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Launch of the second phase of the biennial nationwide mass drug administration campaign 2024 to eliminate lymphatic filariasis
भारत

लिम्फेटिक फाइलेरियासिस को खत्म करने के लिए द्विवार्षिक देशव्यापी सामूहिक औषधि प्रशासन अभियान 2024 के दूसरे चरण का शुभारंभ

केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्य मंत्री प्रतापराव गणपतराव जाधव ने लिम्फेटिक फाइलेरियासिस उन्मूलन के लिए द्विवार्षिक देशव्यापी मास ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (एमडीए) अभियान के दूसरे चरण को आज यहां वर्चुअल रूप से लॉन्च किया। इस अभियान का लक्ष्य बिहार, झारखंड, कर्नाटक, ओडिशा, तेलंगाना और उत्तर प्रदेश के 63 स्थानिक जिलों को शामिल करना है और यह स्थानिक क्षेत्रों में घर-घर जाकर निवारक दवाओं को खिलाने की सुविधा प्रदान करेगा, जिससे लिम्फेटिक फाइलेरियासिस को वैश्विक टारगेट से पहले खत्म करने का भारत का लक्ष्य आगे बढ़ेगा। इसके साथ ही, उन्मूलन प्रयासों के लिए एक स्पष्ट रूपरेखा प्रदान करने के लिए ‘लिम्फेटिक फाइलेरियासिस के उन्मूलन पर संशोधित दिशानिर्देश’ और आईईसी सामग्री का अनावरण किया गया।

इस कार्यक्रम में शामिल होने वाले राज्य स्वास्थ्य मंत्रियों में बन्ना गुप्ता (झारखंड), मंगल पांडे (बिहार), दामोदर राजनरसिम्हा (तेलंगाना), डॉ. मुकेश महालिंग (ओडिशा), जय प्रताप सिंह (उत्तर प्रदेश) और दिनेश गुंडू राव (कर्नाटक) शामिल थे।

अपने मुख्य भाषण में, प्रतापराव जाधव ने कहा कि “लिम्फेटिक फाइलेरियासिस, एक मच्छर जनित रोग है जिसे सरल उपायों के माध्यम से रोका जा सकता है, इसलिए, इसके संचरण को रोकने के लिए मास ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (एमडीए) दौर महत्वपूर्ण हैं।”

प्रतापराव जाधव ने सार्वजनिक स्वास्थ्य के प्रति सरकार की दृढ़ प्रतिबद्धता की पुष्टि करते हुए कहा, “मच्छरों के काटने से बचना और फाइलेरिया रोधी दवाइयों का सेवन जैसे निवारक उपाय लिम्फेटिक फाइलेरियासिस के संक्रमण को रोकने के लिए महत्वपूर्ण हैं, जो भारत के 20 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की आबादी को प्रभावित करता है। यह बीमारी न केवल स्वास्थ्य और कल्याण को प्रभावित करती है, बल्कि लिम्फेडेमा के कारण आजीवन विकलांगता का कारण भी बनती है, जो परिवारों को बुरी तरह प्रभावित करती है। आगामी एमडीए दौर में सफलता सुनिश्चित करने के लिए यह जरूरी है कि सभी पात्र आबादी का 90 प्रतिशत हिस्सा इन दवाओं का सेवन करे।” उन्होंने भारत में लिम्फेटिक फाइलेरियासिस की रोकथाम और उन्मूलन के लिए समर्पित प्रयासों की आवश्यकता पर जोर दिया।

प्रतापराव जाधव ने यह भी कहा कि मिट्टी के घरों में रहने वाले लोगों के लिए पक्के घर सुनिश्चित करने के प्रयास किए जा रहे हैं, जो उन्हें ऐसी बीमारियों के प्रति अधिक संवेदनशील बनाते हैं। उन्होंने कहा कि लिम्फेटिक फाइलेरियासिस के लिए एक टीका विकसित करने के प्रयास भी किए जाएंगे। उन्होंने इस बात पर भी प्रकाश डाला कि लिम्फेटिक फाइलेरियासिस से प्रभावित लोगों को दिव्यांगता प्रमाण पत्र प्रदान किए जाते हैं।

उन्होंने स्वयं दवा खाकर एमडीए अभियान का शुभारंभ किया और अभियान की सफलता में योगदान के लिए संबंधित मंत्रालयों, स्वयं सहायता समूहों और अन्य हितधारकों के समर्पण तथा प्रयासों की सराहना की।

राज्य के स्वास्थ्य मंत्रियों ने 2004 में लिम्फेटिक फाइलेरियासिस उन्मूलन कार्यक्रम की शुरुआत के बाद से लिम्फेटिक फाइलेरियासिस को खत्म करने की दिशा में अपनी उपलब्धियों और प्रयासों की चर्चा की। उन्होंने केंद्र सरकार को उनके अटूट समर्थन के लिए धन्यवाद दिया और इस बीमारी को खत्म करने के लिए अपनी प्रतिबद्धता का आश्वासन दिया।

स्वास्थ्य मंत्रालय की अपर सचिव और एमडी (एनएचएम) आराधना पटनायक ने कहा कि लिम्फेटिक फाइलेरियासिस एक रोकथाम योग्य बीमारी है और यह एमडीए अभियान वर्तमान में 6 राज्यों में शुरू किया जा रहा है। 10 अगस्त 2024 को एमडीए अभियान के दूसरे चरण के हिस्से के रूप में, 6 राज्यों के 63 जिले (38 ट्रिपल ड्रग और 25 डबल ड्रग) और 771 ब्लॉक एमडीए अभियान चला रहे हैं। उन्होंने कहा कि इस बार फोकस न केवल दवाओं के वितरण पर है बल्कि उनका सेवन भी सुनिश्चित करना है ताकि अभियान सफल हो सके।

