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IIT Ropar develops patented mechanical device that will revolutionise surgery with affordable and off-grid solution for knee rehabilitation
भारत

IIT रोपड़ ने घुटना रीहबिलटैशन के लिए किफायती और ऑफ-ग्रिड समाधान के साथ शल्य चिकित्सा में क्रांतिकारी बदलाव लाने वाला पेटेंटेड मैकेनिकल उपकरण विकसित किया

सर्जरी के बाद घुटने के रीहबिलटैशन के लिए एक महत्वपूर्ण सफलता के रूप में, आईआईटी रोपड़ के शोधकर्ताओं ने निरंतर निष्क्रिय गति (सीपीएम) थेरेपी को और अधिक सुलभ और किफायती बनाने के लिए एक अभिनव समाधान ढूंढ लिया है। आईआईटी रोपड़ की टीम ने घुटने के रीहबिलटैशन के लिए एक पूरी तरह से मैकेनिकल पैसिव मोशन मशीन विकसित की है और इसका पेटेंट कराया गया है, पेटेंट नम्बर 553407 है।

महंगी और बिजली से चलने वाली पारंपरिक मोटर चालित सीपीएम मशीनों से अलग, नव विकसित उपकरण पूरी तरह से यांत्रिक है। यह एक पिस्टन और पुली सिस्टम का उपयोग करता है, जो उपयोगकर्ता द्वारा हैंडल खींचने पर हवा को संग्रहीत करता है, जिससे घुटने के रीहबिलटैशन में सहायता के लिए सुचारू और नियंत्रित गति संभव होती है। यह सरल उपकरण हल्का और पोर्टेबल दोनों है और डिज़ाइन प्रभावी होने के कारण इसे बिजली, बैटरी या मोटर की कोई आवश्यकता नहीं है।

मैकेनिकल सीपीएम मशीन, कई रोगियों की पहुंच से बाहर महंगी इलेक्ट्रिक मशीनों के आशाजनक विकल्प प्रदान करती है, खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में जहां बिजली की आपूर्ति निरंतर नहीं रहती। बिजली पर निर्भरता को कम करके, यह ऑफ-ग्रिड स्थानों में भी सहज रूप से अनिवारक गति चिकित्सा को संभव बनाती है।

इसके अतिरिक्त, इसकी पोर्टेबिलिटी के कारण मरीज इसे घर में आराम से उपयोग कर सकते हैं, जिससे उन्हें अस्पताल में लंबे समय तक रहने और रीहबिलटैशन के लिए जाने की आवश्यकता कम हो जाती है।

घुटने की सर्जरी से ठीक होने वाले रोगियों के लिए निरंतर अनिवारक गति एक महत्वपूर्ण चिकित्सा है, जो जोड़ों की गतिशीलता में सुधार, कठोरता को कम करने और रिकवरी में तेजी लाने में मदद करती है। इस यांत्रिक मशीन की शुरूआत एक लागत प्रभावी और पर्यावरण के अनुकूल विकल्प है, जो घुटने के रीहबिलटैशन में किफायती स्वास्थ्य सेवा के लिए नई संभावनाओं का द्वार खोलती है।

इस अभिनव उपकरण का विकसित किया जाना सभी लोगों को स्वास्थ्य सेवा पहुँचाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, खासकर उन क्षेत्रों में जहाँ संसाधन सीमित हैं। टीम की उपलब्धि से भारत के साथ ही और वैश्विक स्तर पर भी घुटने के रीहबिलटैशन के मामलों में स्थायी प्रभाव देखने को मिलेगा।

सूरज भान मुंडोतिया और डॉ. समीर सी. रॉय की टीम के प्रमुख शोधकर्ता डॉ. अभिषेक तिवारी ने कहा, “ये उपकरण भारत में घुटने के रीहबिलटैशन में क्रांति लाने की क्षमता वाला है, अभी इस क्षेत्र में उन्नत चिकित्सा तकनीक तक हमारी पहुँच सीमित है।” उन्होंने कहा, “इसे कम लागत वाला, टिकाऊ बनाया गया है जो न केवल रिकवरी में सहायता करता है बल्कि मोटर चालित उपकरणों से पर्यावरण पर पड़ने वाले प्रभाव को कम करने में भी मदद करता है।”

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