insamachar

आज की ताजा खबर

5th Capacity Building Programme on ‘Public Policy and Governance’ for Cambodian Civil Servants successfully concluded today at NCGG, New Delhi
भारत

कंबोडिया के सिविल अधिकारियों के लिए ‘सार्वजनिक नीति और शासन’ विषय पर 5वां क्षमता निर्माण कार्यक्रम आज NCGG, नई दिल्ली में सफलतापूर्वक संपन्न हुआ

राष्ट्रीय सुशासन केंद्र, (एनसीजीजी) नई दिल्ली में आज कंबोडिया के सिविल अधिकारियों के लिए आयोजित ‘सार्वजनिक नीति और शासन’ विषय पर 5वां क्षमता निर्माण कार्यक्रम सफलतापूर्वक संपन्न हुआ। 2-सप्ताह का यह कार्यक्रम विदेश मंत्रालय (एमईए) के सहयोग से 24 जून से 5 जुलाई, 2024 तक आयोजित किया गया। कार्यक्रम में कंबोडिया साम्राज्य के 40 सिविल अधिकारियों ने भाग लिया, जो सिविल सेवा मंत्रालय और कंबोडिया की सीनेट के संयुक्त सचिव, निदेशक, उप सचिव और अवर सचिव जैसे पदों पर हैं। कार्यक्रम ने नीति संवाद और सर्वोत्तम तौर-तरीकों को साझा करने के लिए एक मंच प्रदान किया, जिससे प्रतिभागियों को संस्थागत परिवर्तन और नागरिक सहभागिता में मूल्यवान अंतर्दृष्टि प्राप्त करने में मदद मिली।

समापन सत्र की अध्यक्षता राष्ट्रीय सुशासन केंद्र (एनसीजीजी) के महानिदेशक (डीजी) और प्रशासनिक सुधार एवं लोक शिकायत विभाग (डीएआरपीजी), भारत सरकार के सचिव वी. श्रीनिवास ने की, जिन्होंने दोनों देशों के बीच लंबे समय से चले आ रहे मैत्रीपूर्ण और ऐतिहासिक संबंधों के महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि नागरिक और सरकार के बीच आपसी सहभागिता को सरल बनाना सिविल अधिकारियों की भूमिका होती है। शिकायत निवारण मॉडल से कई उदाहरण पेश करते हुए उन्होंने विस्तार से बताया कि कैसे प्रौद्योगिकी ने पारदर्शिता और जवाबदेही को बेहतर बनाते हुए नागरिकों को सरकार के करीब लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। उन्होंने उत्कृष्ट और सार्थक प्रस्तुतियाँ देने के लिए प्रतिभागी अधिकारियों की सराहना की।

इस अवसर पर भारत में कंबोडिया साम्राज्य के उच्चायुक्त व मुख्य अतिथि कोय कुओंग ने दोनों सभ्यताओं के बीच प्राचीन संबंधों के बारे में बात की और अपने अधिकारियों के क्षमता निर्माण में समर्थन करने के लिए भारत सरकार को धन्यवाद दिया। उन्होंने विस्तार से बताया कि किस तरह दोनों देश ज्ञान और बुद्धि का आदान-प्रदान कर रहे हैं और लोग तीर्थयात्रा तथा चिकित्सा आवश्यकताओं के लिए एक-दूसरे देशों की यात्रा कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि समापन सत्र के दौरान प्रतिभागियों द्वारा कार्यक्रम से सीखी गई बातों को व्यावहारिक और उत्कृष्ट प्रस्तुतियों के रूप में प्रदर्शित करना उत्साहजनक था। उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि द्विपक्षीय संबंध दोनों देशों के बीच सहयोग के मूल में हैं, जिसका उद्देश्य दोनों देशों की मानव संसाधन पूंजी का निर्माण करना है, जो आम लोगों की आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए आवश्यक है तथा जिससे सुशासन प्राप्त करने में मदद मिलती है।

कंबोडिया की सीनेट की उप महानिदेशक और कंबोडिया प्रतिनिधिमंडल की प्रमुख से पग्नवथे ने इस अवसर के लिए भारत सरकार का आभार व्यक्त किया। उन्होंने कंबोडियाई सिविल सेवा अधिकारियों के लिए इस तरह के प्रशिक्षण कार्यक्रम के आयोजन के लिए एनसीजीजी के महानिदेशक वी. श्रीनिवास और प्रशिक्षण टीम को भी धन्यवाद दिया। उन्होंने विस्तार से बताया कि कैसे उन्होंने सार्वजनिक नीति और शासन के क्षेत्र में कई सर्वोत्तम तौर-तरीकों को सीखा और कैसे भारत में प्रौद्योगिकी का लाभ उठाया जा रहा है। उनका मानना था कि वे इस तरह के अनुभव की प्रतीक्षा कर रहे हैं और इससे अधिकारी अपने देश के लोगों को बेहतर सेवाएं दे सकेंगे और इससे अंततः सुशासन प्राप्त करने में मदद मिलेगी।

