केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने संशोधित ग्रामीण क्षेत्र विकास योजना निर्माण और कार्यान्वयन (RADPFI) दिशानिर्देश जारी किए

भारत की स्वतंत्रता की वर्ष 2047 में शताब्दी तक अगले पच्चीस वर्षों के लिए सभी पंचायती राज संस्थानों के पास संबंधित पंचायत के लिए एक दृष्टिकोण होना चाहिए। ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज मंत्री गिरिराज सिंह ने कहा कि चहुंमुखी विकास के लिए एक मास्टर प्लान तैयार करना चाहिए और स्थानीय बुनियादी ढांचे, अन्य विकासात्मक आवश्यकताओं, रोजगार के अवसरों और पंचायतों के संसाधन आधार को बढ़ावा देने के लिए हर संभव प्रयास करना चाहिए। ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज मंत्री गिरिराज सिंह ने आज पंचायती राज मंत्रालय द्वारा तैयार किए गए संशोधित ग्रामीण क्षेत्र विकास योजना निर्माण और कार्यान्वयन (आरएडीपीएफआई) दिशानिर्देश जारी किए।

गिरिराज सिंह ने पंचायती राज संस्थानों से ग्रामीण क्षेत्र विकास योजना निर्माण और कार्यान्वयन (आरएडीपीएफआई) दिशानिर्देशों को एक सक्रिय स्वामित्व दृष्टिकोण का लाभ उठाकर “संकल्प पत्र” के रूप में अपनाने का आह्वान किया।

इस अवसर पर अपने संबोधन में गिरिराज सिंह ने कहा कि आज जारी किए गए आरएडीपीएफआई दिशानिर्देश निश्चित रूप से ग्रामीण भारत को बदलने और ग्रामीण भारत के सशक्तिकरण और ग्रामीण समृद्धि को बढ़ावा देने के दृष्टिकोण को ध्यान में रखते हुए तैयार किए गए हैं। उन्होंने कहा कि पंचायत और सभी संबंधित विकास योजनाओं के जमीनी स्तर पर कुशल और सुचारू क्रियान्वयन की दिशा में दृढ़ निश्चय के साथ आगे बढ़ने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि आरएडीपीएफआई दिशानिर्देश ग्रामीण क्षेत्रों में जीवन की गुणवत्ता में सुधार करने में मदद करेंगे।

गिरिराज सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आजादी का अमृत महोत्सव के संदर्भ में पंचायतों को शक्तिशाली और जीवंत संस्था बनाने के सपनों को साकार करने के लिए प्रभावी कदम उठाने का लक्ष्य रखा है। विजन 2047 के साथ, हमें संयुक्त राष्ट्र द्वारा स्थापित सतत विकास लक्ष्यों को भी प्राप्त करना चाहिए और वर्ष 2030 तक इस लक्ष्य को हासिल करने का हमारा इरादा है। प्रधानमंत्री ने पंचायतों के परिप्रेक्ष्य में नए प्रस्तावों के लिए आधार तैयार करने और समन्वित तथा समग्र तरीके से नए संकल्प के साथ आगे बढ़ने का आह्वान किया है।

मंत्री महोदय ने कहा कि जब हम पंचायतों के विकास के लिए रणनीति और योजना का प्रस्ताव करने की दिशा में समग्रता से विचार-विमर्श करते हैं तो “दृष्टिकोण में बदलाव” और “मानसिकता में बदलाव” की अधिक आवश्यकता होती है। उन्होंने राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों से अनुरोध किया कि वे केंद्र और राज्य सरकारों के सभी संबंधित अधिकारियों, पंचायती राज संस्थानों के निर्वाचित प्रतिनिधियों और पदाधिकारियों और अन्य हितधारकों को परिचित करने के लिए सभी को एक मंच पर ले जाएं और सेमिनार आयोजित करें ताकि आरएडीपीएफआई दिशानिर्देशों को सही तरीके से अपनाया और कार्यान्वित किया जा सके।

मंत्री महोदय ने कहा कि संशोधित आरएडीपीएफआई दिशानिर्देश ग्रामीण परिवर्तन के आधार के रूप में काम करेंगे और ग्रामीण क्षेत्रों में प्रभावी भूमि उपयोग योजना को सक्षम करेंगे। उन्होंने यह भी कहा कि आरएडीपीएफआई दिशानिर्देशों को जारी करने से केंद्र सरकार के पंचायती राज मंत्रालय की स्वामित्व योजना और ग्रामीण विकास मंत्रालय के रुर्बन मिशन जैसे प्रयासों को पूरा करने में मदद मिलेगी और भू-स्थानिक जानकारी के बेहतर उपयोग की सुविधा मिलेगी।

पंचायती राज राज्य मंत्री कपिल मोरेश्वर पाटिल ने कहा कि संशोधित आरएडीपीएफआई दिशानिर्देश स्थानिक ग्रामीण नियोजन को बढ़ावा देने की दिशा में मंत्रालय के प्रयास के अंतर्गत तैयार किए गए हैं। उन्होंने कहा कि यह दिशा निर्देश गांवों में दीर्घकालिक योजना बनाने के लिए एक परिप्रेक्ष्य विकसित करके ग्रामीण परिवर्तन के लिए मार्ग तैयार करेगा।

कपिल मोरेश्वर पाटिल ने कहा कि आरएडीपीएफआई दिशानिर्देशों को गांवों में निवास की सुगमता सुनिश्चित करने और ग्रामीण क्षेत्रों में आजीविका के लिए सभी आवश्यक बुनियादी ढांचे और सुविधाएं तथा संसाधन और अवसर प्रदान करके बड़े शहरों में प्रवास को कम करने में मदद करने के लिए किया जारी किया गया है।

