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Coal Ministry launches 11th round of commercial coal mine auction, with a total of 27 coal blocks on offer
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कोयला मंत्रालय ने वाणिज्यिक कोयला खदान नीलामी का 11वां दौर शुरू किया, जिसमें कुल 27 कोयला ब्लॉकों की पेशकश की गई

केंद्रीय कोयला एवं खान मंत्री जी. किशन रेड्डी ने आज नई दिल्ली में वाणिज्यिक कोयला खदान नीलामी के 11वें दौर का शुभारंभ किया, जिसमें कुल 27 कोयला ब्लॉकों की पेशकश की गई। ये 27 कोयला ब्लॉक झारखंड, ओडिशा, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश और अरुणाचल प्रदेश राज्यों में फैले हुए हैं और इनमें 1 कोकिंग कोल खदान सहित पूरी तरह से खोजी गई और आंशिक रूप से खोजी गई दोनों तरह की खदानें शामिल हैं।

मंत्रालय ने 10वें दौर की नीलामी के सफल बोलीदाताओं के साथ 9 समझौते भी किए हैं। इन खदानों के चालू होने पर इन कोयला खदानों के पीआरसी पर गणना करके 1,446 करोड़ रुपये का वार्षिक राजस्व उत्पन्न होगा और लगभग 19,000 लोगों को रोजगार मिलेगा।

कोयला मंत्रालय ने कोयला क्षेत्र को तेज गति से विकसित करने और देश की ऊर्जा आवश्यकताओं को पूरा करने में सक्षम बनाने के लिए कई सुधार किए हैं। 11वें दौर के लिए भी, संरक्षित क्षेत्रों, वन्यजीव अभयारण्यों, महत्वपूर्ण आवासों, 40% से अधिक वन क्षेत्र, भारी निर्माण वाले क्षेत्र आदि के अंतर्गत आने वाली खदानों को बाहर रखा गया है। कुछ कोयला खदानों की ब्लॉक सीमाओं को संशोधित किया गया है, जहां घनी बस्तियां, उच्च हरित क्षेत्र या महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचा आदि मौजूद थे, ताकि कोयला खदानों के प्रति आकर्षण बढ़ाया जा सके।

केंद्रीय कोयला एवं खान मंत्री जी. किशन रेड्डी ने सभा को संबोधित करते हुए इस बात पर जोर दिया कि कोयला भारत के ऊर्जा परिदृश्य की आधारशिला बना हुआ है और इसके बिना बिजली उत्पादन की कल्पना भी नहीं की जा सकती। उन्होंने ऊर्जा सुरक्षा हासिल करने, आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देने और आयात पर निर्भरता कम करने में कोयला ब्लॉक नीलामी के परिवर्तनकारी प्रभाव पर प्रकाश डाला। उद्योग जगत के खिलाड़ियों से नीलामी के 11वें दौर में उत्साहपूर्वक भाग लेने का आग्रह करते हुए उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा परिकल्पित ऊर्जा-स्वतंत्र आत्मनिर्भर भारत के विजन को साकार करने की दिशा में सामूहिक योगदान का आह्वान किया।

केंद्रीय मंत्री रेड्डी ने देश की ऊर्जा मांग को पूरा करने के उद्देश्य से घरेलू कोयला उत्पादन को बढ़ावा देने की सरकार की प्रतिबद्धता की पुष्टि की। केंद्रीय मंत्री ने स्थानीय समुदायों के उत्थान के लिए सरकार की प्रतिबद्धता को दोहराते हुए इस बात पर जोर दिया कि कोयला नीलामी और खनन गतिविधियां आर्थिक विकास से परे हैं। इनका उद्देश्य रोजगार के अवसर पैदा करके, बुनियादी ढांचे में सुधार करके और कोयला खनन क्षेत्रों में शिक्षा और स्वास्थ्य सेवा को बढ़ाकर समुदायों को सशक्त बनाना भी है। केंद्रीय मंत्री रेड्डी ने विश्वास व्यक्त किया कि ये सुधार भारत को ऊर्जा सुरक्षा सुनिश्चित करते हुए खनन के टिकाऊ तौर तरीकों में वैश्विक लीडर के रूप में स्थापित करेंगे।

