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5-day IIAS-DARPG India Conference-2025 concluded with participation of over 750 delegates from 58 countries
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5 दिवसीय IIAS-DARPG इंडिया सम्मेलन-2025 58 देशों के 750 से अधिक प्रतिनिधियों की भागीदारी के साथ संपन्न हुआ

अंतर्राष्ट्रीय प्रशासनिक विज्ञान संस्थान (आईआईएएस) और प्रशासनिक सुधार एवं लोक शिकायत विभाग (डीएआरपीजी), भारत सरकार ने 10 से 14 फरवरी 2025 तक नई दिल्ली में आयोजित आईआईएएस-(डीएआरपीजी इंडिया कॉन्फ्रेंस 2025 का सफलतापूर्वक समापन किया। “अगली पीढ़ी के प्रशासनिक सुधार-नागरिकों का सशक्तिकरण और अंतिम व्यक्ति तक पहुँचना” विषय पर आयोजित इस कॉन्फ्रेंस का उद्घाटन कार्मिक, लोक शिकायत और पेंशन मंत्रालय के राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने पारंपरिक रूप से दीप प्रज्वलित करके किया।

पांच दिवसीय कार्यक्रम में 58 देशों के 750 से अधिक प्रतिनिधियों ने भाग लिया, जिनमें नीति निर्माता, शिक्षाविद और व्यवसायी शामिल थे, जिन्होंने परिवर्तनकारी शासन मॉडल और समावेशी लोक प्रशासन पर चर्चा की। डॉ. जितेंद्र सिंह ने प्रतिष्ठित लेखकों और विशेषज्ञों द्वारा संपादित 710-पृष्ठों की पुस्तक “विकसित भारत@2047: गवर्नेंस ट्रांसफॉर्म्ड” का भी विमोचन किया। यह पुस्तक भारत के शासन विकास पर प्रकाश डालती है और 2047 तक विकसित राष्ट्र का दर्जा प्राप्त करने के लिए एक रणनीतिक रोडमैप की रूपरेखा प्रस्तुत करती है।

सम्मेलन में 66 ब्रेकआउट सत्र और 7 पूर्ण सत्र शामिल थे, जिसमें दुनिया भर के हजारों अधिकारियों की वर्चुअल भागीदारी भी शामिल थी। वैश्विक दक्षिण के प्रतिनिधियों ने समान शासन और प्रौद्योगिकी-संचालित समाधानों पर जोर दिया, जो विकास संबंधी विभाजन को पाटने पर सम्मेलन के फोकस को दर्शाता है। भारत ने अपने डिजिटल गवर्नेंस प्लेटफॉर्म का प्रदर्शन किया, जिसमें दुनिया की सबसे बड़ी सार्वजनिक शिकायत निवारण प्रणाली (सीपीजीआरएएमएस) पोर्टल शामिल है, जो “अधिकतम शासन, न्यूनतम सरकार” के सिद्धांत के अनुरूप है। लिंक्डइन, एक्स और फेसबुक जैसे प्लेटफॉर्म पर 1,000 से अधिक सोशल मीडिया पोस्ट ने सम्मेलन की अंतर्दृष्टिको प्रसार दिया, जिससे व्यापक वैश्विक जुड़ाव हुआ।

अपने ब्रेबेंट व्याख्यान में प्रोफेसर एंड्रयू मैसी ने शिकायत निवारण को “सुशासन का मूल” बताया, जो भारत के नागरिक-केंद्रित सुधारों के अनुरूप था।

समापन सत्र में डीएआरपीजी के सचिव वी. श्रीनिवास ने बहुपक्षीय सहयोग को पुनर्जीवित करने के लिए भारत की प्रतिबद्धता पर प्रकाश डाला, उन्होंने कहा कि यह सम्मेलन आईआईएएस के 100 साल के इतिहास में एक ऐतिहासिक मील का पत्थर है। सम्मेलन ने प्रशासनिक विज्ञान में ज्ञान के आदान-प्रदान को आगे बढ़ाने के लिए आईआईएएस के साथ भारत की साझेदारी को मजबूत किया, जिसमें हाशिए पर पड़े समुदायों को सशक्त बनाने और अंतिम छोर तक सेवा वितरण को बढ़ाने के लिए अगली पीढ़ी के सुधारों पर केंद्रित चर्चाएँ शामिल थीं। वैश्विक प्रतिनिधियों ने भारत के आतिथ्य, तकनीकी प्रगति और समावेशी शासन के प्रति समर्पण की सराहना की। कार्यक्रम का समापन दुनिया भर में समृद्ध, न्यायसंगत और सहयोगी शासन ढांचे के निर्माण की सामूहिक प्रतिज्ञा के साथ हुआ।

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