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63rd Convocation Week of Indian Agricultural Research Institute-ICAR, New Delhi began today with great academic fervour
भारत

भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान-ICAR, नई दिल्ली के 63वें दीक्षांत सप्ताह का आज शैक्षणिक उत्साह के साथ हुआ शुरू

भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान – भा.कृ.अनु.प., नई दिल्ली के 63वें दीक्षांत सप्ताह का शुभारंभ आज शैक्षणिक उत्साह के साथ हुआ। आज स्नातकोत्तर छात्रों (एम.एससी./एम.टेक.) के शोध प्रस्तुतिकरण आयोजित किए गए जिसमें विभिन्न विषयों (कृषि रसायन, कृषि अर्थशास्त्र, कृषि अभियांत्रिकी, कृषि प्रसार, कृषि भौतिकी, सस्य विज्ञान, जैव रसायन विज्ञान, जैव सूचना विज्ञान, कीट विज्ञान, पर्यावरण विज्ञान, पुष्पविज्ञान एवं भूदृश्य विज्ञान, फल विज्ञान, आनुवंशिकी एवं पौध प्रजनन, सूक्ष्म जीवविज्ञान, आणविक जीवविज्ञान एवं जैव प्रौद्योगिकी, पौध आनुवंशिक संसाधन, पादप रोग विज्ञान, पादप कार्यिकी, बीज विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी, मृदा विज्ञान और शाकीय विज्ञान) के छात्र-छात्राओं ने भाग लिया। इन प्रस्तुतिकरणों में भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (आईएआरआई) मेरिट मेडल और वर्ष के सर्वश्रेष्ठ छात्र पुरस्कार के लिए महत्वपूर्ण शोध उपलब्धियों को प्रदर्शित किया गया।

इस सत्र में चयनित छात्रों ने अपने शोध की प्रमुख उपलब्धियों और मुख्य विशेषताओं को प्रस्तुत किया। शोध के प्रमुख विषयों में राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के जल में ग्लाइफोसेट अवशेषों की स्थिति और इसकी मृदा में अवशोषण प्रक्रिया; लिंग-आधारित अध्ययन जिसमें धान किसानों द्वारा प्रजातियों को अपनाने, लक्षण वरीयता और मूल्य संवर्धन का विश्लेषण शामिल है: ओडिशा के चयनित प्रतिकूल परिस्थितियों वाले जिलों का एक अध्ययन प्रमुख रहे; संचालित बेलनाकार लॉन घास काटने की मशीन का एर्गोनॉमिक मूल्यांकन;जलवायु परिवर्तन अनुकूलन और सतत आजीविका में ग्रामीण महिलाओं का नेतृत्व; गेहूं (ट्रिटिकम एस्टिवम एल.) में विभिन्न सिंचाई और नाइट्रोजन स्तरों के तहत ड्रोन आधारित जल तनाव की निगरानी; विभिन्न नाइट्रोजन स्तरों के लिए जैव-भौतिक मॉडलिंग का उपयोग करके पहाड़ी पारिस्थितिकी तंत्र में धान की उत्पादकता में अंतर का विश्लेषण; अंतर्निहित ग्लाइसेमिक प्रतिक्रिया की भविष्यवाणी के लिए ग्लूकोज नैनोसेंसर का विकास और प्रमाणीकरण; एस एन पी-लक्षण संघों की पहचान के लिए जीनोम-वाइड एसोसिएशन स्टडीज-मॉड्यूल का एचटीपी-डी एपी के साथ एकीकरण; कृत्रिम बुद्धिमत्ता का उपयोग करके क्रूसीफेरस फसलों (ब्रैसिकेसी) से जुड़े कृषि-पारिस्थितिक रूप से महत्वपूर्ण कीटों की पहचान; बायोसर्फेक्टेंट का पृथक्करण, विशेषता निर्धारण और विभिन्न मृदाओं में हाइड्रोकार्बन अपघटन पर उनका प्रभाव; गेंदा (टैगेटेस एसपीपी.) की विभिन्न जीनोटाइप्स का इन विट्रो और इन विवो परिस्थितियों में अल्टरनेरिया पत्ती धब्बा रोग के प्रति परीक्षण; चयनित अखरोट (जुग्लान्स रेजिया एल.) जीनोटाइप्स के पोषण और खाद्य गुणों की अंतर्दृष्टि; मक्का के दानों में फोलेट संचयन की आनुवंशिक विविधता और आणविक विश्लेषण; पौध वृद्धि प्रोत्साहन के लिए जीवाणु एक्सोपॉलीसैकेराइड्स की संभावनाएं; भारत के विविध कृषि-जलवायु क्षेत्रों का प्रतिनिधित्व करने वाले बैसिलस थुरिंजिएंसिस आइसोलेट्स में चिटिनेज़ जीन की उपस्थिति और एंटिफंगल गतिविधि का विश्लेषण कर जैविक नियंत्रण की संभावनाओं का अन्वेषण; लफ़्फ़ा एक्यूटैंगुला एल. रॉक्सब. की पोषण संबंधी और आणविक विविधता का विश्लेषण; जू-स्ट्रिंग रोग से प्रभावित टमाटर के पौधों में संबंधित वायरस का लक्षण निर्धारण और डीएसआरएनए के बाहरी अनुप्रयोग के माध्यम से प्रबंधन; टिल्लेटिया इंडिका का लक्षण निर्धारण, जैव-एजेंट्स का मूल्यांकन, और गेहूं की कर्नाल बंट रोग के लिए प्रतिरोधी स्रोतों की पहचान; सूखे और ऊष्मा तनाव की प्रजनन अवस्था में सामान्य सेम (common bean) जीनोटाइप्स का शरीर क्रिया विज्ञान और जैव रसायन संबंधी लक्षण निर्धारण; निकट-अवरक्त स्पेक्ट्रोस्कोपी (NIRS) का उपयोग करके सरसों और रेपसीड में बीज सजीवता (Seed Vigour) की भविष्यवाणी; धान-रबी मक्का प्रणाली के तहत एक ऐल्फिसॉल में प्राकृतिक खेती के कार्बन अंश और मिट्टी के गुणों पर प्रभाव; फ्यूजेरियम ऑक्सीस्पोरम एफ. एस.पी. मेलोनजीने के प्रति प्रतिरोध के लिए बैंगन जीनोटाइप्स में आनुवंशिक विविधता का मूल्यांकन।

