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Adapting to climate change sensitivity, targeted measures to create robust demand and adequate financing options - Economic Survey 2024-25
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आर्थिक समीक्षा 2024-25 की मुख्य बातें

केंद्रीय वित्‍त एवं कॉरपोरेट कार्य मंत्री निर्मला सीतारमण ने आज संसद में आर्थिक समीक्षा 2024-25 पेश की। समीक्षा की मुख्य बातें निम्न हैं;

अर्थव्यवस्था की स्थिति: फिर से तेज विकास दर

  1. भारत की वास्तविक जीडीपी वृद्धि वित्त वर्ष 2025 में 6.4 फीसदी रहने की उम्मीद (राष्ट्रीय आय के अग्रिम अनुमान के अनुसार), जो दशक के औसत के नजदीक है
  2. वास्तविक सकल मूल्य वर्धन (जीवीए) के वित्त वर्ष 2025 में 6.4 फिसदी रहने का अनुमान
  3. वैश्विक अर्थव्यवस्था 2023 में 3.3 फीसदी की दर से बढ़ी, आईएमएफ ने अगले 5 वर्षों के लिए 3.2 फीसदी वृद्धि का अनुमान लगाया था
  4. वित्त वर्ष 2026 में वास्तविक जीडीपी वृद्धि 6.3 से 6.8 के बीच बढ़ेगी, वृद्धि के उतार-चढ़ाव को ध्यान में रखते हुए
  5. जमीनी स्तर पर संरचनात्मक सुधारों पर जोर, तथा विनियमन को कम करने से मध्य अवधि वृद्धि क्षमता सुदृढ़ होगी और भारतीय अर्थव्यवस्था की वैश्विक प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा मिलेगा
  6. भू-राजनैतिक तनाव अभी जारी संघर्ष तथा वैश्विक व्यापार नीतिगत जोखिम वैश्विक आर्थिक परिदृश्य में गंभीर चुनौती बने हुए हैं
  7. खुदरा मुद्रा स्फीति (हेडलाइन) वित्त वर्ष 2024 के 5.4 फीसदी से घटकर अप्रैल-दिसंबर, 2024 में 4.9 प्रतिशत रह गई
  8. पूंजीगत व्यय (कैपेक्स) में वित्त वर्ष 2021 से वित्त वर्ष 2024 के दौरान निरंतर सुधार हुआ है, आम चुनावों के बाद कैपेक्स में जुलाई-नवंबर, 2024 के दौरान 8.2 फीसदी की वृद्धि (वर्ष दर वर्ष) दर्ज की गई
  9. वैश्विक सेवा निर्यात में भारत की सातवीं सबसे बड़ी हिस्सेदारी, जो क्षेत्र में भारत की वैश्विक प्रतिस्पर्धा को रेखांकित करती है
  10. अप्रैल से दिंसबर, 2024 के दौरान गैर-पेट्रिलियम और गैर-रत्न एवं आभूषण निर्यात 9.1 फीसदी रहा, जो अस्थिर वैश्विक परिस्थितियों के बीच भारत के व्यापारिक निर्यात की सुदृढ़ता को परिलक्षित करती है।

