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Rs 5337.00 crore released as 15th Finance Commission grants to Panchayats in Kerala
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ग्रामीण विकास के लिए 15वें वित्‍त आयोग ने उत्तर प्रदेश को 1598.80 करोड़ रूपये और आंध्र प्रदेश को 446.49 करोड़ रूपये का अनुदान दिया

केंद्र सरकार ने वित्तीय वर्ष 2024-25 के दौरान उत्तर प्रदेश में ग्रामीण स्थानीय निकायों के लिए पंद्रहवें वित्त आयोग अनुदान के रूप में 1598.80 करोड़ रुपये के असंबद्ध अनुदान की दूसरी किस्‍त जारी की है। ये धनराशि राज्य की सभी पात्र 75 जिला पंचायतों, सभी पात्र 826 ब्लॉक पंचायतों और सभी पात्र 57691 ग्राम पंचायतों के लिए जारी की गई है जबकि वित्तीय वर्ष 2024-25 के दौरान आंध्र प्रदेश में ग्रामीण स्थानीय निकायों के लिए पंद्रहवें वित्त आयोग अनुदान के रूप में वित्‍तीय वर्ष 2024-25 के असंबद्ध अनुदान की दूसरी किस्त 420.9989 करोड़ रुपये के साथ-साथ वित्तीय वर्ष 2024-25 के लिए असंबद्ध अनुदान की पहली किस्त की धनराशि 25.4898 करोड़ रुपये भी जारी की गई है। ये धनराशि राज्य की 13097 विधिवत निर्वाचित ग्राम पंचायतों, 650 विधिवत निर्वाचित ब्लॉक पंचायतों और सभी 13 पात्र जिला पंचायतों के लिए आवंटित की गई है।

भारत सरकार पंचायती राज मंत्रालय और जल शक्ति मंत्रालय (पेयजल एवं स्वच्छता विभाग) के माध्यम से ग्रामीण स्थानीय निकायों के लिए राज्यों को पंद्रहवें वित्त अनुदान जारी करने की सिफारिश करती है, जिसे बाद में वित्त मंत्रालय द्वारा जारी किया जाता है। आवंटित अनुदान को वित्तीय वर्ष में 2 किस्तों में जारी किया जाता है।

संविधान की ग्यारहवीं अनुसूची में निहित 29 विषयों के अंतर्गत, वेतन और अन्य स्थापना लागतों को छोड़कर, पंचायती राज संस्थाओं (पीआरआई)/ग्रामीण स्थानीय निकायों (आरएलबी) द्वारा स्‍थल-विशिष्ट आवश्यकताओं के लिए असंबद्ध अनुदान का उपयोग किया जाएगा। असंबद्ध अनुदान का उपयोग (ए) स्वच्छता और ओडीएफ स्थिति के रखरखाव की बुनियादी सेवाओं के लिए किया जा सकता है, और इसमें घरेलू कचरे का प्रबंधन और उपचार, और विशेष रूप से मानव अपशिष्‍ट और अपशिष्‍ट प्रबंधन और (बी) पेयजल की आपूर्ति, वर्षा जल संचयन और जल पुनर्चक्रण शामिल होना चाहिए।

भारत में जमीनी स्तर पर लोकतंत्र को सशक्त बनाने के लिए एक ऐतिहासिक कदम के रूप में, भारत सरकार पंद्रहवें वित्त आयोग के अनुदानों को सीधे पंचायती राज संस्थाओं (पीआरआई)/ग्रामीण स्थानीय निकायों (आरएलबी) को दे रही है, जिससे ग्रामीण स्थानीय शासन का परिदृश्य बदल रहा है। यह रणनीतिक वित्तीय सशक्तीकरण स्थानीय प्रशासन में क्रांति ला रहा है, जवाबदेही को बढ़ावा दे रहा है और ग्रामीण स्तर पर आत्मनिर्भरता का पोषण कर रहा है। माननीय प्रधानमंत्री के ‘सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास, सबका प्रयास’ के परिवर्तनकारी दृष्टिकोण के अनुरूप यह पहल जमीनी स्तर पर लोकतांत्रिक भागीदारी को मजबूत बनाते हुए समावेशी विकास को बढावा दे रही है। ये सशक्त स्थानीय संस्थाएं परिवर्तन के शक्तिशाली साधन के रूप में उभर रही हैं, जो भारत की यात्रा को विकसित भारत बनने की दिशा में आगे बढ़ा रही हैं- जहां हर गांव अपने भाग्य को स्‍वयं नया रूप देते हुए राष्ट्र की समृद्धि में योगदान देता है।

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