सीखने के परिणामों के हिस्से के रूप में भाग लेने वाले अधिकारियों ने “कंबोडिया में नीति निर्माण और कार्यान्वयन में सिविल सेवाओं की भूमिका”, “कंबोडिया में सामाजिक संरक्षण”, “कंबोडिया हाइब्रिड डिजिटल 2050 की ओर” और “नीति निर्माण और कार्यान्वयन में कंबोडिया संसद की भूमिका” विषयों पर चार विस्तृत और व्यावहारिक प्रस्तुतियाँ दीं।

एनसीजीजी के एसोसिएट प्रोफेसर और कार्यक्रम के पाठ्यक्रम समन्वयक डॉ. बी.एस. बिष्ट ने कार्यक्रम के बारे में विस्तृत जानकारी दी। उन्होंने कहा कि प्रशिक्षण के पहले सप्ताह में विभिन्न विषयों पर ध्यान केंद्रित किया गया, जिसमें सार्वजनिक नीति और प्रबंधन, जीईएम: सरकारी खरीद में पारदर्शिता लाना, भारतीय संवैधानिक योजना में संसद, भारत-कंबोडिया संबंध, अवसंरचना में सार्वजनिक-निजी भागीदारी, सुशासन के लिए एक उपकरण के रूप में आधार, स्वास्थ्य शासन, शासन पर संसदीय उपकरणों का प्रभाव, विभिन्न विकास योजनाओं के सर्वोत्तम तौर-तरीके, 2023 तक एसडीजी प्राप्त करने के दृष्टिकोण, विकसित भारत: उद्योग और अवसंरचना में नीतियां और विकास, वित्तीय समावेश, शासन के बदलते प्रतिमान, नेतृत्व और संचार, शहरी शासन और स्थाई शहर, भारत में सिविल सेवाएं, घरों तक सेवाओं की उपलब्धता, ई-शासन और डिजिटल सार्वजनिक सेवा अदायगी, लैंगिक विकास और प्रशासन में नैतिकता, प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के अनुकरणीय निष्पादन पर पीएम पुरस्कार कार्यक्रम आदि शामिल थे। कार्यक्रम के दूसरे चरण में देहरादून में स्मार्ट सिटी परियोजना और सूचना प्रौद्योगिकी विकास एजेंसी; गौतम बुद्ध नगर, उत्तर प्रदेश में जिला प्रशासन; संघ लोक सेवा आयोग और भारतीय संसद के दौरे शामिल थे। कार्यक्रम में प्रधानमंत्री संग्रहालय, बुद्ध मंदिर और ताजमहल की यात्रा के दौरान देश के इतिहास और संस्कृति से भी परिचय कराया जाता है।

उल्लेखनीय है कि एनसीजीजी ने 17 देशों-बांग्लादेश, केन्या, तंजानिया, ट्यूनीशिया, सेशेल्स, गाम्बिया, मालदीव, श्रीलंका, अफगानिस्तान, लाओस, वियतनाम, नेपाल, भूटान, म्यांमार, इथियोपिया, इरेट्रिया और कंबोडिया के सिविल अधिकारियों को प्रशिक्षण दिया है।

समारोह में, एनसीजीजी की मुख्य प्रशासनिक अधिकारी प्रिस्का मैथ्यूज, एनसीजीजी की एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. हिमांशी रस्तोगी, एनसीजीजी की सहायक प्रोफेसर डॉ. गजाला हसन और अन्य उपस्थित थे। कार्यक्रम का पर्यवेक्षण और समन्वयन, पाठ्यक्रम समन्वयक डॉ. बी.एस. बिष्ट, सह-पाठ्यक्रम समन्वयक डॉ. संजीव शर्मा, प्रशिक्षण सहायक बृजेश बिष्ट और युवा पेशेवर मोनिशा बहुगुणा के साथ-साथ एनसीजीजी की क्षमता निर्माण टीम द्वारा किया गया।

LEAVE A RESPONSE

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा. आवश्यक फ़ील्ड चिह्नित हैं *