मौद्रिक और वित्तीय क्षेत्र से जुड़े तथ्य

  1. बैंक ऋण में स्थिर गति से वृद्धि हुई है और यह जमा राशि के लगभग बराबर हो गई है
  2. अनुसूचित व्यवसायिक बैंकों के लाभ में वृद्धि हुई है, जो सकल गैर-निष्पादित परिसम्पत्तियों (जीएनपीए) में कमी तथा पूंजी का भारित परिसम्पत्ति अनुपात जोखिम अनुपात (सीआरएआर) में वृद्धि को रेखांकित करती है
  3. ऋण वृद्धि ने नॉमिनल जीडीपी विकास को लगातार दो वर्षों से पीछे छोड़ दिया है, ऋण-जीडीपी अंतर वित्त वर्ष 2025 की पहली तिमाही में कम होकर (-) 0.3 फीसदी रहा, जो वित्त वर्ष 2023 की पहली तिमाही में (-) 10.3 फीसदी था
  4. बैंकिंग क्षेत्र परिसम्पत्ति गुणवत्ता में सुधार, अतिरिक्त पूंजी तथा मजबूत परिचालन प्रदर्शन को दिखाता है
  5. अनुसूचित व्यवसायिक बैंकों की सकल गैर-निष्पादित परिसम्पत्तियां (डीएनपीए) घटकर, सिंतबर, 2024 के अंत में सकल ऋण और अग्रिम के 2.6 फीसदी पर आ गई है, जो 12 वर्षों का निम्न स्तर है
  6. दिवाला और दिवालियापन संहिता के अंतर्गत सितंबर, 2024 तक 1068 योजनाओं के समाधान से 3.6 लाख करोड़ रुपये प्राप्त किए गए। यह संबंधित परिसम्पत्तियों के लिक्वीडेसन के 161 फीसदी के तथा उचित मूल्य के 86.1 फीसदी के बराबर है
  7. आम चुनाव की वजह से बाजार की अस्थिरता से जुड़ी चुनौतियों के बावजूद भारतीय स्टोक मार्केट ने अन्य उभरते बाजारों को पीछे छोड़ दिया है
  8. प्राथमिक बाजारों (इक्विटी और ऋण) से प्राप्त पूंजी संग्रह अप्रैल से दिंसबर, 2024 के दौरान 11.1 लाख करोड़ रहा, जो वित्त वर्ष 2024 के दौरान जुटाई गई धनराशि से 5 फीसदी अधिक है
  9. जीडीपी तथा बीएसई बाजार पूंजी संग्रह का अनुपात दिसंबर, 2024 के अंत में 136 प्रतिशत रहा
  10. भारत के बीमा बाजार में वृद्धि जारी है, कुल बीमा प्रीमियम में वित्त वर्ष 2024 में 7.7 फीसदी की दर से वृद्धि हुई और यह 11.2 लाख करोड़ तक पहुंच गई
  11. भारत के पेंशन क्षेत्र में भी महत्वपूर्ण वृद्धि दर्ज की गई, सितंबर, 2024 तक पेंशन ग्राहकों की कुल संख्या में 16 फीसदी (वर्ष दर वर्ष) की वृद्धि दर्ज की गई।

बाहरी क्षेत्रः एफडीआई बेहतर हो रहा है

  1. वैश्विक अनिश्चितताओं और प्रतिकूल परिस्थितियों के बीच भारत का बाहरी क्षेत्र सुदृढ़ बना हुआ है
  2. वित्त वर्ष 2025 के पहले 9 महीनों में कुल निर्यात में (व्यापार+सेवा) 6 प्रतिशत (वर्ष दर वर्ष) की वृद्धि दर्ज की गई
  3. दूरसंचार, कम्प्यूटर और सूचना सेवा क्षेत्र के वैश्विक निर्यात बाजार में भारत की हिस्सेदारी 10.2 फीसदी है, अंकटाड के अनुसार इस क्षेत्र में भारत का स्थान पूरी दुनिया में दूसरा है
  4. वित्त वर्ष 2025 की दूसरी तिमाही में भारत का चालू खाता घाटा जीडीपी का 1.2 फीसदी रहा, जिसे नेट सेवा प्राप्तियों की वृद्धि तथा निजी अंतरण प्राप्तियों में वृद्धि से समर्थन मिला है
  5. वित्त वर्ष 2025 में सकल विदेशी प्रत्यक्ष निवेश (एफडीआई) में मजबूती आई है, जो वित्त वर्ष 2024 के पहले 8 महीनों के 47.2 बिलियन डॉलर  से बढ़कर वित्त वर्ष 2025 की सामान अवधि के लिए 55.6 बिलियन डॉलर हो गया है, इसमें 17.9 फीसदी की वर्ष दर वर्ष वृद्धि दर्ज की गई है
  6. दिसंबर, 2024 के अंत में भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 640.3 बिलियन डॉलर है, 10.9 महीनों के आयात तथा देश के बाहरी ऋण के 90 फीसदी के लिए पर्याप्त है
  7. भारत का बाहरी ऋण पिछले कुछ वर्षों से स्थिर रहा है, सितंबर, 2024 के अंत में बाहरी ऋण और जीडीपी का अनुपात 19.4 फीसदी रहा है।

