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NITI Aayog launched the 4th edition of “Trade Watch Quarterly” in New Delhi
भारत

नीति आयोग ने नई दिल्ली में “ट्रेड वॉच क्वार्टरली” के चौथे संस्करण का शुभारंभ किया

वित्त वर्ष 2024-25 की चौथी तिमाही के लिए “ट्रेड वॉच क्वार्टरली” के नवीनतम संस्करण में भारत के व्यापार प्रदर्शन का गहन मूल्यांकन किया गया है जिसमें माल और सेवाओं के रुझान, वैश्विक मांग में बदलाव और निर्यात विविधीकरण की संभावनाओं को शामिल किया गया है, साथ ही उच्च मांग वाले वैश्विक बाजारों में विविधता लाने की जरूरत को रेखांकित किया गया है। – बीवीआर सुब्रह्मण्यमसीईओनीति आयोग

वित्तीय वर्ष 2025 (जनवरी से मार्च) की चौथी तिमाही के लिए ट्रेड वॉच क्वार्टरली के चौथे संस्करण को 6 अक्टूबर, 2025 को नई दिल्ली में नीति आयोग के सीईओ बीवीआर सुब्रह्मण्यम ने जारी किया।

इस तिमाही के लिए भारत के व्यापार का व्यापक विश्लेषण प्रदान करने के अलावा, इस संस्करण में चमड़ा और फुटवियर क्षेत्र की पड़ताल की गई है, तथा इसकी रोजगार क्षमता, निर्यात अवसरों और वैश्विक बाजारों में अधिक प्रतिस्पर्धा की आवश्यकता पर जोर दिया गया है।

वित्त वर्ष 2025 की चौथी तिमाही के दौरान, भारत का व्यापार प्रदर्शन स्थिर रहा। कुल व्यापार 441 डॉलर का हुआ, जो साल-दर-साल 2.2 प्रतिशत की बढ़त है। खनिज ईंधन और कार्बनिक रसायनों में गिरावट के कारण व्यापारिक निर्यात में मामूली कमी देखी गयी, जबकि विद्युत मशीनरी, फार्मास्यूटिकल्स और अनाज जैसे क्षेत्रों में मजबूत वृद्धि दर्ज की गई। परमाणु रिएक्टरों, विद्युत मशीनरी और अकार्बनिक रसायनों की अधिक मांग की वजह से आयात में मामूली वृद्धि हुई। क्षेत्रीय तौर पर उत्तरी अमेरिका सबसे मजबूत निर्यात बाजार के रूप में उभरा, जिसमें 25 प्रतिशत की वृद्धि हुई और यह भारत के निर्यात का एक चौथाई हिस्सा था, जबकि यूरोपीय संघ, जीसीसी और आसियान को निर्यात धीमा रहा। यूएई ने सीईपीए के तहत सोने के प्रवाह से प्रेरित होकर रूस को भारत के दूसरे सबसे बड़े आपूर्तिकर्ता के रूप में पीछे छोड़ दिया,

ट्रेड वॉच क्वार्टरली के इस संस्करण में भारत के चमड़ा और फुटवियर निर्यात का भी आकलन किया गया है, जो 44 लाख लोगों को रोजगार देता है और निर्यात में महत्वपूर्ण योगदान देता है। प्रसंस्कृत चमड़ा और विशिष्ट परिधानों के क्षेत्र में भारत प्रतिस्पर्धी बना हुआ है, लेकिन 296 अरब डॉलर के वैश्विक बाजार में इसकी कुल हिस्सेदारी 1.8 प्रतिशत के मामूली स्तर पर है। वैश्विक मांग के गैर-चमड़ा और टिकाऊ उत्पादों की ओर तेज़ी से बढ़ने के साथ, भारत के सामने चुनौतियां अधिक और अवसर कम हैं। एमएसएमई को मज़बूत करना, अनुसंधान एवं विकास में निवेश करना, और हरित एवं डिज़ाइन-संचालित मूल्य श्रृंखलाओं के साथ जुड़ना भारत की वैश्विक उपस्थिति बढ़ाने के लिए महत्वपूर्ण होगा।

इस अवसर पर बी.वी.आर. सुब्रह्मण्यम ने भारत की व्यापार गतिशीलता का व्यापक मूल्यांकन प्रस्तुत करने के लिए टीम को बधाई दी और कहा कि सेवा निर्यात, एयरोस्पेस और उच्च-मूल्य विनिर्माण क्षेत्र लचीलेपन को बढ़ावा दे रहे हैं। उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि भारत को उभरते मांग पैटर्न के साथ तेज़ी से तालमेल बिठाना होगा, अपने निर्यात आधार में विविधता लानी होगी, और गैर-चमड़ा फुटवियर तथा वैश्विक मूल्य श्रृंखलाओं में प्रतिस्पर्धात्मकता बढ़ानी होगी। इसके साथ ही भारत को व्यापार में भू-राजनीतिक बदलावों पर भी कड़ी नज़र रखनी होगी।

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