्ण है। नई दिल्ली में आज विश्व सतत विकास शिखर सम्मेलन 2023 में समावेशी हरित विकास के लिए उपकरण और नेतृत्व पर एक सत्र को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि कुछ दिनों पहले संसद में पेश किए गए केंद्रीय बजट में ‘हरित विकास’ को प्राथमिकता देने वाला क्षेत्र होने के कारण बैठक में वर्ष 2030 के लिए डीकार्बोनाइजेशन लक्ष्य और साथ ही वर्ष 2070 के लिए शून्य कार्बन उत्सर्जन का लक्ष्य प्राप्त करने पर मजबूती से ध्यान केंद्रित किया गया है। श्री सोनोवाल ने कहा कि यह पोत परिवहन क्षेत्र पर भी लागू होता है। उन्होंने कहा कि बजट में वायबिलिटी गैप फंडिंग के साथ सार्वजनिक-निजी भागेदारी-पीपीपी मोड के माध्यम से यात्रियों और माल दोनों के लिए ऊर्जा कुशल और परिवहन के कम लागत वाले साधन के रूप में तटीय पोत परिवहन को बढ़ावा देने की आवश्यकता भी सामने रखी गई थी।

सर्बानंद सोनोवाल ने कहा कि इस वर्ष भारत के जी-20 की अध्यक्षता संभालने और स्वच्छ ऊर्जा और हरित परिवर्तन पर विचार-विमर्श करने वाले कार्य समूहों के साथ, हम अपनी विकास रणनीति के रूप में समावेशी हरित विकास के महत्व पर फिर से बल दे रहे हैं। उन्होंने कहा कि इस वृद्धि को सक्षम करने के लिए हमें प्रौद्योगिकी हस्तांतरण पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है जो हरित परिवर्तन के लिए अत्यंत आवश्यक है। उन्होंने कहा कि हरित परिवर्तन नीतियों को मुख्यधारा में शामिल करने के साथ-साथ उभरती ऊर्जा और ईंधन विकल्पों का उचित मूल्यांकन करने की भी आवश्यकता है।

पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्री महोदय ने कहा कि ऊर्जा और संसाधन संस्थान (टीईआरआई) के वार्षिक प्रमुख कार्यक्रम – विश्व सतत विकास शिखर सम्मेलन का हिस्सा बनना उनके लिए बहुत खुशी की बात है। सर्बानंद सोनोवाल ने कहा कि एक शोध संस्थान के रूप में समाधान खोजने के लिए यह संस्थान दृढ़ता से काम कर रहा है जो न केवल नीति पर अपने काम के माध्यम से बल्कि तकनीकी हस्तक्षेपों के माध्यम से ग्रह को और अधिक टिकाऊ बना देगा, जो हरित विकास ईकोसिस्टम में एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है।

सर्बानंद सोनोवाल ने कहा कि पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्रालय (एमओपीएसडब्ल्यू) ने हाल ही में ग्वाल पहाड़ी में संस्थान के फील्ड स्टेशन पर हरित पत्तन और पोत परिवहन में देश का पहला राष्ट्रीय उत्कृष्टता केंद्र स्थापित करने के लिए टेरी के साथ हाथ मिलाया है। उन्होंने कहा कि यह राष्ट्रीय उत्कृष्टता केंद्र दीनदयाल पोर्ट अथॉरिटी, पारादीप पोर्ट अथॉरिटी, वीओ चिदंबरनार पोर्ट अथॉरिटी और कोचीन शिपयार्ड लिमिटेड और टेरी की विशेषज्ञता को एक साथ लाता है, और हरित पोत परिवहन के लिए नियामक ढांचे और भारत में वैकल्पिक प्रौद्योगिकी अपनाने की रूपरेखा को विकसित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।

