ऑपरेशन सिंदूर इस बात का प्रमाण है कि सरकार ने राष्ट्रीय सुरक्षा मुद्दों के प्रति दृष्टिकोण बदलकर भारत की सुरक्षा व्यवस्था को बदल दिया है: रक्षा मंत्री
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने उत्तराखंड के देहरादून में ‘राष्ट्रीय सुरक्षा और आतंकवाद’ विषय पर आयोजित एक संवाद में कहा कि पिछले 11 वर्षों में, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में सरकार ने राष्ट्रीय सुरक्षा से संबंधित मुद्दे के प्रति दृष्टिकोण और कार्रवाई के तरीके को बदलकर भारत के सुरक्षा तंत्र को बदल दिया है और दुनिया ने ऑपरेशन सिंदूर के दौरान इस बदलाव को देखा।
रक्षा मंत्री ने ऑपरेशन सिंदूर को भारतीय इतिहास में आतंकवाद के खिलाफ की गई सबसे बड़ी कार्रवाई बताया, जो जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में निर्दोष लोगों पर कायरतापूर्ण आतंकी हमले के जवाब में की गई थी। उन्होंने कहा कि पहलगाम की घटना देश की सामाजिक एकता पर हमला थी और भारत ने पाकिस्तान और पीओके में आतंकी ठिकानों और संबंधित बुनियादी ढांचे को नष्ट करके आतंकवाद और उसके अपराधियों के खिलाफ बड़ी और कड़ी कार्रवाई की। उन्होंने कहा, “अनुच्छेद 370 के निरस्त होने के बाद, जम्मू-कश्मीर ने शांति और प्रगति के युग की शुरुआत की। हमारे पड़ोसी इसे बर्दाश्त नहीं कर सके और पहलगाम में आतंकी हमले को अंजाम दिया। जबर्दस्त प्रयासों के बावजूद, पाकिस्तान कश्मीर में विकास को रोक नहीं पाया है। उधमपुर-श्रीनगर-बारामुल्ला रेलवे लिंक जम्मू-कश्मीर में प्रगति के लिए सरकार की अथक खोज का एक शानदार उदाहरण है। जल्द ही, पीओके हमारे साथ जुड़ जाएगा और कहेगा ‘मैं भी भारत हूं’।”
राजनाथ सिंह ने कहा कि भारतीय सशस्त्र बलों ने आतंकवादियों को मुंहतोड़ जवाब दिया है, लेकिन भविष्य में पहलगाम जैसी आतंकवादी घटनाओं को रोकना जरूरी है। उन्होंने न केवल सरकारों के स्तर पर, बल्कि जनता के स्तर पर भी सतर्क रहने की जरूरत पर बल दिया। उन्होंने आतंकवाद को एक विकृत नैतिक तर्क, मानवता पर सबसे बड़ा अभिशाप, शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व तथा लोकतंत्र के लिए एक बड़ा खतरा और प्रगति के मार्ग में बाधा बताया। रक्षा मंत्री ने कहा कि आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई सिर्फ सुरक्षा का सवाल नहीं है, यह मानवता के बुनियादी मूल्यों की रक्षा की लड़ाई है।
रक्षा मंत्री ने आतंकवाद को महामारी बताया और जोर देकर कहा कि इस खतरे को स्वाभाविक मौत के लिए नहीं छोड़ा जा सकता क्योंकि इसका अस्तित्व सामूहिक शांति, विकास और समृद्धि के लिए चुनौती बना रहेगा। उन्होंने आतंकवाद के स्थायी समाधान की तत्काल आवश्यकता पर जोर दिया।
राजनाथ सिंह ने कहा, “आतंकवादी किसी उद्देश्य से लड़ने वाले नहीं होते। कोई भी धार्मिक, वैचारिक या राजनीतिक कारण आतंकवाद को उचित नहीं ठहरा सकता। रक्तपात और हिंसा के माध्यम से कभी भी कोई मानवीय उद्देश्य हासिल नहीं किया जा सकता। भारत और पाकिस्तान ने एक ही समय में आजादी प्राप्त की, लेकिन आज भारत को लोकतंत्र की जननी के रूप में जाना जाता है, जबकि पाकिस्तान वैश्विक आतंकवाद के जनक के रूप में उभरा है। पाकिस्तान ने हमेशा आतंकवादियों को पनाह दी है, उन्हें अपनी धरती पर प्रशिक्षित किया है और उनकी मदद की है। वह हमेशा इस खतरे को उचित ठहराने की कोशिश करता है। अब महत्वपूर्ण यह है कि हम इन आतंकवादियों और उनके पूरे ढांचे को खत्म कर दें।”
रक्षा मंत्री ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से पाकिस्तान को मिलने वाली विदेशी फंडिंग रोकने का आग्रह करते हुए कहा कि इस वित्तीय सहायता का एक बड़ा हिस्सा आतंकवाद पर खर्च किया जाता है। उन्होंने कहा, “पाकिस्तान को फंड देने का मतलब है आतंकवाद के बुनियादी ढांचे को फंड देना। पाकिस्तान आतंकवाद की नर्सरी है। इसे पोषित नहीं किया जाना चाहिए।”