कपिल मोरेश्वर पाटिल ने सुझाव दिया कि राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस के अवसर पर आरएडीपीएफआई दिशानिर्देश के कार्यान्वयन के आधार पर सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने वाली पंचायतों को भी पुरस्कार प्रदान करने के लिए विचार किया जाना चाहिए, जिसका उद्देश्य गांवों के बीच स्वस्थ प्रतिस्पर्धा का वातावरण तैयार करना है।

पंचायती राज मंत्रालय के सचिव सुनील कुमार ने बताया कि संशोधित आरएडीपीएफआई दिशानिर्देशों में शहरी क्षेत्रों में नगर नियोजन योजनाओं की तर्ज पर ग्राम नियोजन योजना (वीपीएस); स्थानिक भूमि उपयोग योजना के साथ ग्राम पंचायत विकास कार्यक्रम (जीपीडीपी) को जोड़ना, ग्राम पंचायत विकास के लिए स्थानिक मानकों आदि के प्रावधान शामिल है। ग्रामीण विकास मंत्रालय के सचिव नागेंद्र नाथ सिन्हा ने पंचायती राज मंत्रालय के प्रयासों की सराहना की और कहा कि इन दिशानिर्देशों से ग्रामीण क्षेत्रों में जीवंत आर्थिक समूहों के विकास में में वृद्धि होगी, जो ग्रामीण क्षेत्रों के सामाजिक-आर्थिक विकास में योगदान देगा।

कार्यक्रम के दौरान, योजना और वास्तुकला विद्यालय, भोपाल के निदेशक प्रो. एन श्रीधरन द्वारा एक संक्षिप्त प्रस्तुति दी गई जिसमें उन्होंने संशोधित आरएडीपीएफआई दिशानिर्देशों के मुख्य बिंदुओं पर प्रकाश डाला और मास्टर प्लान के विकास के माध्यम से गांवों के सामाजिक उत्थान के लिए अपना दृष्टिकोण रखा। कार्यक्रम में ग्रामीण विकास मंत्रालय की पूर्व सचिव डॉ मीनाक्षी सुंदरम और नीति आयोग के सलाहकार अविनाश मिश्रा ने भी भाग लिया, जिन्होंने अंतर-मंत्रालयी समिति के अध्यक्ष और सदस्य के रूप में संशोधित आरएडीपीएफआई दिशानिर्देशों को अंतिम रूप देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

इन दिशानिर्देशों के जारी होने से निश्चित रूप से भौतिक और सामाजिक बुनियादी ढांचे, आर्थिक गतिविधियों, सड़क और परिवहन संपर्क, भूमि मूल्यों और प्रत्याशित आर्थिक गतिविधियों जैसे विभिन्न क्षेत्रों में नियोजित विकास की प्रक्रिया को दिशा मिलेगी और नियोजित विकास के लिए गैर-कृषि उद्देश्य प्राप्त करने के लिए कृषि के रूपांतरण हेतु व्यावहारिक समाधान की दिशा में सहायता मिलेगी। यह आशा की जाती है कि ये संशोधित दिशा-निर्देश राज्य के नगर एवं ग्राम नियोजन विभागों, राज्य ग्रामीण विकास और पंचायती राज विभागों और जिला/ब्लॉक स्तर पर स्थित अन्य कार्यालयों को मार्गदर्शन प्रदान करेंगे जो नियोजित बुनियादी ढांचे और गांवों में सामाजिक के विकास के लिए जिम्मेदार हैं।

पंचायती राज मंत्रालय में अपर सचिव (डॉ.) चंद्रशेखर कुमार, पंचायती राज मंत्रालय में संयुक्त सचिव खुशवंत सिंह सेठी, पंचायती राज मंत्रालय में संयुक्त सचिव आलोक प्रेम नागर, पंचायती राज मंत्रालय में आर्थिक सलाहकार (डॉ.) बिजय कुमार बेहरा,और भारत सरकार के अन्य वरिष्ठ अधिकारी इस अवसर पर उपस्थित थे। राज्यों के पंचायती राज विभागों के वरिष्ठ अधिकारी, वास्तुकला और योजना के प्रतिष्ठित शैक्षणिक और अनुसंधान संस्थानों के प्रतिनिधियों ने भी वर्चुअल माध्यम से इस कार्यक्रम में भाग लिया।

पृष्ठभूमि:

भारत में विशेष रूप से शहरी क्षेत्रों में कई स्थानिक विकास पहलों को इससे पहले लागू किया गया है, लेकिन पंचायतों/गांवों की ग्रामीण स्थानिक योजना के लिए कोई व्यापक प्रयास नहीं किया गया है। हाल के दिनों में, ग्रामीण क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर विकास हुआ है लेकिन इस अनियोजित विकास ने ग्रामीण क्षेत्रों में भू-स्थानिक क्षमता का अकुशल उपयोग किया है। इस प्रकार, विशेष रूप से शहरी केंद्रों के आसपास के गांवों और प्रमुख सड़क गलियारों के साथ स्थित गांवों के लिए स्थानिक योजना आवश्यक हो जाती है, क्योंकि अधिकतम विकास के लिए विभिन्न अनुमेय और गैर-अनुमेय भूमि उपयोग गतिविधियों को सुनिश्चित करने की आवश्यकता होती है। इसे ध्यान में रखते हुए, पंचायती राज मंत्रालय ने ग्रामीण क्षेत्र विकास योजना निर्माण और कार्यान्वयन (आरएडीपीएफआई) दिशानिर्देश, 2017 को संशोधित किया है।

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