सर्बानंद सोनोवाल ने कहा कि चूंकि समावेशी हरित विकास तेजी से भविष्य के विकास की नींव बन रहा है, इसलिए ऐसी नीतियों, रूपरेखाओं और प्रणालियों को लाना अनिवार्य है जो इस परिवर्तन को सक्षम बनाएंगी।

मंत्री महोदय ने कहा कि पोत परिवहन क्षेत्र ऊर्जा और संसाधन दक्ष दोनों है और ऊर्जा और संसाधन तटस्थता प्राप्त करने के लिए एक कार्यान्वयन रूप रेखा की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि एनसीओईजीपीएस जैसी पहल राष्ट्रीय और उप-राष्ट्रीय स्तर पर निर्णय निर्माताओं को कार्बन तटस्थता उपायों को लागू करने और पेरिस समझौते के अंतर्गत दायित्वों को पूरा करने के लिए कार्यप्रणाली और रूपरेखा प्रदान करेगी।

सर्बानंद सोनोवाल ने कहा कि वर्तमान में, तटीय पोत परिवहन क्षेत्र से लगभग 99 प्रतिशत ऊर्जा की मांग जीवाश्म ईंधन, ईंधन तेल और समुद्री गैस तेल (एमजीओ) से पूरी की जाती है। आईएमओ के अनुसार, एक अनियंत्रित उपाय वर्ष 2008 के उत्सर्जन स्तरों की तुलना में वर्ष 2050 तक पोत परिवहन क्षेत्र से जुड़े जीएचजी उत्सर्जन को 50 प्रतिशत और 250 प्रतिशत के बीच कहीं भी ले जा सकता है। उन्होंने कहा कि वर्ष 2018 में अपनाई गई आईएमओ समग्र दृष्टि इस शताब्दी में जितनी जल्दी हो सके उद्योग से ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को समाप्त करना है। उन्होंने कहा कि आईएमओ के उद्देश्य के अनुरूप पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्रालय ने वर्ष 2030 तक भारतीय पोत परिवहन क्षेत्र में जीएचजी उत्सर्जन को 30 प्रतिशत तक कम करने का लक्ष्य रखा है।

मंत्री महोदय ने कहा कि बंदरगाह की गतिविधियों से उत्पन्न प्रमुख वायु प्रदूषकों में कार्बन मोनोऑक्साइड (सीओ), वाष्पशील कार्बनिक यौगिक (वीओसी), नाइट्रोजन ऑक्साइड (एनओएक्स), सल्फर ऑक्साइड (एसओएक्स) और पार्टिकुलेट मैटर (पीएम) शामिल हैं। उन्होंने कहा कि प्रमुख भारतीय बंदरगाहों द्वारा विभिन्न प्रदूषण शमन उपाय जैसे ड्राई बल्क हैंडलिंग के मशीनीकृत मोड को अपनाना, ग्रीन बेल्ट कवरेज बढ़ाना, डीजल आरटीजीसी को ई/हाइब्रिड आरटीजीसी में बदलना और कई अन्य उपाय किए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि इसके अलावा, विजन 2030 प्रदूषण शमन लक्ष्यों को प्राप्त करने में एनसीओईजीपीएस की भूमिका परिवर्तनकारी होगी।

सर्बानंद सोनोवाल ने कहा कि एक स्थायी समुद्री अर्थव्यवस्था विकसित करने में एक हरित पोत परिवहन क्षेत्र सबसे महत्वपूर्ण तत्व है। उन्होंने कहा कि एक संपन्न समुद्री अर्थव्यवस्था के लिए एक ऐसे पोत परिवहन क्षेत्र की आवश्यकता है जो कार्बन उत्सर्जन में कटौती करता हो और हरित ईंधन का विकल्प चुनता है और हमारी कई पहलों के साथ मंत्रालय इन क्षेत्रों को डीकार्बोनाइज करना चाहता है ताकि वर्ष 2030 और वर्ष 2070 के लक्ष्यों को प्राप्त किया जा सके।