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Union Environment Minister Bhupendra Yadav addressed a full session on the route of Net Zero Emission of India at Re-Invest Summit 2024
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केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने री-इन्वेस्ट समिट 2024 में भारत के नेट जीरो उत्सर्जन के मार्ग पर पूर्ण सत्र को संबोधित किया

केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेंद्र यादव ने आज गुजरात के महात्मा मंदिर गांधीनगर में री-इन्वेस्ट समिट 2024 में भारत के नेट जीरो उत्सर्जन के मार्ग पर पूर्ण सत्र को संबोधित किया। इस अवसर पर केंद्रीय नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री प्रहलाद जोशी भी उपस्थित थे। तीन दिवसीय शिखर सम्मेलन का उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 16 सितंबर को गुजरात के गांधीनगर के महात्मा मंदिर में किया।

शिखर सम्मेलन को संबोधित करते हुए भूपेंद्र यादव ने कहा की “पारिस्थितिकी तंत्र के संरक्षण, जैव विविधता, समाज के विकास और मानव संसाधनों के सर्वोत्तम उपयोग के लिए निरंतरता का मार्ग चुनना होगा। निरंतरता सुनिश्चित करने के लिए, नीति, तकनीकी हस्तक्षेप और क्षमता निर्माण के माध्यम से दुनिया के लिए एक उचित तकनीकी और प्रबंधन प्रणाली बनाई जानी चाहिए”। देशों को ऐसी कार्ययोजनाएँ विकसित करनी चाहिए जो समानता को प्राथमिकता दें, यह सुनिश्चित करें कि स्वास्थ्य, न्याय और समृद्धि सभी के लिए उपलब्ध हो। उन्होंने आगे कहा कि यह दृष्टिकोण सामाजिक समानता को बढ़ावा देगा और भावी पीढ़ियों के लिए प्राकृतिक संसाधनों की सुरक्षा करते हुए समावेशी, सतत आर्थिक विकास को सुगम बनाएगा।

केंद्रीय मंत्री यादव ने बताया कि भारत दुनिया की 17 प्रतिशत आबादी का प्रतिनिधित्व करता है, लेकिन वैश्विक उत्सर्जन में केवल 5 प्रतिशत का योगदान देता है। इसकी तुलना में विकसित देशों की 17 प्रतिशत आबादी 60 प्रतिशत उत्सर्जन में योगदान देती है। भारत की प्रति व्यक्ति खपत कम बनी हुई है और विकासशील देशों की ऊर्जा जरूरतों पर विचार किया जाना चाहिए। उन्होंने आगे कहा कि भारत ने अपनी विविधतापूर्ण भौगोलिक स्थिति जैसी चुनौतियों का सामना करने के बावजूद कार्बन उत्सर्जन को कम करने में महत्वपूर्ण प्रगति की है।

भूपेंद्र यादव ने कहा की प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भारत एकमात्र जी-20 देश है जिसने पेरिस समझौते के तीन मात्रात्मक राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान (एनडीसी) लक्ष्यों में से दो को निर्धारित समय से नौ साल पहले हासिल कर लिया है। भारत ने विकास वृद्धि और मानव विकास परिणामों को प्राप्त करने के लिए जलवायु कार्रवाई की है।

उन्होंने कहा कि मंत्रालय के मिशन लाइफ के अंतर्गत जीवन के लिए विचारों की पहचान सरकार के पहले सौ दिनों में की गई है, जिसमे जल बचाओ, ऊर्जा बचाओ, अपशिष्ट कम करो, ई-कचरा कम करो, एकल-उपयोग प्लास्टिक को नहीं कहो, सतत खाद्य प्रणाली अपनाओ और स्वस्थ जीवन शैली अपनाओ शामिल है।

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि 2070 तक नेट जीरो महत्वाकांक्षा को प्राप्त करने के लिए , अक्षय ग्रिड को मजबूत करने , कम कार्बन तकनीक विकसित करने और मांग पक्ष के मुद्दों का प्रबंधन करकने में निजी क्षेत्र की भागीदारी महत्वपूर्ण होगी। समावेशी, आर्थिक और पारिस्थितिक पहलुओं को ध्यान में रखते हुए उचित परिश्रम और एकीकृत कुशल और समावेशी कम कार्बन परिवहन प्रणालियों और सतत शहरीकरण के विकास के साथ जीवाश्म ईंधन संसाधनों के तर्कसंगत उपयोग की आवश्यकता है।

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि सरकार ने अधिक जैव-आधारित नीतिगत हस्तक्षेप शुरू किए हैं और एमएसएमई क्षेत्र को सशक्त बनाने के साथ-साथ ईंधन स्विचिंग, रीसाइक्लिंग, सर्कुलर अर्थव्यवस्था और ग्रीन हाइड्रोजन तकनीक को बढ़ावा देने पर भी काम कर रही है। भारत ग्लोबल साउथ देशो को सशक्त बनाने के लिए अंतर्राष्ट्रीय सहयोग पर काम कर रहा है और नए मात्रात्मक लक्ष्यों के साथ वित्तीय आवश्यकताओं का आकलन कोप-29 में फोकस क्षेत्र हैं। उन्होंने उल्लेख किया कि क्षमता निर्माण के लिए, जलवायु वित्त को उसी प्रकार से परिभाषित किया जाना चाहिए। ऊर्जा मंत्रालय ने कार्बन बाजार का विचार सामने रखा है और क्षमता निर्माण के लिए ग्रीन क्लाइमेट फंड की शुरुआत की है। उन्होंने आगे कहा कि क्षमता निर्माण और प्रौद्योगिकी हस्तांतरण की आर्थिक व्यवहार्यता अक्षय ऊर्जा बाजारों को विकसित करने की कुंजी है।

शिखर सम्मेलन में पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के पूर्व सचिव और भारतीय सौर ऊर्जा निगम के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक आर पी गुप्ता, भारत सरकार के विशेष कार्य अधिकारी पी के सिंह, हितधारक, विषय विशेषज्ञ और गणमान्य व्यक्ति शामिल हुए।

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