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पीएम गतिशक्ति के तहत नेटवर्क प्लानिंग ग्रुप की 78वीं बैठक में 18 सड़क परियोजनाओं का मूल्यांकन किया गया

पीएम गतिशक्ति पहल के तहत नेटवर्क प्लानिंग ग्रुप (एनपीजी) की 78वीं बैठक नई दिल्ली में आयोजित की गई, जिसकी अध्यक्षता उद्योग संवर्धन और आंतरिक व्यापार विभाग (डीपीआईआईटी) के अतिरिक्त सचिव, श्री राजीव सिंह ठाकुर ने की। इस बैठक में सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय (एमओआरटीएच) द्वारा प्रस्तावित सड़क से जुड़ी बुनियादी ढांचे की अठारह महत्वपूर्ण परियोजनाओं के मूल्यांकन पर ध्यान केन्द्रित किया गया। तमिलनाडु, केरल, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, ओडिशा और बिहार सहित विभिन्न राज्यों में फैली ये परियोजनाएं पीएम गतिशक्ति राष्ट्रीय मास्टर प्लान (एनएमपी) में उल्लिखित एकीकृत योजना के सिद्धांतों के अनुरूप हैं।

तमिलनाडु और केरल में परियोजनाएं

मदुरै-कोल्लम आईसीआर (दो परियोजनाएं): यह मार्ग दो अलग-अलग परियोजनाओं में विकसित किया गया है क्योंकि यह सड़क गलियारा दो राज्यों यानी तमिलनाडु और केरल से होकर गुजर रहा है। चार-लेन वाला यह गलियारा 129.92 किलोमीटर (तमिलनाडु में 68.30 किलोमीटर और केरल में 61.62 किलोमीटर) लंबा है। इन दोनों परियोजनाओं का उद्देश्य यात्रा की दूरी को कम करना और प्रमुख आर्थिक केन्द्रों के बीच कनेक्टिविटी को बढ़ाना है, जिससे उद्योगों और स्थानीय अर्थव्यवस्थाओं को सीधे लाभ होगा। इस गलियारे से यात्रा की दूरी 10 किलोमीटर कम होने और औसत गति दोगुनी होने की उम्मीद है, जिससे माल ढुलाई में उल्लेखनीय वृद्धि होगी और यात्रा में लगने वाला समय कम हो जाएगा।

मदुरै-धनुषकोडी राजमार्ग: कुल 46.67 किलोमीटर लंबा चार-लेन वाला यह खंड प्रमुख धार्मिक एवं पर्यटन स्थलों तक कनेक्टिविटी में सुधार और संबंधित क्षेत्र में आर्थिक गतिविधियों को बढ़ाने पर केन्द्रित है।

चेन्नई-महाबलीपुरम-पांडिचेरी गलियारा: इस 46.05 किलोमीटर लंबी चार-लेन वाली परियोजना का उद्देश्य आर्थिक गलियारों के साथ तटीय क्षेत्रों की कनेक्टिविटी को बढ़ाना है, जो पर्यटन और स्थानीय उद्योगों को बढ़ावा देने की दृष्टि से महत्वपूर्ण है।

थोप्पुर घाट खंड के संरेखण में सुधार: तमिलनाडु के पहाड़ी इलाके में 6.60 किलोमीटर की उच्च क्षमता वाली आठ-लेन वाली सड़क परियोजना यातायात की भीड़भाड़ के लिए जाने जाने वाले महत्वपूर्ण खंड की सुरक्षा और दक्षता बढ़ाने पर केन्द्रित है।

कर्नाटक और मध्य प्रदेश में परियोजनाएं

बेलगावी रिंग रोड (एनएच848आर): 75.39 किलोमीटर लंबी चार-लेन वाली इस सड़क का उद्देश्य शहरी यातायात को कम करना, यात्रा में लगने वाले समय को कम करना और कर्नाटक में स्थित औद्योगिक केन्द्रों की कनेक्टिविटी को बढ़ाना है।

तुमकुर बाईपास: 44.10 किलोमीटर लंबी चार-लेन वाली इस रणनीतिक बाईपास राजमार्ग का उद्देश्य तुमकुर शहर के चारों ओर यातायात के प्रवाह को सुव्यवस्थित करना, भीड़भाड़ को कम करना और लॉजिस्टिक्स संबंधी दक्षता को बढ़ाना है।

भोपाल-सागर आर्थिक गलियारा: आर्थिक विकास का समर्थन करते हुए मध्य प्रदेश के मध्य भाग में निर्बाध कनेक्टिविटी की सुविधा प्रदान करने के लिए चार-लेन वाला 138.00 किलोमीटर लंबा सड़क गलियारा बनाया गया है।

