उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने चुनावों को अधिक समावेशी बनाने के लिए 75 प्रतिशत मतदान सुनिश्चित करने का आह्वाहन किया

उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने आज चुनाव आयोग तथा मतदाताओं से अगले आम चुनावों में 75% तक मतदान प्रतिशत हासिल करने का आह्वाहन किया जिससे चुनावी लोकतंत्र और अधिक समावेशी बन सके। उन्होंने एक साथ चुनाव कराए जाने के विषय पर भी सहमति बनाने का आग्रह किया जिससे प्रगति की गति निर्बाध रहे।

12वें राष्ट्रीय मतदाता दिवस पर अपने संदेश में उपराष्ट्रपति नायडू ने कहा कि यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि एक भी मतदाता न छूटे। उन्होंने मतदाताओं से कहा कि चुनावों में उम्मीदवार के गुण दोष की जांच कर, उस के आधार पर मत देने का निर्णय करें। उपराष्ट्रपति कोविड से संक्रमित हैं तथा उन्होंने स्वयं को हैदराबाद में अपने आवास पर ही आइसोलेट कर लिया है। नई दिल्ली में इस आयोजन में उनकी अनुपस्थिति में उनका वक्तव्य पढ़ा गया।

1952 में पहली लोकसभा के लिए हुए आम चुनावों में 44.87% मत प्रतिशत रहा था जो 2019 में 17वीं लोकसभा के लिए हुए आमचुनावों में लगभग 50% बढ़ कर 67.40% तक पहुंच गया। इस उपलब्धि के लिए उपराष्ट्रपति ने सभी संबद्ध हितधारकों की सराहना की। विगत 70 वर्षों में लगातार बेहतरी हासिल करने के चुनाव आयोग के निरंतर प्रयासों की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि आयोग ने एक विश्वसनीय, जवाबदेह और प्रगतिशील संस्था के रूप में अपनी प्रतिष्ठा स्थापित की है जिस पर लोकतंत्र के हर हिमायती को गौरव करना चाहिए।

उपराष्ट्रपति ने कहा कि हमारे चुनावी लोकतंत्र को अधिक समावेशी बनाने के लिए हर चुनाव में मत प्रतिशत बढ़ाना और मतदाताओं की भागीदारी बढ़ाने के रास्ते में आने वाली बाधाओं का समाधान करना, ये चुनाव आयोग के सामने चुनौती रही है।

उपराष्ट्रपति ने आह्वाहन किया कि आज़ादी के 75वें वर्ष में यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि कोई भी मतदाता न छूटे तथा अगले आम चुनावों के लिए 75% प्रतिशत मतदान हासिल करने का लक्ष्य रखा जाय। उन्होंने कहा कि यह ध्यान रखा जाना चाहिए कि मताधिकार महज अधिकार नहीं बल्कि एक दायित्व है। उपराष्ट्रपति नायडू ने हमारी संघीय व्यवस्था के तीनों स्तरों के चुनाव एक साथ कराए जाने पर विचार विमर्श करने तथा एक राष्ट्र के रूप में सहमति बनाने का आग्रह किया जिससे चुनावों के बाद जन कल्याण और प्रगति की गति निर्बाध बनी रहे।

2009 के आम चुनावों में 58.21% मतदान प्रतिशत, 2014 के आम चुनावों में 8% बढ़ कर 66.44% पहुंच गया। इस परिपेक्ष्य में, उपराष्ट्रपति ने कहा कि अगले आम चुनावों में 75% मतदान प्रतिशत का लक्ष्य हासिल करना नितांत संभव है जबकि 2019 के आम चुनावों में मतदान प्रतिशत 67.40% तक रहा। उन्होंने चुनाव आयोग द्वारा मतदाताओं की भागीदारी बढ़ाने के लिए 2009 से शुरु किए गए Systematic Voter Education and Electoral Participation (SVEEP) कार्यक्रम की सराहना की।

सत्तर वर्षों में पहली बार, 2019 के आम चुनावों में महिला मतदाताओं का मत प्रतिशत पुरुष मतदाताओं के मुकाबले 0.17% अधिक रहा। उपराष्ट्रपति ने इसे लैंगिक विभेद समाप्त करने की दिशा में एक शुभ संकेत बताया। ध्यातव्य है कि 1962 के आम चुनावों में पुरुष मतदाताओं का प्रतिशत महिला मतदाताओं के मुकाबले 16.71% अधिक था।

उपराष्ट्रपति नायडू ने चुनावी मामलों के शीघ्र समाधान पर बल दिया। और कहा कि प्रबुद्ध नागरिक उम्मीदवारों के गुण दोष के आधार पर निर्णय कर मतदान करें। उन्होंने आयोग से आग्रह किया कि वह नवीन प्रणालियां विकसित करे तथा चुनाव प्रक्रिया को मतदाताओं के लिए अधिक सुगम्य बनाने और उसे अधिक विश्वसनीय बनाने हेतु टेक्नोलॉजी समाधान अपनाए। इस संदर्भ में उन्होंने विगत वर्ष के पांच राज्य विधान सभा चुनावों का जिक्र किया जब कोविड प्रतिबंधों और प्रोटोकॉल के बावजूद भी 74 से 84 प्रतिशत तक मतदान हुआ।

इस वर्ष के 12वें राष्ट्रीय मतदाता दिवस समारोह का विषय “Making Our Elections inclusive, Accessible and Participative” है। चुनाव आयोग की स्थापना, हमारे गणतांत्रिक संविधान के लागू होने से एक दिन पूर्व ही 25 जनवरी 1950 को हुई थी। अतः 25 जनवरी को राष्ट्रीय मतदाता दिवस के रूप में मनाया जाता है।

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