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Forty years after the Bhopal gas tragedy, the work of removing hazardous waste from the Union Corbide factory began last night
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भोपाल गैस त्रासदी के चालीस वर्ष बाद कल रात यूनियन कॉर्बाइड फैक्‍ट्री से खतरनाक कचरे को हटाने का काम शुरू हुआ

भोपाल गैस त्रासदी के चालीस वर्ष बाद कल रात यूनियन कॉर्बाइड फैक्‍ट्री से खतरनाक कचरे को हटाने का काम शुरू हुआ। मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय ने कचरे को स्थानांतरित करने के लिए चार सप्ताह की समय सीमा तय की है।

भोपाल के यूनियन कार्बाइड कारखाने से जहरीला अपशिष्ट बीती रात करीब 9 बजे भेजना शुरू किया गया और 337 मीट्रिक टन कचरा लेकर 12 कंटेनर इंदौर के पास पीथमपुर के लिए रवाना हुए। अपशिष्ट को कड़ी सुरक्षा और 250 किलोमीटर लंबा ग्रीन कॉरिडोर बनाकर पीथमपुर भेजा गया। कचरे से भरे कंटेनरों के आगे और पीछे 2 किलोमीटर तक यातायात रोक दिया गया। कंटेनरों के साथ पुलिस की गाड़ियां थीं। वहीँ, अपशिष्ट को ले जाते समय 100 पुलिसकर्मी तैनात थे।

यूनियन कार्बाइड के इस रासायनिक अपशिष्ट को पीथमपुर की रामकी एनवायरो कंपनी में जलाया जाएगा। गौरतलब है कि हाईकोर्ट ने 6 जनवरी तक इस जहरीले कचरे को हटाने के निर्देश दिए थे। सरकार को इस संबंध में कल 3 जनवरी को हाईकोर्ट में रिपोर्ट पेश करनी है।

दो और तीन दिसम्‍बर 1984 की रात यूनियन कॉर्बाइड कीटनाशक फैक्‍ट्री से अधिक जहरीले मिथाइल आइसोसाइनेट गैस का रिसाव हुआ था। इस घटना में लगभग पांच हजार 479 लोगों की मौत हो गई थी और हजारों लोग गंभीर और दीर्घावधि की स्‍वास्‍थ्‍य समस्‍याओं से पीड़‍ित हुए थे। यह घटना विश्‍व की सबसे भीषण औद्योगिक आपदाओं में मानी जाती है।

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