राष्ट्रव्यापी कोविड टीकाकरण अभियान की आज पहली वर्षगांठ है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले वर्ष 16 जनवरी को महामारी से निपटने के लिए युद्धस्तर पर विश्व का सबसे बड़ा टीका अभियान शुरू किया था।
एक वैक्सीन बनाने में वर्षों लग जाते हैं, लेकिन इतने कम समय में एक नहीं दो-दो मेड इन इंडिया वैक्सीन तैयार हुई है। ये भारत के सामर्थ्य, भारत की वैज्ञानिक दक्षता, भारत के टैलेन्ट का जीता-जागता सबूत है। जिसे कोरोना संक्रमण का रिस्क सबसे ज्यादा है उसे पहले टीका लगेगा। जो हमारे डॉक्टर्स हैं, नर्सेज हैं, अस्पताल में सफाईकर्मी हैं, मेडिकल, पैरामेडिकल स्टाफ हैं, वो कोरोना की वैक्सीन के सबसे पहले हकदार हैं। चाहे वह सरकारी अस्पताल में हो या फिर प्राइवेट में, सभी को यह वैक्सीन प्राथमिकता पर लगेगी।
टीकाकरण अभियान के तहत पिछले वर्ष सबसे पहले स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं को टीके लगाए गए। दो फरवरी से अग्रिम पंक्ति के कार्यकर्ताओं को टीके लगाए जाने लगे। उसके बाद पहली मार्च से 60 वर्ष से अधिक उम्र के और 45 वर्ष से अधिक उम्र के अन्य रोगों से पीडित लोगों को टीकाकरण अभियान के दायरे में लाया गया। पहली मई से 18 वर्ष से अधिक उम्र के सभी लोगों को टीके लगाए जा रहे हैं।
इस वर्ष तीन जनवरी से 15 से 18 वर्ष के बच्चों का टीकाकरण आरंभ हुआ। स्वास्थ्य कर्मियों, अग्रिम पंक्ति के कार्यकर्ताओं और साठ वर्ष से अधिक उम्र के व्यक्तियों के लिए एहतियाती टीके लगाने का अभियान दस जनवरी से शुरू हुआ।
इस बीच, कोविड टीकाकरण कार्यक्रम के तहत अब तक 156 करोड़ 63 लाख से अधिक टीके लगाए जा चुके हैं। कल 57 लाख 29 हजार से अधिक टीके लगाये गये। अब तक 42 लाख 69 हजार से अधिक ऐहतियाती टीके लगाये जा चुके हैं।