प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मॉरीशस को भारत और ग्लोबल साउथ के बीच महत्वपूर्ण सेतु बताया
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कल पोर्ट लुई में मॉरीशस के प्रधानमंत्री नवीन चंद्र रामगुलाम के साथ सकरात्मक बातचीत की और दोनों देशों के बीच साझेदारी की मजबूती के संकल्प को दोराहया। दोनों नेताओं ने भारत-मॉरीशस संबंधों को ऊंचाइयों तक ले जाने के नए रास्तों पर विचार-विमर्श किया। बैठक के दौरान रक्षा, सुरक्षा, आर्थिक संबंध और सांस्कृतिक आदान-प्रदान के मुद्दों पर चर्चा हुई। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा दोनों देश ग्लोबल साउथ के हितों को बढ़ावा देने के लिए मिलकर काम करेंगे।
मॉरीशस के प्रधानमंत्री द्वारा आयोजित रात्रिभोज के दौरान अपने संबोधन में प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि दोनो देशों के बीच संबंधों को लेकर हमारी आशाओं और आकांक्षाओं की कोई सीमा नहीं है। उन्होंने कहा कि आने वाले समय में भारत और मॉरीशस अपने लोगों के विकास, शांति और सुरक्षा के लिए मिलकर काम करना जारी रखेंगे।
विश्व में कोई एक देश है जिसका भारत पर पूरा हक है। तो उस देश का नाम है मॉरीशस। हमारे संबंधों की कोई सीमा नहीं है। हमारे संबंधों को लेकर हमारी आशाओं और आकांक्षाओं की कोई लिमिट नहीं है। आने वाले समय में हम मिलकर हमारे लोगों के विकास, पूरे क्षेत्र की शांति और सुरक्षा के लिए मिलजुल करके काम करते रहेंगे।
इससे पहले कल रात मॉरीशस की राजधानी पोर्ट लुइ में भारतीय प्रवासियों को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि मॉरीशस भारत के सागर विजन के केंद्र में बना हुआ है। इसकी घोषणा पहली बार प्रधानमंत्री मोदी की 2015 की मॉरीशस यात्रा के दौरान की गई थी। प्रधानमंत्री ने मॉरीशस को भारत और ग्लोबल साउथ के बीच एक महत्वपूर्ण सेतु बताया है।
प्रधानमंत्री मोदी का भाषण हिंद महासागर क्षेत्र को सुरक्षित करने के लिए सहयोगात्मक प्रयास पर केंद्रित था। प्रधानमंत्री ने 30 मिनट के भाषण में भोजपुरी भाषा का भी इस्तेमाल किया, क्योंकि वहां की 70 प्रतिशत आबादी भारतीय मूल की है जो मुख्य रूप से भोजपुरी भाषी है।