मूल्य और मुद्रा स्फीतिः समीकरण को समझना

  1. आईएमएफ के अनुसार वैश्विक मुद्रा स्फीति दर 2024 में 5.7 फीसदी रही, जो 2022 में 8.7 फीसदी के शीर्ष पर थी
  2. भारत में खुदरा मुद्रा स्फीति वित्त वर्ष 2024 के 5.4 फीसदी के मुकाबले वित्त वर्ष 2025 (अप्रैल-दिसंबर, 2024) में घटकर 4.9 फीसदी रह गई
  3. आरबीआई और आईएमएफ का अनुमान है कि भारत की उपभोक्ता मूल्य स्फीति वित्त वर्ष 2026 में 4 फीसदी लक्ष्य के अनुरूप रहेगी
  4. जलवायु-सहनीय फसल किस्मों और कृषि तौर-तरीकों में सुधार, तीव्र जलवायु घटनाओं के प्रभावों को कम करने और दीर्घावधि में मूल्य स्थिरता हासिल करने के लिए आवश्यक है।

मध्य अवधि दृष्टिः विनियमन में कमी से विकास को गति

  1. भारतीय अर्थव्यवस्था बदलाव के मध्य में है, जो अभूतपूर्व आर्थिक चुनौती और अवसर को प्रतिबिंबित करता है। भू-आर्थिक विखंडन (जीईएफ) वैश्वीकरण को प्रतिस्थापित कर रहा है, जो नए जोड़-तोड़ को प्रेरित करेगा
  2. वर्ष 2047 तक विकसित भारत के विज़न को प्राप्त करने के लिए भारत को अगले एक दशक या दो दशकों तक औसतन स्थिर मूल्य पर लगभग 8 प्रतिशत की वृद्धि दर हासिल करने की जरूरत है
  3. भारत के लिए मध्य अवधि विकास दृष्टि को नई वैश्विक वास्तविकताओं पर विचार करना चाहिए- जीईएफ, चीन की विनिर्माण ताकत और ऊर्जा स्रोतों में बदलाव के प्रयासों के लिए चीन पर निर्भरता
  4. भारत घरेलू विकास को बढ़ावा देने के लिए प्रणालीगत विनियमन में कमी पर ध्यान केन्द्रित करेगा तथा लोगों और संगठनों को वैध आर्थिक गतिविधि को आसानी से संचालित करने के लिए सशक्त बनाएगा
  5. भारत की मध्य अवधि विकास संभावनाओं को प्रोत्साहन देने के लिए प्रणालीगत विनियमन में कमी तथा व्यक्तिगत और छोटे व्यवसायों की आर्थिक आजादी को बेहतर बनाना सबसे प्रमुख नीतिगत प्राथमिकता है
  6. कारोबार करने में आसानी 2.0 के तहत सुधारों व आर्थिक नीति का विशेष ध्यान प्रणालीगत विनियमन में कमी लाने तथा एक व्यवहारिक मिटेलस्टैंड अर्थात भारत का एसएमई की क्षेत्र का निर्माण करने पर होना चाहिए
  7. अगले कदम के रूप में राज्यों को मानकों तथा नियंत्रणों पर ढील देने पर काम करना चाहिए, लागू करने के लिए कानूनी सुरक्षा उपाय निर्धारित करना, टैरिफ और शुल्कों में कमी लाना, जोखिम आधारित विनियम को लागू करना।