उन्होंने कोयला और लिग्नाइट गैसीकरण परियोजनाओं को बढ़ावा देने के लिए 8,500 करोड़ रुपये के परिव्यय के साथ भारत सरकार की वित्तीय प्रोत्साहन योजना पर भी प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि यह पहल 2030 तक 100 मिलियन टन कोयला गैसीकरण के भारत के महत्वाकांक्षी लक्ष्य को प्राप्त करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। स्वच्छ और अधिक कुशल प्रौद्योगिकियों को प्रोत्साहित करके, इस योजना का उद्देश्य आयातित प्राकृतिक गैस पर निर्भरता को कम करना, कार्बन उत्सर्जन को कम करना और सतत ऊर्जा विकास का मार्ग प्रशस्त करना है।

कोयला मंत्रालय के सचिव विक्रम देव दत्त ने अपने मुख्य भाषण में नवाचार को प्रोत्साहित करने, उत्पादन लागत को कम करने और पर्यावरण मानकों से समझौता किए बिना देश की बढ़ती ऊर्जा मांगों को पूरा करने वाले इकोसिस्टम के निर्माण में नीतिगत सुधारों की महत्वपूर्ण भूमिका पर प्रकाश डाला। विक्रम देव दत्त ने जोर देकर कहा कि ये सुधार न केवल कोयला उत्पादन को बढ़ाने के लिए तैयार किए गए हैं, बल्कि इस क्षेत्र को ऊर्जा आत्मनिर्भरता और सतत विकास प्राप्त करने के भारत के व्यापक लक्ष्य के साथ भी जोड़ते हैं। उन्होंने खास तौर पर पर्यावरण मंत्रालय, बिजली मंत्रालय और इस्पात मंत्रालय के साथ अंतर-मंत्रालयी सहयोग पर भी जोर दिया। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि किस तरह इस तरह का सहयोग नीतियों के सामंजस्य को सुगम बनाता है, प्रक्रियाओं को सुव्यवस्थित करता है और क्षेत्रीय चुनौतियों का अधिक प्रभावी ढंग से समाधान करता है, जिससे ऊर्जा सुरक्षा और पर्यावरण प्रबंधन के लिए एक संतुलित दृष्टिकोण संभव होता है। सचिव ने आधुनिकीकरण प्रयासों के बारे में भी बात की जो इस क्षेत्र को नया आकार दे रहे हैं, उत्पादकता, श्रमिक सुरक्षा और पर्यावरण प्रबंधन में सुधार के लिए उन्नत प्रौद्योगिकी का लाभ उठा रहे हैं। उन्होंने कोयला निकासी में तेजी लाने, कुशल परिवहन सुनिश्चित करने और पर्यावरणीय प्रभाव को कम करने में फर्स्ट माइल कनेक्टिविटी (एफएमसी) परियोजनाओं की अहम भूमिका को रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि ये पहल इस क्षेत्र को आधुनिकीकरण और अधिक परिचालन दक्षता की ओर ले जाने के लिहाज से महत्वपूर्ण हैं।

कोयला मंत्रालय में अतिरिक्त सचिव एवं नामित अधिकारी रूपिंदर बरार ने कोयले की बढ़ती मांग को देखते हुए अधिक कोयला ब्लॉकों की खोज की आवश्यकता पर प्रकाश डाला। उन्होंने जोर देकर कहा कि बढ़ती ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने और विभिन्न उद्योगों को कोयले की निरंतर आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए निजी निवेश और विशेषज्ञता का लाभ उठाना महत्वपूर्ण है। अन्वेषण के लिए अधिक कोयला ब्लॉक खोलने और निजी भागीदारी को प्रोत्साहित करने से कोयला क्षेत्र उच्च उत्पादन लक्ष्य हासिल करने में योगदान देगा।

निविदा दस्तावेजों की बिक्री आज यानी 5 दिसंबर, 2024 से शुरू होगी। खदानों, नीलामी की शर्तों, समयसीमा आदि का विवरण एमएसटीसी नीलामी मंच पर देखा जा सकता है। नीलामी प्रतिशत राजस्व हिस्सेदारी के आधार पर दो चरणीय पारदर्शी प्रक्रिया के माध्यम से ऑनलाइन आयोजित की जाएगी।

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