जल जीवन मिशन के अंतर्गत 28 माह में आकांक्षी जिलों के 1.1 करोड़ घरों में नल से जलापूर्ति उपलब्ध कराई

जल शक्ति मंत्रालय के पेयजल और स्वच्छता विभाग ने आज आकांक्षी जिलों में सुनिश्चित पोर्टेबल जल आपूर्ति और ओडीएफ प्लस पर एक राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया। नीति आयोग के मुख्य कार्यकारी अधिकारी-सीईओ, अमिताभ कांत ने मुख्य भाषण दिया। उन्होंने कहा, “आकांक्षी जिले कई मायनों में अद्वितीय हैं और कई चुनौतियों का सामना करते हैं। इन क्षेत्रों में काम करने के मॉडल की संयुक्त राष्ट्र सहित कई अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों ने सराहना की है। पानी और स्वच्छता का प्रभाव कई गुना है और स्वास्थ्य तथा पोषण को सीधे प्रभावित करता है। इसलिए यह महत्वपूर्ण है कि जिला कलेक्टर और नीति निर्माता यह सुनिश्चित करने के लिए अति आवश्यक नेतृत्व प्रदान करें कि शौचालय की सुविधा और नल का पानी दिए गए समय में हर ग्रामीण घर तक पहुंचे।” विनी महाजन, सचिव डीडीडब्ल्यूएस, मुख्य सचिव, अरुण बरोका, अपर सचिव, डीडीडब्ल्यूएस, एसीएस और राज्यों के प्रधान सचिव तथा डीडीडब्ल्यूएस, केंद्रीय मंत्रालयों, नीति आयोग, राज्य सरकारों के एक हजार से अधिक अधिकारियों और महत्वाकांक्षी जिलों के मुख्य कार्यकारी अधिकारी-सीईओ / उपायुक्तों-डीसी ने ई-सम्मेलन में भाग लिया।

”सम्मेलन के एजेंडे को निर्धारित करते हुए महाजन ने ग्रामीण घरों में नल के पानी की आपूर्ति और ओडीएफ यानी खुले में शौच से मुक्ति के बाद हर समय शौचालय का उपयोग सुनिश्चित करने में जिलों द्वारा की गई प्रगति की सराहना की। उन्होंने कहा, “चूंकि जल जीवन मिशन और स्वच्छ भारत मिशन दोनों समयबद्ध हैं, इसलिए नल का पानी और स्वच्छता सुविधा प्रदान करने के लिए ‘कोई भी छूटा नहीं है’ आदर्श वाक्य के साथ, मिशन मोड के कार्यक्रम के अंतर्गत यह महत्वपूर्ण है कि कार्यक्रम की दीर्घकालिक स्थिरता के लिए पानी और स्वच्छ शौचालय की उपलब्धता सभी के द्वारा लगातार प्रयास किए जाएं।”

अरुण बरोका, अपर सचिव, डीडीडब्ल्यूएस ने ओडीएफ प्लस में 117 आकांक्षी जिलों और नल से जल आपूर्ति प्रदान करने के प्रदर्शन की प्रस्तुत दी। 15 अगस्त 2019 को जल जीवन मिशन के शुभारंभ के समय आकांक्षी जिलों के 3.39 करोड़ घरों में से केवल 24 लाख घरों में नल का पानी था, लेकिन आज हम 1.34 करोड़ (39.53 प्रतिशत) घरों में नल का पानी उपलब्ध करा रहे हैं। तेलंगाना के तीन आकांक्षी जिलों और हरियाणा के 1 जिले ने 100 प्रतिशत कवरेज प्राप्त की है। आकांक्षी जिलों में 5,090 गांवों में ठोस कचरा और 3,663 गांवों में तरल कचरा प्रबंधन शुरू किया गया है।

अरुण बरोका ने कहा कि आकांक्षी जिलों के लिए यह आवश्यक है कि वे प्रयासों में तेजी लाएं और यह सुनिश्चित करें कि लक्ष्य की समय सीमा से पहले कारी समाप्त हो जाए। उन्होंने जोर देकर कहा कि स्कूलों और आंगनवाड़ी केंद्रों में पीने, मध्याह्न भोजन पकाने, हाथ धोने और शौचालयों में उपयोग के लिए नल के पानी की व्यवस्था सुनिश्चित की जानी चाहिए।