निवेश और अवसंरचनाः निरंतर जारी रहनी चाहिए

  1. पिछले पांच वर्षों में सरकार का केन्द्रीय ध्यान अवसंरचना के लिए सार्वजनिक व्यय में वृद्धि करने तथा मंजूरी व संसाधन जुटाने को गति देने पर रहा है
  2. प्रमुख अवसंरचना क्षेत्रों पर केन्द्र सरकार के पूंजीगत परिव्यय  में वित्त वर्ष 2020 से वित्त वर्ष 2024 तक 38.8 फीसदी की दर से वृद्धि हुई है
  3. रेलवे परिवहन सम्पर्क के तहत अप्रैल-नवंबर, 2024 के दौरान 2031 किलोमीटर रेल नेटवर्क चालू किया गया, अप्रैल से अक्टूबर, 2024 के बीच 17 जोड़ी वंदे भारत ट्रेन शुरू की गई
  4. सड़क नेटवर्क के तहत वित्त वर्ष 2025 (अप्रैल-दिसंबर) में 5853 किलोमीटर राष्ट्रीय राजमार्ग का निर्माण हुआ
  5. राष्ट्रीय औद्योगिक गलियारा विकास कार्यक्रम के तहत चरण-1 में विभिन्न क्षेत्रों के लिए 383 भू-खंड औद्योगिक उपयोग के लिए आवंटित किए गए, जिनका कुल रकबा 3788 एकड़ है
  6. परिचालन दक्षता में सुधार से प्रमुख पत्तनों पर कंटेनर टर्न अराउंड अवधि में औसतन कमी दर्ज की गई है, यह अवधि वित्त वर्ष 2024 के 48.1 घंटों से घटकर वित्त वर्ष 2025 (अप्रैल-नवंबर) में 30.4 घंटे रह गई है इससे पत्तन की परिवहन सुविधा में सुधार हुआ है
  7. दिसंबर, 2024 तक सौर और पवन ऊर्जा की नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता में वर्ष दर वर्ष 15.8 प्रतिशत की वृद्धि हुई है
  8. भारत की कुल स्थापित क्षमता में नवीकरणीय ऊर्जा की हिस्सेदारी 47 फीसदी हो गई है
  9. डीडीयूजेजीवाई और सौभाग्य जैसी सरकार की योजनाओं से ग्रामीण क्षेत्रों में बिजली तक पहुंच में सुधार हुआ है, 18,374 गांवों तथा 2.9 करोड़ घरों को बिजली की सुविधा मिली
  10. सरकार की डिजिटल सम्पर्क पहलों, विशेषकर अक्टूबर, 2024 तक सभी राज्यों व केन्द्र शासित प्रदेशों में 5जी सेवाओं की शुरूआत के साथ पहलों में प्रगति हुई है
  11. सार्वभौमिक सेवा दायित्व कोष (अब डिजिटल भारत निधि) के तहत दूर-दराज के इलाकों में 4जी मोबाइल सेवाओं की सुविधा देने के प्रयास किए जा रहे है इसके तहत दिसंबर, 2024 तक 10,700 गांवों तक सुविधा मिली है
  12. जल जीवन मिशन के तहत, योजना की शुरूआत से अब तक 12 करोड़ परिवारों को नल से पेय जल आपूर्ति की सुविधा मिली है
  13. स्वच्छ भारत मिशन-ग्रामीण के चरण-2 के तहत मॉडल श्रेणी में अप्रैल से नवंबर, 2024 तक 1.92 लाख गांवों को ओडीएफ + घोषित किया गया है इससे ओडीएफ + गांवों की कुल संख्या 3.64 लाख हो गई है
  14. शहरी क्षेत्रों में प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत 89 लाख आवासों का निर्माण हुआ है
  15. नगर परिवहन नेटवर्क का तेजी से विस्तार हो रहा है, 29 शहरों के 1000 किलोमीटर से अधिक के लिए मेट्रो और त्वरित रेल प्रणाली या तो परिचालन में है या निर्माण के अधीन है
  16. रियल स्टेट (विनियम और विकास) अधिनियम, 2016 ने रियल स्टेट क्षेत्र के विनियमन और पारदर्शिता सुनिश्चित की, जनवरी,2025 तक 1.38 लाख रियल स्टेट परियोजनाएं पंजीकृत की गई है तथा 1.38 लाख शिकायतों का समाधान किया गया है
  17. वर्तमान में भारत 26 सक्रिय अंतरिक्ष परिसम्पत्तियों का परिचालन करता है, सरकार के अंतरिक्ष विज़न 2047 में गगनयान मिशन तथा चंद्रयान-4, चांद सैम्पल वापसी मिशन जैसी महत्वाकांक्षी परियोजनाएं शामिल हैं
  18. केवल सार्वजनिक निवेश अवसंरचना की जरूरतों को पूरा नहीं कर सकता, अंतर को पाटने के लिए निजी क्षेत्र की भागीदारी महत्वपूर्ण है
  19. अवसंरचना में निजी क्षेत्र की भागीदारी को सुविधाजनक बनाने के लिए सरकार ने राष्ट्रीय अवसंरचना पाईपलाइन तथा राष्ट्रीय मुद्रीकरण पाईपलाइन जैसी व्यवस्थाओं का निर्माण किया है।