ग्वालियर शहर का पश्चिमी बाईपास: इस चार-लेन वाला 56.90 किलोमीटर लंबे बाईपास का उद्देश्य शहरी आवागमन में सुधार करना और ग्वालियर में भीड़भाड़ को कम करना है, जिससे इस क्षेत्र की आर्थिक संभावनाएं बढ़ेंगी।

अयोध्या नगर बाईपास: मध्य प्रदेश के भोपाल में कनेक्टिविटी बढ़ाने और यातायात की भीड़भाड़ को कम करने के लिए छह-लेन वाला 16.44 किलोमीटर लंबा बाईपास बनाया गया है।

महाराष्ट्र और तेलंगाना में परियोजनाएं

अहमदनगर-सोलापुर गलियारा: चार-लेन वाली 59.22 किलोमीटर लंबी इस सड़क परियोजना का उद्देश्य क्षेत्रीय औद्योगिक विकास का समर्थन करते हुए महाराष्ट्र में कनेक्टिविटी में सुधार करना है।

तालेगांव-चाकन-शिक्रापुर गलियारा: चार-लेन वाली 59.22 किलोमीटर लंबी इस सड़क परियोजना से माल ढुलाई के सुव्यवस्थित होने की उम्मीद है, जिससे पुणे के निकट स्थित औद्योगिक क्षेत्रों को लाभ होगा।

जगतियाल-करीमनगर राजमार्ग: तेलंगाना में कुल 58.87 किलोमीटर लंबी चार-लेन वाली यह सड़क परियोजना, राज्य में कनेक्टिविटी बढ़ाने और आर्थिक गतिविधियों का समर्थन करने की दृष्टि से महत्वपूर्ण है।

आर्मूर-जगतियाल-मंचेरियल राजमार्ग: तेलंगाना में जगतियाल-करीमनगर राजमार्गों के हाई-स्पीड कॉरिडोर का विस्तार करने वाली यह चार-लेन वाली 131.90 किलोमीटर लंबी सड़क परियोजना राज्य के भीतर कनेक्टिविटी बढ़ाएगी और प्रमुख बाजारों व आर्थिक केन्द्रों तक पहुंच को बेहतर करेगी।

आंध्र प्रदेश, ओडिशा और बिहार में परियोजनाएं

बडवेल-नेल्लोर गलियारा: आंध्र प्रदेश में 108.13 किलोमीटर लंबी चार-लेन वाली राजमार्ग की यह परियोजना कृषि क्षेत्रों और बाजारों के बीच कनेक्टिविटी बढ़ाएगी, कृषि-अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देगी।

संबलपुर रिंग रोड: ओडिशा में 35.38 किलोमीटर लंबी चार-लेन वाली यह सड़क परियोजना, क्षेत्र में आर्थिक केन्द्रों और प्रमुख बंदरगाहों के निकट भीड़भाड़ को कम करने और औद्योगिक विकास का समर्थन करने की दृष्टि से आवश्यक है।

कटक पारादीप गलियारा: ओडिशा में 86.79 किलोमीटर लंबा चार-लेन वाला यह राजमार्ग पारादीप बंदरगाह के आर्थिक केन्द्रों के लिए एक महत्वपूर्ण संपर्क है, जो अन्य उच्च क्षमता वाले राजमार्गों से भी जुड़ता है। यह इस क्षेत्र के सामाजिक-आर्थिक विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।

बाकरपुर-मानिकपुर-साहेबगंज-अरेराज-बेतिया राजमार्ग: बिहार में चार-लेन वाली 162.95 किलोमीटर लंबी यह ग्रीनफील्ड सड़क परियोजना घनी आबादी वाले क्षेत्रों में आर्थिक अवसरों की सुलभता को बेहतर बनाने पर केन्द्रित है।

एनपीजी ने पीएम गतिशक्ति के सिद्धांतों – मल्टीमॉडल बुनियादी ढांचे का एकीकृत विकास, आर्थिक एवं सामाजिक केन्द्रों के लिए अंतिम-छोर तक कनेक्टिविटी, इंटरमॉडल कनेक्टिविटी और समन्वित कार्यान्वयन – के आधार पर सभी अठारह परियोजनाओं का मूल्यांकन किया। इन परियोजनाओं से परिवहन के विभिन्न साधनों को एकीकृत करके और पर्याप्त सामाजिक-आर्थिक लाभ प्रदान करके राष्ट्र-निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने की उम्मीद है, जिससे इन क्षेत्रों के समग्र विकास में योगदान मिलेगा।

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