करदाता दो साल के भीतर दाखिल कर सकते हैं अद्यतन आयकर रिटर्न, दिव्‍यांगजनों को कर राहत

केन्‍द्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आज संसद में केन्‍द्रीय बजट 2022-23 पेश करते हुए घोषणा की कि सरकार ने एक नया प्रस्‍ताव किया है जिसके तहत करदाता अतिरिक्‍त कर की अदायगी करने पर एक ‘अद्यतन रिटर्न’ दाखिल कर सकते हैं। इस अद्यतन रिटर्न को संबंधित आकलन वर्ष के समापन से लेकर अगले दो वर्षों के भीतर दाखिल करना होगा। उन्‍होंने कहा कि इससे करदाताओं को कर भुगतान के लिए अपनी आय का सटीक आकलन करने में हुई किसी चूक या त्रुटि को दूर करने का अवसर मिलेगा। उन्‍होंने इस ओर ध्‍यान दिलाया कि मौजूदा समय में यदि आयकर विभाग को यह पता चलता है कि किसी करदाता ने अपनी कुछ आय को अपने रिटर्न में नहीं दर्शाया है तो वैसी स्थिति में इस पूरे मामले को निपटाने के लिए उसे एक लंबी प्रक्रिया से गुजरना पड़ता है। हालांकि, इस नए प्रस्‍ताव के तहत अब करदाताओं पर भरोसा किया गया है। उन्‍होंने कहा, ‘यह स्‍वैच्छिक कर अनुपालन की दिशा में एक सकारात्‍मक कदम है।’

दिव्‍यांगजनों को कर राहत

वर्तमान कानून के तहत किसी दिव्‍यांगजन के लिए बीमा योजना लेने वाले माता-पिता या अभिभावक को कर कटौती की अनुमति तभी दी जाती है जब संबंधित ग्राहक की मृत्‍यु होने पर उस दिव्‍यांगजन को एकमुश्‍त भुगतान या वार्षिकी उपलब्‍ध हो जाती है। चूंकि आश्रित दिव्‍यांगजनों को यहां तक कि अपने माता-पिता/अभिभावक के जीवन काल के दौरान ही एकमुश्‍त राशि या वार्षिकी के भुगतान की जरूरत पड़ सकती है, अत: इस तरह की स्थितियों को ध्‍यान में रखते हुए निर्मला सीतारमण ने घोषणा की कि सरकार के नए प्रस्‍ताव के तहत आश्रित दिव्‍यांगजन को अपने माता-पिता/अभिभावक के जीवन काल के दौरान भी वार्षिकी और एकमुश्‍त राशि का भुगतान किया जा सकता है। हालांकि, ऐसा तभी होगा जब संबंधित ग्राहक की आयु 60 साल हो जाएगी।

राज्‍य और केन्‍द्र सरकार के कर्मचारियों के बीच समानता

वित्त मंत्री ने कहा कि राज्‍य सरकारों के कर्मचारियों को मिलने वाले सामाजिक सुरक्षा लाभों को बढ़ाने और इन्‍हें केन्‍द्र सरकार के कर्मचारियों के समतुल्‍य करने के लिए बजट में राज्‍य सरकारों के कर्मचारियों के एनपीएस खाते में नियोक्‍ता के अंशदान पर कर कटौती सीमा को 10 प्रतिशत से बढ़ाकर 14 प्रतिशत करने का प्रस्‍ताव किया गया है।

वर्चुअल डिजिटल परिसंपत्तियों पर कर लगाने के लिए योजना

वर्चुअल डिजिटल परिसंपत्तियों का लेन-देन काफी ज्‍यादा बढ़ जाने का उल्‍लेख करते हुए निर्मला सीतारमण ने घोषणा की कि ‘किसी भी वर्चुअल डिजिटल परिसंपत्ति के हस्‍तांतरण पर होने वाली किसी भी आय पर 30 प्रतिशत की दर से कर देना होगा।’ उन्‍होंने कहा कि इस योजना के तहत अधिग्रहण की लागत को छोड़ इस तरह की आय की गणना करते समय किसी भी व्‍यय या भत्ते पर किसी भी कर कटौती की अनुमति नहीं दी जाएगी। उन्‍होंने यह भी कहा कि वर्चुअल डिजिटल परिसंपत्ति के हस्‍तांतरण पर होने वाले नुकसान का समायोजन किसी भी अन्‍य आय से नहीं की जाएगी। वित्त मंत्री ने कहा कि इस तरह के सौदे के विवरण को दर्ज करने के लिए सरकार वर्चुअल डिजिटल परिसंपत्ति के हस्‍तांतरण के संबंध में किए गए भुगतान पर इससे जुड़ी राशि के एक प्रतिशत की दर से स्रोत पर कर कटौती (टीडीएस) का भी प्रावधान करेगी। हालांकि, इसके लिए एक मौद्रिक सीमा तय की गई है और उससे ज्‍यादा राशि होने पर ही स्रोत पर कर कटौती की जाएगी। उन्‍होंने कहा कि किसी वर्चुअल डिजिटल परिसंपत्ति को उपहार के रूप में देने पर भी कर लगाने का प्रस्‍ताव है। यह कर उपहार लेने वाले को देना होगा।

मुकदमेबाजी का प्रबंधन

निर्मला सीतारमण ने कहा कि ‘समान तरह के मुद्दों पर अपील दाखिल करने में काफी समय और संसाधन खर्च हो जाते हैं।’ सरकार की सुव्‍यवस्थित मुकदमेबाजी प्रबंधन नीति को आगे बढ़ाने और करदाताओं एवं विभाग के बीच बार-बार होने वाली मुकदमेबाजी में कमी करने के लिए सरकार इस आशय का प्रावधान करेगी कि किसी करदाता के मामले में कोई कानूनी मुद्दा यदि ठीक उस कानूनी मुद्दे जैसा ही होता है जो किसी मामले में क्षेत्राधिकार वाले उच्‍च न्‍यायालय या उच्‍चतम न्‍यायालय में की गई अपील के तहत लंबित है, तो विभाग द्वारा इस करदाता के मामले में आगे अपील करने को तब तक के लिए टाल दिया जाएगा जब तक कि इस तरह के कानूनी मुद्दे पर संबंधित क्षेत्राधिकार वाला उच्‍च न्‍यायालय या उच्‍चतम न्‍यायालय अपना फैसला नहीं सुना देता है।

वित्त मंत्री ने देश के करदाताओं का धन्‍यवाद किया जिन्‍होंने व्‍यापक योगदान किया है और इसके साथ ही संकट की घड़ी में अपने देशवासियों की मदद करने में सरकार को काफी सहयोग दिया है।

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