केंद्रीय नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री प्रल्हाद जोशी ने 5वें सीआईआई अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा सम्मेलन और प्रदर्शनी को नई दिल्ली में संबोधित किया
केंद्रीय नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री प्रल्हाद जोशी ने अक्षय ऊर्जा के क्षेत्र में भारत की उल्लेखनीय प्रगति पर प्रकाश डालते हुए कहा कि भारत न केवल ऊर्जा क्रांति का साक्षी बन रहा है, बल्कि नवीकरणीय ऊर्जा के क्षेत्र में दुनिया की राजधानी भी बन रहा है। प्रल्हाद जोशी ने नई दिल्ली में 5 वें सीआईआई अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा सम्मेलन एवं प्रदर्शनी (आईईसीई) को संबोधित करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भारत वर्तमान में स्वच्छ ऊर्जा के क्षेत्र में दुनिया के सबसे भरोसेमंद देशों में से एक है।
उन्होंने कहा, “भारत अक्षय ऊर्जा के क्षेत्र में जो कुछ कर रहा है, उस पर न केवल दुनिया की निगाह है, बल्कि कई देशों ने इसे अपनाया भी है।” उन्होंने भारत की पहल के तहत वैश्विक सहयोग के लिए औपचारिक व्यवस्था के रूप में गठित अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन की भूमिका पर प्रकाश डाला, जिस पर 120 देश हस्ताक्षरकर्ता हैं।
केंद्रीय मंत्री ने कहा, “मौजूदा वित्त वर्ष के अप्रैल से नवंबर के बीच, भारत ने लगभग 15 गीगावाट अक्षय ऊर्जा क्षमता जोड़ी है, जो पिछले वर्ष इसी अवधि के दौरान अर्जित क्षमता 7.54 गीगावाट से लगभग दोगुनी है।” उन्होंने कहा कि गैर-जीवाश्म ईंधन ऊर्जा क्षेत्र में भारत की कुल स्थापित क्षमता 214 गीगावाट तक पहुंच गई है, जो पिछले वर्ष की इसी अवधि की तुलना में 14 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि को दर्शाता है। इसके अतिरिक्त अकेले नवंबर 2024 में 2.3 गीगावाट की नई ऊर्जा क्षमता जोड़ी गई, जो नवंबर 2023 में 566 मेगावाट से चार गुना वृद्धि है।
प्रल्हाद जोशी ने 2030 तक 500 गीगावाट गैर-जीवाश्म ईंधन आधारित क्षमता हासिल करने के लिए केंद्र सरकार की प्रतिबद्धता दोहराई। वैश्विक स्तर पर सबसे बड़े कोयला संसाधनों का भंडार होने के बावजूद भारत प्रति व्यक्ति उत्सर्जन के वैश्विक औसत के एक तिहाई पर सबसे कम उत्सर्जक देश है। उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि भारत एकमात्र जी20 राष्ट्र है जिसने यह सुनिश्चित किया है कि 2015 में पेरिस जलवायु परिवर्तन शिखर सम्मेलन में निर्धारित किए गए सतत विकास लक्ष्यों को समय सीमा से पहले ही पूरा किया जाए। प्रल्हाद जोशी ने कहा कि भारत के ऊर्जा क्षेत्र में चल रहे परिवर्तन इस दृढ़ विश्वास से प्रेरित हैं कि 2047 तक विकसित भारत के लक्ष्य को प्राप्त करना टिकाऊ और हरित विकास से जुड़ा हुआ है।
केंद्रीय मंत्री ने भारत में नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र के विकास को बढ़ावा देने के लिए केंद्र सरकार के कई प्रमुख कदमों का भी उल्लेख किया, जिसमें 24,000 करोड़ रुपये के परिव्यय के साथ उत्पादन-लिंक्ड प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना की शुरुआत है, जिसका उद्देश्य सौर पैनलों और मॉड्यूल के घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा देना है। उन्होंने 2025-26 तक 38 गीगावाट की संचयी क्षमता वाले 50 सौर पार्क स्थापित करने की जारी पहल का भी उल्लेख किया।
इसके अतिरिक्त, वर्ष 2029-30 तक नवीकरणीय खरीद दायित्व (आरपीओ) के क्षेत्र में कुछ प्रावधानों की घोषणा भी की गई है। प्रल्हाद जोशी ने यह भी कहा कि पीएम सूर्य घर मुफ्त बिजली योजना 2026-27 तक 1 करोड़ प्रतिष्ठानों को लक्षित कर रही है, जिसके लिए 75,021 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है।
उन्होंने यह भी कहा कि नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय (एमएनआरई) ने नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए सितंबर 2024 में रीइन्वेस्ट और नवंबर 2024 में चिंतन शिविर का आयोजन किया है। प्रल्हाद जोशी ने यह भी कहा कि नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र में वर्तमान समय में आ रही दिक्कतों का समाधान खोजने के लिए बैंकों, उद्योग और सरकार के अधिकारियों के प्रतिनिधियों के साथ जनवरी में मुंबई में एक बैठक की योजना बनाई जा रही है। उन्होंने विश्व के अग्रणी नेताओं और उद्योग हितधारकों को हरित और टिकाऊ भविष्य की ओर भारत की यात्रा में भागीदार बनने के लिए आमंत्रित किया।
केंद्रीय मंत्री प्रल्हाद जोशी ने इस कार्यक्रम में सीआईआई-ईवाई ऊर्जा परिवर्तन निवेश मॉनिटर रिपोर्ट भी लॉन्च की। सम्मेलन का विषय था- “ऊर्जा परिवर्तन पर वैश्विक संवाद” जिसमें उद्योग जगत के दिग्गजों, नीति निर्माताओं और विशेषज्ञों ने भाग लिया।