insamachar

आज की ताजा खबर

Home Minister Amit Shah addressed the 'Legislation Drafting Training' program at Gujarat Legislative Assembly today
भारत मुख्य समाचार

गृह मंत्री अमित शाह ने आज गुजरात विधान सभा में ‘विधान प्रारूपण प्रशिक्षण’ कार्यक्रम को संबोधित किया

केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने आज गुजरात विधानसभा में ‘विधान प्रारूपण प्रशिक्षण’ (Legislative Drafting Training) कार्यक्रम को संबोधित किया। इस अवसर पर गुजरात विधानसभा अध्यक्ष शंकर चौधरी और मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल सहित अनेक गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।

केन्द्रीय गृह मंत्री ने कहा कि ‘लेजिस्लेटिव ड्राफ्टिंग’ संविधान से चलने वाले देशों के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण और जरूरी कला है जो लुप्त होती जा रही है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में सरकार ने 10 साल पूरे किए, जिसमें भारत वैश्विक आकांक्षाओं का केंद्र बना और उसका मूल गुजरात विधानसभा ही है। प्रधानमंत्री मोदी जी ने पिछले 10 साल में जनकल्याण के अनेक कीर्तिमान रचने का कार्य किया है।

अमित शाह ने कहा कि ‘लेजिस्लेटिव ड्राफ्टिंग’ कानून का मूल है और इस कला के लुप्त होने से न केवल लोकतंत्र बल्कि राज्य और देश की जनता का भी नुकसान होगा। उन्होंने कहा कि कानून बनते समय अगर कानून बनाने की प्रक्रिया को समझे बिना ड्राफ्टिंग की जाए तो ऐसा कानून कभी अपने उद्देश्य को पूरा नहीं कर पाता। कैबिनेट नोट को बिल में तब्दील करने का काम ‘लेजिस्लेटिव ड्राफ्टिंग’ का है जो आगे चलकर कानून बनता है। अमित शाह ने कहा कि जब तक ‘लेजिसलेटिव ड्राफ्टिंग’ की प्रक्रिया पूरी तरह वैज्ञानिक तौर पर विकसित न हो, तब तक लोकतंत्र के सफल होने की संभावना नहीं होती।

गृह मंत्री ने कहा कि पूरी दुनिया में ‘लेजिस्लेटिव ड्राफ्टिंग’ के लिए यदि कोई आदर्श है तो वह भारत के संविधान का निर्माण है। उन्होंने कहा कि भारतीय संविधान के निर्माण से बड़ी और कोई प्रक्रिया नहीं है। उन्होंने कहा कि ‘लेजिस्लेटिव ड्राफ्टिंग’ की कला में स्पष्टता सबसे महत्वपूर्ण है। विधि निर्माता जितनी स्पष्टता के साथ अपने उद्देश्यों को कानून में परिवर्तित करें, ग्रे एरिया उतना कम हो सकता है और जितना ग्रे एरिया कम हो, न्याय तंत्र का हस्तक्षेप उतना कम हो जाता है। अमित शाह ने कहा कि न्याय तंत्र का हस्तक्षेप वहीँ होता है, जहां ग्रे एरिया हो, स्पष्टता ना हो, इसलिए कानून को स्पष्ट बनाना चाहिए।

अमित शाह ने अनुच्छेद 370 का उदाहरण देते हुए कहा कि इसे बहुत ही स्पष्टता से ड्राफ्ट किया गया। उन्होंने कहा कि इसमें ‘टेंपरेरी प्रोविसंस ऑफ़ कॉन्स्टिट्यूशन’ शब्द बहुत महत्वपूर्ण था, यानी कि वह ‘परमानेंट प्रोविजन’ नहीं है और उसे हटाने के लिए संविधान में संशोधन की जरूरत नहीं है। राष्ट्रपति कभी भी संवैधानिक आदेश जारी कर पूरा अनुच्छेद 370 हटा सकते हैं और उसे लोकसभा और राज्यसभा में साधारण बहुमत के साथ पारित करना होता है। उन्होंने कहा कि यदि संविधान बनाते समय अनुच्छेद 370 को प्रोविजनल कांस्टीट्यूट किया होता तो दो-तिहाई बहुमत की जरूरत पड़ती, लेकिन लेजिस्लेटर एकदम स्पष्ट थे की टेंपरेरी प्रोविजन एक काम चलाऊ उपबंध है और इसीलिए उन्होंने इसे हटाने का संदर्भ अनुच्छेद 370 (3) में रखा था।

केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने सभी विधायकों और सांसदों से अपील की कि वे ‘लेजिस्लेटिव ड्राफ्टिंग’ की विंग से सतत संपर्क बनाएं रखें और उनसे चर्चा करते रहें। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी ने 2019 में ‘लेजिस्लेटिव ड्राफ्टिंग’ का ट्रेनिंग स्कूल संसद भवन में शुरू करवाया। उन्होंने कहा कि एक जागरूक राजनेता अपनी कानूनी समझ के जरिये बहुत बड़ा परिवर्तन ला सकता है। लोक सभा के पहले अध्यक्ष रहे गणेश वासुदेव मावलंकर का उदाहरण देते हुए अमित शाह ने कहा कि विपक्ष में होने के बावजूद उन्होंने सुधार के 16 प्रस्ताव रखे थे और वे सभी सत्ता पक्ष को स्वीकारने पड़े थे, क्योंकि उन्होंने सुसंगत सुधार के प्रस्ताव रखे थे। उन्होंने कहा कि ‘लेजिस्लेटिव ड्राफ्टिंग’ करने वालों में दार्शनिक की तरह चिंतन करने की क्षमता होनी चाहिए, ऐतिहासिक तथ्यों का ज्ञान होना चाहिए और भाषा विज्ञान की गहन समझ भी होनी चाहिए।

LEAVE A RESPONSE

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा. आवश्यक फ़ील्ड चिह्नित हैं *