महाराष्ट्र में गढ़चिरौली के मुख्य कार्यकारी अधिकारी-सीईओ कुमार आशीर्वाद, आरके शर्मा, डीसी, नामसाई, अरुणाचल प्रदेश, उदय प्रवीण, डीसी, उदालगुड़ी, असम और दीपक सोनी, डीसी, दंतेवाड़ा छत्तीसगढ़ ने अभिनव समाधानों के माध्यम से चुनौतियों पर काबू पाने के लिए अपने जिलों में स्वच्छ नल का पानी और स्वच्छता सुविधाएं प्रदान करने में किए गए प्रासों के बारे में अपने अनुभव साझा किए।

जल जीवन मिशन को ‘बॉटम-अप’ यानी नीचे से ऊपर के दृष्टिकोण के बाद विकेन्द्रीकृत तरीके से कार्यान्वित किया जाता है, जिसमें स्थानीय ग्राम समुदाय, योजना बनाने से लेकर कार्यान्वयन और प्रबंधन से संचालन तथा रखरखाव तक एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इसके लिए राज्य समुदाय के साथ जुड़ने और पानी समिति को मजबूत करने जैसी सामुदायिक गतिविधियों को अंजाम देता है। इस बारे में बातचीत कराते हुए अमिताभ कांत ने जल निकायों के कायाकल्प, जल स्रोतों के संरक्षण, वर्षा जल संचयन और सतही जल के संवर्धन के प्रयासों पर बल दिया। उन्होंने कहा, “समुदायों को शामिल करना कार्यक्रम का मूल होना चाहिए। परिवर्तन लाने और कार्यक्रम को जन आंदोलन बनाने के लिए सामाजिक और व्यवहारिक परिवर्तन महत्वपूर्ण है। यह महत्वपूर्ण है कि सभी डीपीआर को मार्च, 2022 तक स्वीकृत किया जाए ताकि मार्च 2023 तक सभी आकांक्षी जिलों को ‘हर घर जल’ बनाने का काम तेजी से पूरा किया जा सके।”

जल जीवन मिशन का उद्देश्य ‘सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास और सबका प्रयास’ की तर्ज पर काम करते हुए, पीने योग्य नल के पानी की आपूर्ति की सार्वभौमिक पहुंच सुनिश्चित बनाना है। 2019 में मिशन की शुरुआत में, देश के कुल 19.20 करोड़ ग्रामीण परिवारों में से केवल 3.23 करोड़ (17 प्रतिशत) परिवारों के पास ही नल के पानी की आपूर्ति उपलब्ध थी। पिछले 28 महीनों के दौरान, कोविड -19 महामारी और लॉकडाउन व्यवधानों के बावजूद, जल जीवन मिशन को तेजी से लागू किया गया है और आज, 5.69 करोड़ ग्रामीण परिवारों को नल के पानी के कनेक्शन प्रदान किए गए हैं। वर्तमान में, देश भर में 8.93 करोड़ (46.34 प्रतिशत) ग्रामीण परिवारों में नल के पानी की आपूर्ति उपलब्ध है। गोवा, तेलंगाना, हरियाणा राज्यों और अंडमान और निकोबार द्वीप समूह और पुडुचेरी, दादरा और नगर हवेली और दमण तथा दीव के केंद्र शासित प्रदेशों के ग्रामीण क्षेत्रों में 100 प्रतिशत घरेलू नल कनेक्शन से जल की आपूर्ति सुनिश्चित की गई है। वर्तमान में 97 जिलों के प्रत्येक घर और 1.34 लाख से अधिक गांवों को अपने घरों में नल का पानी मिल रहा है।

जल जीवन मिशन के कार्यान्वयन में पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए, जल जीवन मिशन के बारे में सभी जानकारी सार्वजनिक डोमेन में उपलब्ध है।

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