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Union Health Minister JP Nadda inaugurated the 3rd International Symposium on Health Technology Assessment 2025
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केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा ने स्वास्थ्य प्रौद्योगिकी मूल्यांकन 2025 संबंधी तीसरी अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी का उद्घाटन किया

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जगत प्रकाश नड्डा ने आज दिल्ली स्थित भारत मंडपम में स्वास्थ्य प्रौद्योगिकी मूल्यांकन 2025 संबंधी तीसरी अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी का उद्घाटन किया (आईएसएचटीए 2025)। इसका आयोजन स्वास्थ्य अनुसंधान विभाग (डीएचआर), स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) इंडिया कंट्री ऑफिस और सेंटर फॉर ग्लोबल डेवलपमेंट (सीजीडी) के सहयोग से किया जा रहा है।

इस मौके पर नई दिल्ली लोकसभा सीट से सांसद बांसुरी स्वराज; नीति आयोग के सदस्य (स्वास्थ्य) प्रोफेसर विनोद कुमार पॉल; स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय में सचिव (एच एंड एफडब्ल्यू) पुण्य सलिला श्रीवास्तव; स्वास्थ्य अनुसंधान विभाग के सचिव और भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद के महानिदेशक डॉ. राजीव बहल और फार्मास्यूटिकल्स विभाग के सचिव अमित अग्रवाल भी मौजूद थे।

इस वर्ष संगोष्ठी का विषय है, “साक्ष्य आधारित नीति निर्माण: किफायती स्वास्थ्य देखभाल के लिए स्वास्थ्य प्रौद्योगिकी मूल्यांकन।”

सभा को संबोधित करते हुए, जेपी नड्डा ने देश की स्वास्थ्य सेवा प्रणाली को मजबूत करने और सभी के लिए सुलभ और सस्ती स्वास्थ्य सेवा सुनिश्चित करने में माननीय प्रधानमंत्री के विज़न और प्रतिबद्धता पर जोर दिया। उन्होंने सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज (यूएचसी) के लक्ष्यों के अनुरूप एक कुशल, न्यायसंगत और उच्च गुणवत्ता वाली स्वास्थ्य प्रणाली बनाने के लिए साक्ष्य-आधारित नीति निर्माण को आगे बढ़ाने में स्वास्थ्य प्रौद्योगिकी मूल्यांकन (एचटीए) की महत्वपूर्ण भूमिका पर प्रकाश डाला।

जेपी नड्डा ने इस बात पर रोशनी डाली कि “सरकार निवारक, उपचारात्मक, उपशामक और पुनर्वास संबंधी स्वास्थ्य सेवा मुहैया कराने पर विशेष ध्यान दे रहा है।” उन्होंने बताया कि केंद्र सरकार ने प्राथमिक, माध्यमिक और तृतीयक स्वास्थ्य सेवा पर जोर दिया है। उन्होंने कहा कि अब तक 22 अत्याधुनिक एम्स स्थापित किए जा चुके हैं और एमबीबीएस और एमडी सीटों में पर्याप्त बढ़ोतरी हुई है और साथ ही पैरामेडिक और नर्सिंग स्टाफ के प्रशिक्षण में भी वृद्धि हुई है। उन्होंने कहा कि सरकार चिकित्सा क्षेत्र में 75,000 सीटें बढ़ाएगी, जिनमें से 30,000 सीटें पिछले वर्ष ही बढ़ाई जा चुकी हैं।

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि एचटीए इंडिया संसाधन केंद्र भारत के 19 राज्यों में फैले हुए हैं, जो प्राथमिकता निर्धारण के लिए एक महत्वपूर्ण तंत्र के रूप में कार्य करते हैं और इससे टीबी का पता लगाने, स्वास्थ्य देखभाल लागत को अनुकूलित करने और राष्ट्रीय स्वास्थ्य कार्यक्रमों में साक्ष्य-आधारित डेटा को शामिल करने जैसे विभिन्न स्वास्थ्य लक्ष्यों को प्राप्त करने में काफी मदद मिली है।

इस मौके पर, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने कई प्रमुख संसाधन जारी किए, जिनमें फुफ्फुसीय तपेदिक के निदान के लिए ओपन रियल-टाइम पीसीआर किट (ह्यूवेल लाइफसाइंसेज द्वारा विकसित क्वांटिप्लस(आर) एमटीबी फास्ट डिटेक्शन किट), एचटीए टेक्नोलॉजीज कम्पेंडियम, एचटीए कॉस्टिंग डेटाबेस और पेटेंट मित्र पहल शामिल हैं। उन्होंने कहा, “इन प्रमुख पहलों के शुभारंभ के साथ, हमारा देश अपने नवोन्मेषकों का समर्थन करने की दिशा में महत्वपूर्ण रूप से काफी आगे बढ़ रहा है। यह मंच वैज्ञानिकों, शोधकर्ताओं और संस्थानों को महत्वपूर्ण सहायता प्रदान करने के लिए डिज़ाइन किया गया है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि उनके अभूतपूर्व कार्य पेटेंट के जरिए संरक्षित रहें और निर्बाध प्रौद्योगिकी हस्तांतरण के माध्यम से जनता के लिए उपलब्ध कराए जा सकें।”

जेपी नड्डा ने इस बात पर भी प्रकाश डाला कि आईसीएमआर की “मेडिकल एजुकेशन पेटेंट मित्र” पहल, मेड टेक मित्र पहल के अनुरूप है, जो चिकित्सा नवाचार को आगे बढ़ाने के लिए आईसीएमआर की प्रतिबद्धता का एक सबूत है।

