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3 more wetlands added to the list of Ramsar sites - Union Environment Minister Bhupendra Yadav
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रामसर स्थलों की सूची में 3 और वैटलैंड्स जुड़ीं- केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेन्द्र यादव

केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री श्री भूपेन्द्र यादव ने स्वतंत्रता दिवस 2024 की पूर्व संध्या पर कहा कि भारत ने तीन और वैटलैंड्स को को रामसर साइटों के रूप में नामित करके अपनी रामसर साइटों (अंतर्राष्ट्रीय महत्व की वैटलैंड्स) की संख्या मौजूदा 82 से बढ़ाकर 85 कर दी है। एक्स पर एक पोस्ट में, श्री यादव ने स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर तीन रामसर साइटों को शामिल करने पर खुशी व्यक्त की।

श्री यादव ने कहा कि यह उपलब्धि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी द्वारा प्रकृति के साथ सामंजस्य स्थापित करने, हमारी वैटलैंड्स को अमृत धरोहर कहने और उनके संरक्षण के लिए निरंतर काम करने पर दिए गए जोर को दर्शाती है।

केंद्रीय मंत्री ने तमिलनाडु और मध्य प्रदेश राज्यों को बधाई दी जिनकी वैटलैंड्स को रामसर स्थलों में जोड़ा गया है। श्री यादव ने यह भी कहा कि भारत को यह संकल्प लेने की जरूरत है कि विकसित भारत एक ग्रीन भारत है।

इस वृद्धि के साथ, देश में रामसर स्थलों का क्षेत्रफल 1358067.757 हेक्टेयर तक पहुंच गया। शामिल किए गए तीन नए स्थल तमिलनाडु में नंजरायन पक्षी अभयारण्य और काज़ुवेली पक्षी अभयारण्य और मध्य प्रदेश में तवा जलाशय हैं। ये नई नामित साइटें देश में वैटलैंड्स संरक्षण और प्रबंधन के लिए पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय की ओर से महत्वपूर्ण नीतिगत प्रोत्साहन इसका प्रमाण हैं।

भारत 1971 में रामसर, ईरान में हस्ताक्षरित रामसर कन्वेंशन के अनुबंध पक्षों में से एक है। भारत 1 फरवरी 1982 को कन्वेंशन का हस्ताक्षरकर्ता बन गया। 1982 से 2013 के दौरान, कुल 26 साइटों को रामसर साइटों की सूची में जोड़ा गया था। हालाँकि, 2014 से 2024 के दौरान, देश ने रामसर साइटों की सूची में 59 नई वैटलैंड्स जोड़ी हैं।

वर्तमान में, तमिलनाडु में सबसे अधिक संख्या में रामसर साइटें (18 साइटें) हैं, इसके बाद उत्तर प्रदेश (10 साइटें) हैं।

नई नामित हुई रामसर साइटों की लिस्ट

क्रमांक.रामसर साइट का नामनामित होने की तिथिराज्यकुल एरिया (हेक्टेयर में)
1नंजरायन पक्षी अभयारण्य:16.01.2024तमिलनाडु125.865
2काज़ुवेली पक्षी अभयारण्य16.01.2024तमिलनाडु5151.6
3तवा जलाशय08.01.2024मध्य प्रदेश20050

कुल: 25327.465

85 रामसर साइटों के नामित होने की वर्षवार जानकारी

क्रमांकनामित होने का सालनामित हुई साइटों की संख्या2013 तक नामित साइटें और 2014 से अब तक नामित साइटेंहेक्टेयर में एरिया
11981226(1981 to 2013) 633871
219904
3200213
420056
520121
620191159(2014 to 2024) 724196.757
720205
8202114
9202219
10202410
 Total85851358067.757
  1. नंजरायन पक्षी अभयारण्य:

नंजरायन झील एक बड़ी उथली वैटलैंड है जो तमिलनाडु में तिरुपुर जिले के उथुकुली तालुक के उत्तर-पूर्वी क्षेत्र में स्थित है। इस क्षेत्र में वैटलैंड्स मुख्य रूप से मौसम की स्थिति पर निर्भर करती हैं, विशेषकर नल्लार जल निकासी से भारी वर्षा जल प्रवाह पर। नंजरायन झील तिरुप्पुर जिले के सरकार पेरियापलायम गांव के पास 125.865 हेक्टेयर क्षेत्र में तिरुप्पुर शहर से लगभग 10 किमी उत्तर में तिरुप्पुर-उथुकुली मुख्य सड़क पर स्थित है। झील दो गांवों (सरकार पेरियापलायम और नेरुपेरीचल) के अंतर्गत आती है। झील का नाम इस तथ्य के कारण पड़ा कि इसकी मरम्मत और जीर्णोद्धार राजा नन्जारायण ने किया था, जो कई शताब्दियों पहले इस क्षेत्र पर शासन कर रहे थे।

