केंद्र सरकार ने शुक्रवार को एक राष्ट्रव्यापी अभियान शुरू किया, जिसके तहत 194 जिलों में विशेष रूप से कमजोर जनजातीय समूहों (पीवीटीजी) को प्रधानमंत्री जनजाति आदिवासी न्याय महाअभियान (पीएम-जनमन) के फायदों के बारे में सूचित करने के साथ ही उन तक लाभ पहुंचाया जाएगा। यह अभियान 10 सितंबर तक चलेगा।
जनजातीय कार्य मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि विभाग के मंत्री जुएल उरांव और उनके राज्य मंत्री दुर्गादास उइके ने बृहस्पतिवार को पीएम-जनमन की प्रगति की समीक्षा की और अभियान की तैयारियों पर चर्चा की। भारत में अनुसूचित जनजाति (एसटी) की आबादी 10.45 करोड़ है।
18 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेश अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में 75 समुदायों को पीवीटीजी के रूप में चिन्हित किया गया है। पीवीटीजी को सामाजिक, आर्थिक और शैक्षिक क्षेत्रों में कई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है।
पिछले साल 15 नवंबर को झारखंड में जनजातीय गौरव दिवस पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा शुरू किए गए पीएम-जनमन का उद्देश्य पीवीटीजी परिवारों को आवास, स्वच्छ पानी, स्वच्छता, शिक्षा, स्वास्थ्य देखभाल और बेहतर सड़क और दूरसंचार संपर्क जैसी आवश्यक सेवाएं प्रदान करना है। बीते साल इसी तरह का अभियान 100 जिलों तक पहुंचा, जिसमें 500 ब्लॉक और 15,000 पीवीटीजी बस्तियां शामिल थीं।
मंत्रालय का कहना है कि इस वर्ष का अभियान अधिक व्यापक होगा और इसका लक्ष्य 17 राज्यों और अंडमान और निकोबार द्वीप समूह के 194 जिलों की 28,700 बस्तियों में 44.6 लाख पीवीटीजी व्यक्तियों तक पहुंचना है। यह अभियान राज्यों से लेकर गांवों तक सभी स्तरों पर जागरूकता फैलाएगा, जिसमें 16,500 गांव, 15,000 ग्राम पंचायत और 1,000 तालुका शामिल होंगे। मंत्रालय ने कहा कि अभियान का लक्ष्य प्रत्येक पीवीटीजी परिवार तक पहुंचना होगा। इससे जुड़े कार्यक्रम स्थानीय बाजारों, सामुदायिक केंद्रों और अन्य सामान्य स्थानों पर आयोजित किए जाएंगे।
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