केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 1 फरवरी, 2025 को केंद्रीय बजट वर्ष 2025-26 पेश किया। बजट में 2025-26 के लिए कपड़ा मंत्रालय के लिए 5272 करोड़ रुपये (बजट अनुमान) के परिव्यय की घोषणा की गई। यह वर्ष 2024-25 के बजट अनुमान (4417.03 करोड़ रुपये) से 19 प्रतिशत अधिक है।
स्थिर कपास उत्पादकता की चुनौतियों का समाधान करने के लिए, केंद्रीय बजट वर्ष 2025-26 में कपास की उत्पादकता खासकर अतिरिक्त लंबे स्टेपल वाली किस्मों को बढ़ाने के लिए पांच वर्षीय कपास मिशन की घोषणा की गई है। इस मिशन के अंतर्गत किसानों को विज्ञान और प्रौद्योगिकी सहायता प्रदान की जाएगी। मिशन में 5 एफ सिद्धांत को ध्यान में रखा गया है। इससे किसानों की आय बढ़ेगी और गुणवत्तापूर्ण कपास की निरंतर आपूर्ति बढ़ेगी। घरेलू उत्पादकता को बढ़ावा देकर, यह पहल कच्चे माल की उपलब्धता को कायम रखेगी। आयात निर्भरता को कम कर भारत के कपड़ा क्षेत्र की वैश्विक प्रतिस्पर्धात्मकता जहां 80 प्रतिशत क्षमता एमएसएमई द्वारा संचालित है उसे बढ़ाएगी।
प्रतिस्पर्धी कीमतों पर कृषि-वस्त्र, चिकित्सा वस्त्र और भू-वस्त्र जैसे तकनीकी वस्त्र उत्पादों के घरेलू उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए, दो और प्रकार के शटल-रहित करघे को पूरी तरह से छूट प्राप्त कपड़ा मशीनरी की सूची में जोड़ा गया है। कपड़ा उद्योग में उपयोग के लिए शटल-रहित करघे रैपियर लूम (650 मीटर प्रति मिनट से कम) और शटल-रहित करघे एयर जेट लूम (1000 मीटर प्रति मिनट से कम) पर शुल्क मौजूदा 7.5 प्रतिशत से शून्य कर दिया गया है। इस प्रावधान से उच्च गुणवत्ता वाले आयातित करघों की लागत कम हो जाएगी, जिससे बुनाई क्षेत्र में आधुनिकीकरण और क्षमता वृद्धि की पहल को बढ़ावा मिलेगा। इससे तकनीकी वस्त्र क्षेत्र जैसे कृषि वस्त्र, चिकित्सा वस्त्र और भू-वस्त्र में मेक इन इंडिया को भी बढ़ावा मिलेगा।
नौ टैरिफ लाइनों के अंतर्गत आने वाले बुने हुए कपड़ों पर मूल सीमा शुल्क दर को “10 प्रतिशत या 20 प्रतिशत” से बढ़ाकर “20 प्रतिशत या 115 रुपये प्रति किलोग्राम, जो भी अधिक हो” कर दिया गया है। इससे भारतीय बुने हुए कपड़े निर्माताओं की प्रतिस्पर्धात्मकता में सुधार होगा और सस्ते आयात पर अंकुश लगेगा।
हस्तशिल्प के निर्यात को सुविधाजनक बनाने के लिए निर्यात की समयावधि छह महीने से बढ़ाकर एक वर्ष कर दी गई है, जिसे आवश्यकता पड़ने पर तीन महीने और बढ़ाया जा सकता है। इस प्रावधान से हस्तशिल्प निर्यात को लाभ होगा, क्योंकि इससे वस्तुओं की सूची और निर्यात उत्पादन के लिए आयातित शुल्क मुक्त कच्चे माल के रूपांतरण की समयावधि बढ़ गई है। ऊन पॉलिश सामग्री, समुद्री शंख, मदर ऑफ पर्ल (एमओपी), मवेशी सींग आदि सहित नौ वस्तुओं को शुल्क मुक्त इनपुट की सूची में जोड़ा गया है।
भारत के कपड़ा क्षेत्र का 80 प्रतिशत हिस्सा एमएसएमई में है। बजट में निर्यात पर जोर, ऋण और कवरेज में वृद्धि से कपड़ा एमएसएमई का उत्थान होगा। राष्ट्रीय विनिर्माण मिशन, निर्यात संवर्धन मिशन, भारत व्यापार नेट के सृजन में, फंड ऑफ फंड्स, रोजगार और उद्यमिता के अवसरों को बढ़ावा देने के लिए श्रम-प्रधान क्षेत्रों के लिए उपाय , एमएसएमई के लिए वर्गीकरण मानदंडों में संशोधन और अन्य घोषणाएं कपड़ा क्षेत्र के लिए अनुकूल वातावरण बनाएंगी।