उद्योगः व्यापार सुधार पर विशेष ध्यान

  1. विद्युत तथा निर्माण में मजबूत विकास से संचालित औद्योगिक क्षेत्र ने वित्त वर्ष 2025 (पहला अग्रिम अनुमान) में 6.2 फीसदी की वृद्धि दर्ज की
  2. सरकार चौथे स्मार्ट विनिर्माण और उद्योग संवर्धन योजना को सक्रियता से बढ़ावा दे रही है और समर्थ उद्योग केन्द्रों की स्‍थापना में मदद कर रही है।
  3. वित्‍त वर्ष 2024 में भारतीय ऑटोमोबाइल क्षेत्र में घरेलू बिक्री में 12 दशमलव 5 प्रतिशत की बढोतरी रही।
  4. वित्‍त वर्ष 2015 से वित्‍त वर्ष 2024 तक इलेक्‍ट्रॉनिक वस्‍तुओं के घरेलू उत्‍पादन में 17 दशमलव 5 प्रतिशत की चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर रही।
  5. 99 प्रतिशत स्‍मार्टफोन अब घरेलू स्‍तर पर देश में निर्मित हो रहे हैं जिससे भारत की आयात पर निर्भरता उल्‍लेखनीय तौर पर कम हो गई है।
  6. वित्‍त वर्ष 2024 में औषधि उत्‍पादन में कुल वार्षिक टर्नओवर 4 लाख 17 हजार करोड़ रहा। इसमें पिछले पांच वर्षां में औसत दर से 10 दशमलव 1 प्रतिशत की वृद्धि रही।
  7. डब्‍ल्‍यू आई पी ओ की रिपोर्ट के अनुसार भारत विश्‍व में दस पेटेंट फाइल करने वाले देशों में शामिल है।
  8. भारतीय अर्थव्‍यवस्‍था में सूक्ष्‍म, लघु और मध्‍यम उद्यम क्षेत्र उच्‍च तौर पर गतिशील क्षेत्र रहा है।
  9. सूक्ष्‍म, लघु और मध्‍यम उद्यम क्षेत्र में समान धन सहायता के लिए सरकार ने 50 हजार करोड़ रुपये के कोष से आत्‍मनिर्भर-भारत कोष स्‍थापित किया है।
  10. सरकार देशभर में एमएसएमई क्‍लस्‍टर विकसित करने के लिए सूक्ष्‍म और लघु उद्यम-क्लस्‍टर विकास कार्यक्रम लागू कर रही है।