स्वास्थ्य मंत्रालय की संयुक्त सचिव वंदना जैन ने इस बात पर जोर दिया कि “लिम्फेटिक फाइलेरिया, एक मच्छर जनित रोग है जिसे सरल उपायों के माध्यम से रोका जा सकता है, इसलिए, इसके संचरण को रोकने के लिए मास ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (एमडीए) दौर महत्वपूर्ण हैं।”

इस अवसर पर स्वास्थ्य सेवा महानिदेशक डॉ. अतुल गोयल, स्वास्थ्य मंत्रालय की संयुक्त सचिव वंदना जैन, राष्ट्रीय वेक्टर जनित रोग केंद्र की निदेशक डॉ. तनु जैन और केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी मौजूद थे।

लिम्फेटिक फाइलेरियासिस (एलएफ) जिसे आमतौर पर एलिफेंटियासिस (हाथीपांव) के नाम से जाना जाता है, दुर्बल करने वाली एक गंभीर बीमारी है जो गंदे/प्रदूषित पानी में पनपने वाले क्यूलेक्स मच्छर के काटने से फैलती है। यह संक्रमण आमतौर पर बचपन में होता है जिससे लिम्फेटिक सिस्टम को छिपी हुई क्षति होती है और इसके लक्षण (लिम्फोएडेमा, एलिफेंटियासिस और अंडकोष की सूजन/हाइड्रोसील) दिखाई देते हैं जो बाद में जीवन में दिखाई देते हैं और स्थायी दिव्यांगता का कारण बन सकते हैं।

लिम्फेटिक फाइलेरियासिस (हाथीपांव) एक प्राथमिकता वाली बीमारी है जिसे 2027 तक खत्म करने का लक्ष्य रखा गया है। वर्तमान में, एलएफ 20 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के 345 जिलों में रिपोर्ट किया गया है, जिसमें एलएफ का 90 प्रतिशत 8 राज्यों- बिहार, छत्तीसगढ़, झारखंड, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, ओडिशा, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल में है। भारत ने एक व्यापक पांच-आयामी रणनीति अपनाई है: मिशन मोड एमडीए, रुग्णता प्रबंधन और दिव्यांगता निवारण (एमएमडीपी), वेक्टर नियंत्रण (निगरानी और प्रबंधन), उच्च-स्तरीय प्रचार और एलएफ के उन्मूलन के लिए नवोन्‍मेषी दृष्टिकोण।

कुल स्थानिक जिलों में से 138 (40 प्रतिशत) ने मास ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन को रोक दिया और ट्रांसमिशन असेसमेंट सर्वे (टीएएस 1) संपन्‍न कर लिया, 13 राज्यों के 159 जिलों ने वार्षिक मास ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन आयोजित करने वाले एमएफ>1 की रिपोर्ट की और 41 जिले प्री टीएएस/टीएएस के विभिन्न चरणों में हैं, 5 जिले प्री टीएएस में विफल रहे (8 ब्लॉकों में एमएफ दर>1) और असम के 2 जिलों ने एमडीए को 2025 तक के लिए स्थगित कर दिया। 2023 तक, सभी स्थानिक जिलों से लिम्फोएडेमा के 6.19 लाख मामले और हाइड्रोसील के 1.27 लाख मामले सामने आए।

एमडीए अभियान

2027 तक एलएफ उन्मूलन के लिए उन्नत रणनीति के शुभारंभ के साथ लिम्फेटिक फाइलेरियासिस (एलएफ) को खत्म करने के भारत के प्रयासों में उल्लेखनीय प्रगति देखी गई है। इस रणनीति में मिशन मोड वार्षिक मास ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (एमडीए) अभियान शामिल है, जो राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस (एनडीडी) के साथ-साथ 10 फरवरी और 10 अगस्त को द्विवार्षिक रूप से आयोजित किया जाता है। 2023 में, एमडीए दो चरणों में आयोजित किया गया था और 12 राज्यों के 170 जिलों में राष्ट्रीय स्तर पर 82 प्रतिशत कवरेज तक पहुंच गया, जिसमें प्रत्यक्ष रूप से देखी गई खपत पर जोर दिया गया। 2024 में, एमडीए अभियान का पहला चरण 11 राज्यों के 96 जिलों में आयोजित किया गया और पात्र आबादी के मुकाबले 95 प्रतिशत की राष्ट्रीय कवरेज की सूचना दी गई।

एमडीए अभियान के सफल निष्पादन के लिए, पात्र आबादी के मुकाबले 90 प्रतिशत से अधिक लक्षित दवा अनुपालन प्राप्त करने के लिए सभी घरों को एंटी-फाइलेरिया दवा सेवन के महत्व के बारे में जानकारी प्रदान करना आवश्यक है। 10 अगस्त 2024 को एमडीए अभियान के दूसरे चरण के हिस्से के रूप में, 6 राज्यों के 63 जिलों (38 ट्रिपल ड्रग और 25 डबल ड्रग) और 771 ब्लॉकों में एमडीए अभियान चलाया जा रहा है।

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