रक्षा मंत्री ने आईसीजी कर्मियों को 32 वीरता, विशिष्ट सेवा और सराहनीय सेवा पदक प्रदान किए
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने 25 फरवरी, 2025 को नई दिल्ली के भारत मंडपम में आयोजित 18वें आईसीजी अलंकरण समारोह के दौरान भारतीय तटरक्षक बल (आईसीजी) के कर्मियों को वीरता, विशिष्ट सेवा और सराहनीय सेवा पदक प्रदान किए। वर्ष 2022, 2023 और 2024 के लिए दिए गए कुल 32 पदकों में छह राष्ट्रपति तटरक्षक पदक (विशिष्ट सेवा), 11 तटरक्षक पदक (वीरता) और 15 तटरक्षक पदक (सराहनीय सेवा) शामिल हैं। आईसीजी कर्मियों को चुनौतीपूर्ण और चरम स्थितियों में उनकी अनुकरणीय सेवा, वीरता के कार्यों और कर्तव्य के प्रति निस्वार्थ समर्पण के लिए ये पदक प्रदान किए गए।
रक्षा मंत्री ने जवानों को बधाई देते हुए कहा कि ये पदक सिर्फ एक स्मृति चिन्ह नहीं हैं, बल्कि ये तिरंगे के सम्मान को बनाए रखने के लिए बहादुरी, दृढ़ता और अटूट संकल्प का प्रतीक हैं। उन्होंने तटीय सुरक्षा, संगठनात्मक दक्षता, मादक पदार्थों की जब्ती, बचाव अभियान और अंतरराष्ट्रीय अभ्यास सुनिश्चित करने में जवानों के प्रयासों की सराहना की।
राजनाथ सिंह ने आईसीजी के एक मजबूत, भरोसेमंद और दुनिया की सबसे कुशल समुद्री सेनाओं में से एक बनने पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा, “भौगोलिक दृष्टि से भारत तीन तरफ से समुद्र से घिरा हुआ है और इसकी तटरेखा बहुत बड़ी है। देश की सामरिक सुरक्षा दो तरह के खतरों का सामना करती है। पहला युद्ध है, जिसका सामना सशस्त्र बलों को करना पड़ता है और दूसरा समुद्री डकैती, आतंकवाद, घुसपैठ, तस्करी और अवैध मछली पकड़ने की चुनौतियां हैं, जिनके लिए समुद्री सेनाएं, खास तौर पर आईसीजी हमेशा सतर्क रहती हैं। इन चुनौतियों से निपटने के लिए आईसीजी सक्रिय रूप से काम कर रहा है और सामरिक सुरक्षा सुनिश्चित करने में अहम भूमिका निभा रहा है।”
पिछले एक साल में, आईसीजी ने समुद्री सुरक्षा, संरक्षा और मानवीय कार्यों में महत्वपूर्ण उपलब्धियां हासिल की हैं। इसने 14 नावों और 115 समुद्री लुटेरों को पकड़ा। साथ ही लगभग 37,000 करोड़ रुपये कीमत के मादक पदार्थ जब्त किए। इसके अलावा, आईसीजी ने विभिन्न बचाव कार्यों के माध्यम से 169 लोगों की जान बचाई और 29 गंभीर रूप से घायल लोगों को चिकित्सा सहायता प्रदान की।
रक्षा मंत्री ने इन उपलब्धियों को केवल आंकड़े नहीं, बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा के प्रति आईसीजी के साहस और समर्पण की कहानी बताया। उन्होंने कहा कि समुद्री सीमाओं पर सतर्क रहकर आईसीजी न केवल अवैध घुसपैठ को रोकता है, बल्कि भारत की संप्रभुता और आंतरिक सुरक्षा को सकारात्मक रूप से प्रभावित करने में भी मदद करता है। नवीनतम तकनीकी प्रगति के कारण अपरंपरागत खतरों के उभरने पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने समुद्री बलों, विशेष रूप से आईसीजी से पारंपरिक खतरों के अलावा साइबर हमलों, डेटा उल्लंघन, सिग्नल जामिंग, रडार व्यवधान और जीपीएस स्पूफिंग जैसी चुनौतियों के प्रति सतर्क रहने का आह्वान किया।
राजनाथ सिंह ने कहा कि सुरक्षित और समृद्ध भारत का सपना तभी साकार हो सकता है जब इसकी सुरक्षा व्यवस्था मजबूत हो और सेनाएं सशक्त हों। उन्होंने आईसीजी की दक्षता बढ़ाने के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार की प्रतिबद्धता दोहराई। उन्होंने कहा, “वित्त वर्ष 2025-26 के लिए भारतीय तटरक्षक बल को 9,676.70 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं, जो पिछले बजट से 26.50 प्रतिशत अधिक है। यह आईसीजी के आधुनिकीकरण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। इसके अलावा, आईसीजी को मजबूत बनाने के लिए 14 फास्ट पेट्रोल वेसल, छह एयर कुशन वाहन, 22 इंटरसेप्टर बोट्स, छह नेक्स्ट जेनरेशन ऑफशोर पेट्रोल वेसल और 18 नेक्स्ट जेनरेशन फास्ट पेट्रोल वेसल की खरीद को मंजूरी दी गई है।”
रक्षा मंत्री ने डिजिटल कोस्ट गार्ड परियोजना की आधारशिला रखने की सराहना करते हुए आईसीजी के तकनीकी प्रगति पर ध्यान केंद्रित करने की बात कही। उन्होंने कहा कि ये सभी प्रयास आईसीजी को पारंपरिक और अपारंपरिक खतरों से प्रभावी ढंग से निपटने के लिए निरंतर मजबूत करेंगे। उन्होंने इस उद्देश्य को प्राप्त करने में सरकार के पूर्ण समर्थन का आश्वासन दिया।
समारोह से पहले रक्षा मंत्री ने औपचारिक सलामी गारद का निरीक्षण किया, जो इस अवसर की गंभीरता और महत्व को दर्शाता है। पुरस्कार विजेताओं और उनके परिवारों ने भी राजनाथ सिंह से बातचीत की। इसके साथ ही कार्यक्रम का समापन हुआ। इस अवसर पर रक्षा राज्य मंत्री संजय सेठ, रक्षा सचिव राजेश कुमार सिंह, आईसीजी के महानिदेशक परमेश शिवमणि, आईसीजी और रक्षा मंत्रालय के अन्य वरिष्ठ अधिकारी और पुरस्कार विजेताओं के परिवार मौजूद थे।