केंद्र सरकार ने व्यापारियों/थोक विक्रेताओं, खुदरा विक्रेताओं, बड़ी आपूर्ति श्रृंखला के खुदरा विक्रेताओं और प्रसंस्करणकर्ताओं पर गेहूं की स्टॉक सीमा लागू की
समग्र खाद्य सुरक्षा प्रबंधन और जमाखोरी तथा भ्रष्ट तरीके से मूल्य प्रभावित करने के कदम को रोकने के लिए केंद्र सरकार ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में व्यापारियों/थोक विक्रेताओं, खुदरा विक्रेताओं, बड़ी आपूर्ति श्रृंखला के खुदरा विक्रेताओं और प्रसंस्करणकर्ताओं पर गेहूं रखने पर स्टॉक सीमा लगा दी है। 27 मई 2025 को निर्दिष्ट खाद्य पदार्थों पर लाइसेंसिंग आवश्यकताएं हटाने, स्टॉक सीमा और माल लाने-ले जाने पर प्रतिबंध (संशोधन) आदेश, 2025 जारी किया गया है। स्टॉक सीमा सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में 31 मार्च 2026 तक लागू रहेगी।
गेहूं की स्टॉक सीमा निम्नानुसार निर्धारित की गई है:
(i) व्यापारी/थोक व्यापारी: 3000 मीट्रिक टन;
(ii) खुदरा विक्रेता: प्रत्येक खुदरा दुकान के लिए 10 मीट्रिक टन।
(iii) बड़ी आपूर्ति श्रृंखला के खुदरा विक्रेताओं के प्रत्येक खुदरा आउटलेट के लिए 10 मीट्रिक टन तक, बशर्ते कि अधिकतम मात्रा (10 गुणा कुल आउटलेट की संख्या) मीट्रिक टन हो। यह अधिकतम स्टॉक उनके सभी रिटेल आउटलेट और डिपो को मिलाकर मान्य होगा।
(iv) प्रसंस्करणकर्ता: वित्त वर्ष 2025-26 के शेष महीनों के गुणक मासिक स्थापित क्षमता (एमआईसी) का 70 प्रतिशत।
सभी विक्रेताओं को अपनी गेहूं भंडारण की स्थिति प्रत्येक शुक्रवार को गेहूं स्टॉक पोर्टल ( https://evegoils.nic.in/wsp/login, पर देना आवश्यक होगा। स्टॉक की स्थिति बाद में https://foodstock.dfpd.gov.in पर घोषित/अद्यतित करना आवश्यक होगा। किसी व्यापारी द्वारा पोर्टल पर पंजीकरण न कराने या स्टॉक सीमा का उल्लंघन करने पर उसके खिलाफ आवश्यक वस्तु अधिनियम, 1955 की धारा 6 और 7 के तहत दंडात्मक कार्रवाई की जाएगी।
यदि इन व्यापारिक संस्थाओं के पास निर्धारित सीमा से अधिक गेहूं है तो उन्हें अधिसूचना जारी होने के 15 दिनों के भीतर इसे निर्धारित भंडारण सीमा तक लाना होगा। केंद्र और राज्य सरकारों के अधिकारी इन स्टॉक सीमाओं पर बारीकी से निगाह रखेंगे ताकि सुनिश्चित हो कि देश में गेहूं की कमी जानबूझकर पैदा न की जाए।
केंद्र सरकार ने राज्य एजेंसियों/ भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) के माध्यम से 27.05.2025 तक 298.17 लाख मीट्रिक टन गेहूं की खरीद की है जो सार्वजनिक वितरण प्रणाली, अन्य कल्याणकारी योजनाओं (ओडब्ल्यूएस) और बाजार आधारित अन्य आवश्यकताएं पूरी करने के लिए पर्याप्त है। खाद्य और सार्वजनिक वितरण विभाग देश में गेहूं की कीमतों को नियंत्रित करने और इसकी आसान उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए गेहूं के स्टॉक पर कड़ी नजर रख रहा है।