इसके अलावा, झील के अंदर और उसके आसपास पक्षियों की लगभग 191 प्रजातियाँ, तितलियों की 87 प्रजातियाँ, उभयचरों की 7 प्रजातियाँ, सरीसृपों की 21 प्रजातियाँ, छोटे स्तनधारियों की 11 प्रजातियाँ और पौधों की 77 प्रजातियाँ दर्ज की गई हैं। यह स्थल निवासी पक्षी प्रजातियों के लिए भोजन और घोंसले के आवास के रूप में कार्य करता है, प्रवासी मौसम के दौरान प्रवासी पक्षी इस झील का उपयोग अपने भोजन स्थल के रूप में करते हैं। यह झील क्षेत्र में कृषि प्रयोजन के लिए महत्वपूर्ण जल स्रोत के रूप में भी काम करती है। यह झील भूजल पुनर्भरण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। इस झील को इसकी समृद्ध पक्षी विविधता के कारण तमिलनाडु राज्य का 17वां पक्षी अभयारण्य घोषित किया गया है। स्थानीय समुदाय ने झील और उसके आवास की रक्षा के लिए पहले से ही मजबूत संघ बना लिया है। वन विभाग स्थानीय समुदाय के सहयोग से स्थायी आधार पर झील का प्रबंधन करता है।

  1. काज़ुवेली पक्षी अभयारण्य

काज़ुवेली पक्षी अभयारण्य 5151.6 हेक्टेयर क्षेत्र को कवर करने वाले काज़ुवेली पक्षी अभयारण्य को वर्ष 2021 में तमिलनाडु में 16वें पक्षी अभयारण्य के रूप में घोषित किया गया था। यह पांडिचेरी के उत्तर में विल्लुपुरम जिले में कोरोमंडल तट पर स्थित एक खारी उथली झील है। यह झील खारे उप्पुकल्ली क्रीक और इदायनथिट्टू मुहाना द्वारा बंगाल की खाड़ी से जुड़ी हुई है। काज़ुवेली महत्वपूर्ण और जैव विविधता से समृद्ध वैटलैंड्स में से एक है। यह झील प्रायद्वीपीय भारत की सबसे बड़ी वैटलैंड्स में से एक है। पानी की विशेषताओं के आधार पर झील को तीन भागों में विभाजित किया जा सकता है, जैसे, खारे पानी वाला मुहाना भाग, समुद्री जल प्रदान करने वाली उप्पुकली खाड़ी और ताज़ा पानी वाला काज़ुवेली बेसिन।

    काज़ुवेली पक्षी अभयारण्य मध्य एशियाई फ्लाईवे में स्थित है और यह पक्षियों की प्रवासी प्रजातियों के लिए एक महत्वपूर्ण पड़ाव स्थल है और पक्षियों की निवासी प्रजातियों के लिए प्रजनन स्थल है, मछलियों के लिए प्रजनन स्थल है और जलभृतों के लिए एक प्रमुख पुनर्भरण स्रोत के रूप में कार्य करता है। खारे पानी वाले क्षेत्रों में एविसेनिया प्रजाति वाले अत्यधिक अवक्रमित मैंग्रोव पैच पाए जाते हैं। पहले के वर्षों में, यह क्षेत्र कथित तौर पर उष्णकटिबंधीय शुष्क सदाबहार वनों का आश्रय स्थल था। इस क्षेत्र में कई सौ हेक्टेयर में ईख (टाइफांगुस्टाटा) पाया जाता है।

    1. तवा जलाशय

    तवा जलाशय का निर्माण तवा और देनवा नदियों के संगम पर किया गया है। मालानी, सोनभद्र और नागद्वारी नदी तवा जलाशय की प्रमुख सहायक नदियाँ हैं। तवा नदी, बाएं किनारे की एक सहायक नदी है जो छिंदवाड़ा जिले में महादेव पहाड़ियों से निकलती है, बैतूल जिले से होकर बहती है और नर्मदापुरम जिले में नर्मदा नदी में मिल जाती है। यह नर्मदा नदी की सबसे लंबी सहायक नदी (172 किलोमीटर) है। तवा जलाशय इटारसी शहर के पास स्थित है। जलाशय का निर्माण मुख्यतः सिंचाई के उद्देश्य से किया गया था। हालाँकि बाद में इसका उपयोग बिजली उत्पादन और जलीय कृषि के लिए भी किया जाने लगा है। तवा जलाशय का कुल डूब क्षेत्र 20,050 हेक्टेयर है। जलाशय का कुल जलग्रहण क्षेत्र 598,290 हेक्टेयर है।

    तवा जलाशय वन विभाग, जिला नर्मदापुरम के प्रशासनिक नियंत्रण में आता है। जलाशय सतपुड़ा टाइगर रिजर्व के अंदर स्थित है और सतपुड़ा राष्ट्रीय उद्यान और बोरी वन्यजीव अभयारण्य की पश्चिमी सीमा बनाता है। जलाशय जलीय वनस्पतियों और जीवों विशेषकर पक्षियों और जंगली जानवरों के लिए महत्वपूर्ण है। यहाँ पौधों, सरीसृपों और कीड़ों की कई दुर्लभ और लुप्तप्राय प्रजातियाँ पाई जाती हैं। यह कई स्थानीय और प्रवासी पक्षियों के लिए एक महत्वपूर्ण निवास स्थान है। यह मध्य प्रदेश राज्य का सबसे बड़ा संरक्षित क्षेत्र है। यह क्षेत्र पारिस्थितिक, पुरातात्विक, ऐतिहासिक और वानिकी की दृष्टि से कई अनूठी विशेषताओं से संपन्न है।

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