सेवा क्षेत्र-पुराने योद्धा के समक्ष नई चुनौतियां

  1. सकल मूल्‍य वर्धन-जीवीए में सेवा क्षेत्र का योगदान वित्‍त वर्ष 2014 के 50 दशमलव 6 प्रतिशत से बढ़कर वित्‍त वर्ष 2025 में (प्रथम अग्रिम अनुमानों) में 55 दशमलव 3 प्रतिशत पहुंच गया है।
  2. सेवा क्षेत्र में औसत विकास दर महामारी पूर्व वर्षों (वित्‍त वर्ष 2013 से 2020) तक 8 प्रतिशत रहा। महामारी उपरांत अवधि (वित्‍त वर्ष 2023 से वित्‍त वर्ष 2025) में यह 8 दशमलव 3 प्रतिशत है।
  3. वर्ष 2023 में वैश्विक सेवा निर्यात में भारत 4 दशमलव 3 प्रतिशत साझेदारी के साथ विश्‍व में सातवें स्‍थान पर रहा।
  4. भारत के सेवा निर्यात में विकास वित्‍त वर्ष 2024 के 5 दशमलव 7 प्रतिशत से बढ़कर वित्‍त वर्ष 2025 के (अप्रैल-नवम्‍बर) में 12 दशमलव 8 प्रतिशत की वृद्धि का अनुमान है।
  5. वित्‍त वर्ष 2013 से वित्‍त वर्ष 2023 के दशक में सूचना और कम्‍प्‍यूटर आधारित सेवा में 12 दशमलव 8 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई। इससे सकल मूल्‍य वर्धन-जीवीए में उसकी हिस्‍सेदारी 6 दशमलव 3 प्रतिशत से बढ़कर 10 दशमलव 9 प्रतिशत हो गई है।
  6. भारतीय रेलवे ने वित्‍त वर्ष 2024 से यातायात में 8 प्रतिशत की रिकॉर्ड बढ़ोतरी दर्ज की है जबकि वित्‍त वर्ष 2024 में माल भाड़े ढुलाई में 5 दशमलव 2 प्रतिशत का राजस्‍व अर्जित किया है।
  7. पर्यटन क्षेत्र का सकल घरेलू उत्‍पाद में योगदान वित्‍तीय वर्ष 2023 में महामारी पूर्व की स्थिति में 5 प्रतिशत पहुंच गया है।

कृषि और खाद्य प्रबंधन: भविष्‍य की संभावना का क्षेत्र

  1. कृषि और इससे संबंधित क्षेत्रों ने वित्‍त वर्ष 2024 के (प्रारंभिक अनुमानों) में मौजूदा आधार पर सकल घरेलू उत्‍पाद में 16 प्रतिशत का योगदान रहा है।
  2. बागवानी, मवेशी और मत्‍स्‍य इत्‍यादि क्षेत्र कृषि क्षेत्र के सम्‍पूर्ण विकास के चालक रहे हैं।
  3. वर्ष 2024 में खरीफ खाद्यान्‍न उत्‍पादन 1647.05 लाख मीट्रिक टन (एलएमटी) तक पहुंचने की उम्‍मीद है, जो पिछले वर्ष की तुलना में 89.37 एलएमटी की वृद्धि दर्शाती है।
  4. वित्त वर्ष 2024-25 के लिए अरहर और बाजरा के एमएसपी में उत्‍पादन की भारित औसत लागत पर क्रमश: 59 प्रतिशत और 77 प्रतिशत की वृद्धि की गई है।
  5. वर्ष 2011-12 से 2021-22 के लिए मत्‍स्‍य पालन क्षेत्र ने 8.7 प्रतिशत की उच्‍चतम चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर (सीएजीआर) दिखाई है, जिसके बाद पशुधन 5.8 प्रतिशत की सीएजीआर के साथ दूसरे स्‍थान पर है।
  6. राष्‍ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (एनएफएसए) 2013 और प्रधानमंत्री गरीब कल्‍याण अन्‍न योजना (पीएमजीकेवाई) ने खाद्य सुरक्षा के दृष्टिकोण में एक मौलिक बदलाव को चिन्हित किया।
  7. अगले पांच वर्षों के लिए पीएमजीकेएवाई के तहत मुफ्त खाद्यान्‍न का प्रावधान राष्‍ट्रीय खाद्य और पोषण सुरक्षा को पूरा करने के लिए सरकार की दीर्घकालिक प्रतिबद्धबता और दूरदृष्टि को दर्शाता है।
  8. 31 अक्‍टूबर तक पीएम किसान के तहत 11 करोड़ से अधिक किसानों को लाभ मिला है, जबकि 23.61 लाख किसान पीएम किसान मानधन के तहत नामांकित हैं।