अध्यक्ष और निर्णायक मंडल के सदस्यों ने स्नातकोत्तर शोध की गुणवत्ता की सराहना की तथा कृषि विज्ञान की प्रगति के लिए गुणवत्तापूर्ण जानकारी उत्पन्न करने के लिए प्रेरित किया।

सत्र का संयोजन जैव रसायन विज्ञान संभाग के प्रोफेसर डॉ. अनिल दहूजा ने किया तथा सह-संयोजक भा.कृ.अनु.प.-भा.कृ.अनु.सं.,के सह अधिष्ठाता (स्नातकोत्तर विद्यालय) डॉ. अतुल कुमार थे।

इस सत्र की अध्यक्षता सीआईएमएमवाईटी के प्रतिष्ठित वैज्ञानिक और सीआईएमएमवाईटी-एशिया, एनएएससी कॉम्प्लेक्स, नई दिल्ली के क्षेत्रीय निदेशक डॉ बी एम प्रसन्ना ने की। प्रतिष्ठित निर्णायक मंडल के सदस्यों में डॉ जे पी शर्मा, पूर्व कुलपति, एसकेयूएएसटी, जम्मू एवं पूर्व संयुक्त निदेशक (प्रसार), भा.कृ.अनु.प.-भा.कृ.अनु.सं., नई दिल्ली; डॉ आर के जैन, पूर्व डीन और संयुक्त निदेशक (शिक्षा), भा.कृ.अनु.प.-भा.कृ.अनु.सं., नई दिल्ली; डॉ बिमलेश मान, सहायक महानिदेशक (ईपी एंड एचएस), भा.कृ.अनु.प., नई दिल्ली; डॉ वी बी पटेल, सहायक महानिदेशक (फल और बागान फसलें), भा.कृ.अनु.प., नई दिल्ली; डॉ एस के शर्मा, सहायक महानिदेशक (एचआरएम), भा.कृ.अनु.प., नई दिल्ली शामिल हैं।

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