उन्होंने अपने संबोधन का समापन यह कहते हुए किया कि एचटीए सभी के लिए समावेशी, सस्ती, न्यायसंगत और सुलभ स्वास्थ्य सेवा प्रदान करने की सरकार की प्रतिबद्धता को मजबूत करने में मदद करता है। उन्होंने कहा, “एचटीए 2047 तक हमारे माननीय प्रधानमंत्री द्वारा परिकल्पित विकसित भारत को साकार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।”

डॉ. विनोद के पॉल ने एचटीएआईएन (स्वास्थ्य प्रौद्योगिकी मूल्यांकन- भारत) को कम समय में उल्लेखनीय प्रगति के लिए बधाई दी। उन्होंने संसाधन आवंटन को निर्देशित करने और अधिकतम प्रभाव के लिए स्वास्थ्य निवेश को अनुकूलित करने में एचटीए के महत्व को रेखांकित किया।

उन्होंने एचटीए की पांच प्रमुख उपलब्धियों पर प्रकाश डाला, जो इस प्रकार हैं:

  • स्वास्थ्य अनुसंधान विभाग के अंतर्गत एचटीए का पूर्ण कार्यालय बन जाने से संगठन बहुत मजबूत हो गया है।
  • जिस वैज्ञानिक सटीकता से विश्लेषण किया जा रहा है वह वैश्विक मानक का है तथा भारतीय आवश्यकताओं के अनुरूप है।
  • एचटीए ने पूरे देश में वैज्ञानिकों, सार्वजनिक स्वास्थ्य अधिकारियों, शिक्षाविदों आदि का एक नेटवर्क बनाया है।
  • आयुष्मान भारत जैसे सरकारी कार्यक्रमों में एचटीए इनपुट का वास्तविक उपयोग हुआ है।
  • भारत जैसे संघीय व्यवस्था में, जहां स्वास्थ्य राज्य का विषय है, राज्यों में एचटीए इनपुट का उपयोग तेजी से बढ़ रहा है।

डॉ. राजीव बहल ने भारतीय स्वास्थ्य नीतियों को आकार देने और लागत प्रभावी स्वास्थ्य प्रौद्योगिकियों के विकास के लिए इकोसिस्टम को मजबूत करने में एचटीए की क्षमता पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा, “एचटीए एक इकोसिस्टम का हिस्सा है जिसे भारत ने कोविड-19 महामारी के प्रति अपनी प्रतिक्रिया से आगे बढ़ाया है और जिसके दौरान देश के भीतर कई प्रौद्योगिकियों को स्वदेशी रूप से विकसित और मान्य किया गया था।” उन्होंने सस्ती स्वास्थ्य सेवा प्राप्त करने के लिए अनुसंधान संस्थानों, नीति निर्माताओं और उद्योग के बीच सहयोग की आवश्यकता पर बल दिया।

पुण्य सलिला श्रीवास्तव ने साक्ष्य-आधारित निर्णय लेने को मजबूत करने और बेहतर रोगी परिणामों के लिए कुशल, न्यायसंगत और उच्च-गुणवत्ता वाली सेवाओं को सक्षम करने में एचटीए की महत्वपूर्ण भूमिका पर रोशनी डाली। उन्होंने कहा कि “ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों के बीच की खाई को पाटने में डिजिटल स्वास्थ्य प्रौद्योगिकियां अत्यधिक उपयोगी साबित हुई हैं। उन्होंने ई-संजीवनी, आयुष्मान भारत, टेलीमानस, यूविन आदि जैसे सरकारी कार्यक्रमों में एचटीए द्वारा निभाई गई महत्वपूर्ण भूमिका को भी रेखांकित किया, जो इसके साक्ष्य आधारित, लागत प्रभावी और सुलभ ढांचे के कारण है।

अमित अग्रवाल ने फार्मास्यूटिकल क्षेत्र में नवाचार को बढ़ावा देने तथा किफायती चिकित्सा उत्पादों के विकास और उनको अपनाने में सुगमता प्रदान करने के लिए एचटीए की आवश्यकता को रेखांकित किया।

संगोष्ठी में कई तरह की आकर्षक गतिविधियाँ पेश की गईं, जिनमें मुख्य प्रस्तुतियाँ, पैनल चर्चाएँ, मौखिक और पोस्टर प्रस्तुतियाँ और नेटवर्किंग के अवसर शामिल थे। संगोष्ठी में एक ‘मार्केटप्लेस’ में एचटीए अध्ययनों और स्वास्थ्य संबंधी नीति निर्माण पर उनके प्रभाव को प्रदर्शित किया गया।

वैश्विक विशेषज्ञों, नीति निर्माताओं और हितधारकों को एक साथ लाकर आईएसएचटीए 2025 ने सार्थक सहयोग के लिए मंच तैयार किया है, जो भारत और उसके बाहर एक अधिक संधारणीय, सुलभ और सस्ती स्वास्थ्य सेवा प्रणाली बनाने में योगदान देगा।

इस कार्यक्रम में केन्द्र सरकार के स्वास्थ्य अनुसंधान विभाग की संयुक्त सचिव अनु नागर, भारत में विश्व स्वास्थ्य संगठन के प्रतिनिधि डॉ. रोडेरिको एच. ऑफरिन और केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी भी उपस्थित थे। भारत और विदेश के शोधकर्ताओं, शिक्षाविदों, नवप्रवर्तकों और उद्योग जगत के भागीदारों ने भी इसमें हिस्सा लेकर अपने दृष्टिकोण और अंतर्दृष्टि को साझा किया।

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