जलवायु और पर्यावरण: अनुकूलन की अनिवार्यता

  1. वर्ष 2047 तक विकसित राष्‍ट्र का दर्जा प्राप्‍त करने की भारत की महत्‍वाकांक्षा मूल रूप से समावेशी और सतत विकास के दृष्टिकोण में निहित है।
  2. भारत गैर-जीवाश्म ईंधन स्रोतों से 2,13,701 मेगावाट की संस्‍थापित बिजली उत्‍पादन क्षमता सफलतापूर्वक स्‍थापित की है, जो वर्ष 2030 तक 50 प्रतिशत तक पहुंचने के एनडीसी के अद्यतित लक्ष्‍य की तुलना में 30 नवम्‍बर, 2024 तक कुल क्षमता का 46.8 प्रतिशत है।
  3. भारतीय वन संरक्षण 2024 के अनुसार वर्ष 2005 और वर्ष 2023 के बीच 2.29 बिलियन टन सीओ2 के समतुल्‍य का अतिरिक्‍त कार्बन सिंक बनाया गया है।
  4. भारत के नेतृत्‍व वाले वैश्विक अभियान, लाइफस्‍टाइल फॉर एनवायरनमेंट (लाइफ) का उद्देश्‍य देश के स्थिरता संबंधी प्रयासों को बढ़ाना है।
  5. वर्ष 2030 तक अनुमान है कि लाइफ के प्रयासों से उपाय कम खपत और कम कीमतों के माध्‍यम से वैश्विक स्‍तर पर उपभोक्‍ताओं का लगभग 440 बिलियन अमेरिकी डॉलर बचा सकते हैं।

सामाजिक क्षेत्र : पहुंच का विस्‍तार करना और सशक्तिकरण को आगे बढ़ाना

  1. सरकार का सामाजिक सेवा व्‍यय (संयुक्‍त रूप से केंद्र और राज्‍यों कें संबंध में) वित्त वर्ष 21 से वित्त 25 तक 15 प्रतिशत की चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर से बढ़ा है।
  2. सरकार की विभिन्‍न राजकोषीय नीतियों के समर्थन से उपभोग व्‍यय में असमानता संबंधी माप ‘गिनी गुणांक’ हाल के वर्षों में घटता आ रहा है। ग्रामीण क्षेत्रों के लिए यह 2022-23 में 0.266 से घटकर 2023-24 में 0.237 हो गया और शहरी क्षेत्रों के लिए, यह 2022-23 में 0.314 से घटकर 2023-24 में 0.284 हो गया।
  3. सरकार की विभिन्‍न राजकोषीय नीतियों के समर्थन से आय वितरण को नया आकार दिया जा रहा है।
  4. वित्त वर्ष 2015 से वित्त वर्ष 2022 के बीच देश के कुल स्‍वास्‍थ्‍य व्‍यय में सरकारी स्‍वास्‍थ्‍य व्‍यय की हिस्‍सेदारी 29.0 प्रतिशत से बढ़कर 48.0 प्रतिशत हो गई है। इसी अवधि के दौरान कुल स्‍वास्‍थ्‍य व्‍यय में लोगों द्वारा किए जाने वाले आउट-ऑफ-पॉकेट एक्‍पेंडिचर की हिस्‍सेदारी 62.6 प्रतिशत से घटकर 39.4 प्रतिशत हो गई।
  5. आयुष्‍मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्‍य योजना (एबीपीएम-जेएवाई) ने परिवारों के जेब खर्च में उल्‍लेखनीय कमी लाने में निर्णायक भूमिका निभाई है जिसके अधीन 1.25 लाख करोड़ रुपये से अधिक की बचत दर्ज की गई है।
  6. ग्राम पंचायत स्‍तर पर बजट को संधारणीय विकास लक्ष्‍यों (एसडीजी) के उद्देश्‍यों के अनुरूप सुनिश्चित करने के लिए संधारणीय विकास लक्ष्‍यों (एसडीजी) के स्‍थानीयकरण की रणनीति अपनाई गई है।

रोजगार और कौशल विकासः अस्तित्वगत प्राथमिकताएं

  1. बेरोजगारी दर 2017-18 (जुलाई-जून) के 6.0 प्रतिशत की तुलना में घटकर 2023-24 में 3.2 प्रतिशत रह जाने के साथ भारतीय श्रम बाजार के संकेतकों में सुधार हुआ है।
  2. 10-24 वर्ष के आयु वर्ग में लगभग 26 प्रतिशत जनसंख्‍या होने के साथ, भारत वैश्विक स्‍तर पर सबसे युवा राष्‍ट्रों में से एक के तौर पर विशेष जन सांख्यिकी अवसर के मुहाने पर है।
  3. महिला उद्यमशीलता को प्रोत्‍साहन देते हुए सरकार ने आसान कर्ज, विपणन समर्थन, कौशल विकास और महिला स्‍टार्ट-अप्‍स को समर्थन आदि से जुड़ी कई पहलों की शुरुआत की है।
  4. डिजिटल अर्थव्‍यवस्‍था और नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्रों के विकास से रोजगार सृजन के अवसर बढ़ रहे हैं, जो विकसित भारत के विजन को हासिल करने के लिए आवश्‍यक हैं।
  5. सरकार स्‍वचालन, जनरेटिव एआई, डिजिटलीकरण जैसे उभरते वैश्विक रुझानों और जलवायु परिवर्तन के प्रभावों के साथ तालमेल बिठाने वाला लचीला और उत्‍तरदायी कुशल इकोसिस्‍टम स्‍थापित कर रही है।
  6. सरकार ने रोजगार, स्‍वरोजगार और श्रम कल्‍याण को प्रोत्‍साहन देने के लिए कई कदम उठाए हैं।
  7. हाल में पेश की गई पीएम-इंटर्नशिप योजना रोजगार सृजन को बढ़ावा देने के लिहाज से परिवर्तनकारी साबित हो रही है।
  8. ईपीएफओ के तहत बीते 6 साल में कुल नए पेरोल का आंकड़ा दोगुना हो गया है। इससे औपचारिक रोजगार में मजबूत बढ़ोतरी के संकेत मिलते हैं।

एआई युग में श्रम: संकट या उत्‍प्रेरक?

  1. कृत्रिम बुद्धिमत्‍ता (एआई) के डेवलपर नए युग में प्रवेश करने का भरोसा दिलाते हैं, जहां आर्थिक रूप से बहुमूल्‍य ज्‍यादातर कार्य स्‍वचालित होंगे।
  2. एआई के स्‍वास्‍थ्‍य, शोध, आपराधिक न्‍याय, शिक्षा, व्‍यवसाय और वित्‍तीय सेवाओं सहित विभिन्‍न क्षेत्रों में अहम फैसले लेने में मानव प्रदर्शन से आगे निकलने का अनुमान है।
  3. वर्तमान में बड़े स्‍तर पर एआई को अपनाने से जुड़ी कई बाधाएं मौजूद हैं, जिनमें विश्‍वसनीयता, संसाधन से जुड़ी अक्षमताएं और अवसंरचना से जुड़ी कमियां शामिल हैं। एआई के प्रयोग संबंधी स्‍वभाव के साथ-साथ इन चुनौतियों को देखते हुए, नीति निर्माताओं के लिए कदम उठाना आवश्‍यक है।
  4. एआई की दक्षता को देखते हुए, भारत इन चुनौतियों से पार पाने की मौजूदा जरूरत को समझ गया है, उसने अपने आधार को मजबूत बनाया है और राष्‍ट्रव्‍यापी संस्‍थागत प्रतिक्रिया को संभव बनाया है।
  5. युवा, सक्रिय और तकनीक के मामले में कुशल जनसंख्‍या के दोहन के द्वारा भारत में ऐसा कार्यबल तैयार करने की क्षमताएं हैं, जो अपने कार्य निष्‍पादन और उत्‍पादकता में सुधार के लिए एआई का उपयोग कर सकता है।
  6. काम का भविष्‍य ‘संवर्धित बुद्धिमत्‍ता’ है, जहां कार्यबल में मानव और मशीन दोनों की क्षमताएं समाहित होती हैं। इस दृष्टिकोण का उद्देश्‍य मानव क्षमता को बढ़ाना और कार्य निष्‍पादन में समग्र दक्षता में सुधार करना है, जिससे आखिरकार समाज को ही लाभ होगा।
  7. एआई आधारित बदलाव के विपरीत सामाजिक प्रभावों को न्यूनतम करने के लिए सरकार, नि‍जी क्षेत्र और शिक्षा क्षेत्र के भागीदारी पूर्ण प्रयास आवश्यक हैं।

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