राजनाथ सिंह ने हाल ही में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद द्वारा पाकिस्तान को आतंकवाद निरोधक पैनल का उपाध्यक्ष नियुक्त करने के निर्णय पर आश्चर्य व्यक्त किया, खासकर तब जब यह पैनल 9/11 के आतंकवादी हमलों के बाद बनाया गया था। उन्होंने कहा, “पाकिस्तान ने 9/11 हमलों के साजिशकर्ता को पनाह दी थी। इसकी भूमि का उपयोग वैश्विक आतंकवादी संगठनों के लिए पनाहगाह के रूप में किया गया है। वहां हाफिज सईद और मसूद अजहर जैसे आतंकवादी खुलेआम घूमते हैं और पाकिस्तानी सेना के वरिष्ठ अधिकारी आतंकवादियों के अंतिम संस्कार में शामिल होते हैं। अब ऐसे देश से आतंकवाद के खिलाफ वैश्विक समुदाय का नेतृत्व करने की उम्मीद की जा रही है। इससे अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था की मंशा और नीतियों पर गंभीर सवाल उठता है।”
रक्षा मंत्री ने वैश्विक समुदाय और संयुक्त राष्ट्र जैसे संगठनों से आतंकवाद जैसे मुद्दों पर अधिक गंभीरता से विचार करने का आह्वान करते हुए कहा कि ‘‘आतंकवाद से मुक्त होने पर ही हम वैश्विक शांति, प्रगति और समृद्धि के लक्ष्य की ओर बढ़ सकेंगे।’’ उन्होंने कहा कि पाकिस्तान के आम लोगों की भी यही राय है, लेकिन वहां के शासकों ने देश को विनाश के रास्ते पर डाल दिया है।
राजनाथ सिंह ने पाकिस्तान को सलाह दी है कि अगर वह अपनी धरती पर आतंकवाद के खिलाफ कार्रवाई करने में असमर्थ है तो उसे भारत की मदद लेनी चाहिए। उन्होंने कहा कि भारतीय सशस्त्र बल सीमा के दोनों ओर आतंकवाद के खिलाफ प्रभावी कार्रवाई करने में सक्षम हैं, जिसका सबूत पाकिस्तान ने ऑपरेशन सिंदूर के दौरान खुद देखा था। उन्होंने पाकिस्तान को जिद्दी बताते हुए कहा कि पूरी दुनिया को पाकिस्तान पर अपनी धरती से पनप रहे आतंकवाद से निपटने के लिए रणनीतिक, कूटनीतिक और आर्थिक दबाव डालना चाहिए।
रक्षा मंत्री ने आतंकवाद से निपटने और राष्ट्रीय सुरक्षा को मजबूत करने के लिए सरकार की अपनाई रणनीति पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि रक्षा क्षेत्र आत्मनिर्भर भारत के सबसे मजबूत स्तंभों में से एक के रूप में उभरा है और ऑपरेशन सिंदूर के दौरान इस्तेमाल किए गए हथियार/प्लेटफॉर्म स्वदेश निर्मित थे। उन्होंने कहा, “आज भारत न केवल अपनी सीमाओं की रक्षा कर रहा है, बल्कि एक ऐसी प्रणाली भी बना रहा है जो हमें सामरिक, आर्थिक और तकनीकी रूप से मजबूत बना रही है। पहले हम पूरी तरह से विदेशी रक्षा उपकरणों पर निर्भर थे, लेकिन आज भारत रक्षा के मामले में तेजी से आत्मनिर्भर बन रहा है।”
राजनाथ सिंह ने रक्षा क्षेत्र को मजबूत करने के लिए सरकार की ओर से उठाए गए कदमों की जानकारी दी। इसमें वित्त वर्ष 2013-14 में रक्षा बजट को 2.53 लाख करोड़ रुपये से बढ़ाकर वित्त वर्ष 2024-25 में 6.22 लाख करोड़ रुपये करना, घरेलू कंपनियों से पूंजीगत खरीद के लिए बजट का 75 प्रतिशत आरक्षित करना और 5,500 से अधिक वस्तुओं वाली कुल 10 सकारात्मक स्वदेशीकरण सूचियां जारी करना शामिल है। उन्होंने कहा, “आज, भारतीय सशस्त्र बल देश में निर्मित अत्याधुनिक हथियारों, मिसाइलों, टैंकों और अन्य प्रणालियों/प्लेटफ़ॉर्म का उपयोग करते हैं। अग्नि, पृथ्वी और ब्रह्मोस जैसी हमारी स्वदेशी मिसाइलें दुश्मन को करारा जवाब देने के लिए तैयार हैं। हमारे पास आईएनएस विक्रांत जैसे विमानवाहक पोत बनाने की ताकत भी है।”
रक्षा मंत्री ने कहा कि सरकार के लगातार प्रयासों का नतीजा यह है कि 2014 में सालाना रक्षा उत्पादन करीब 40,000 करोड़ रुपये का था, जो आज 1.30 लाख करोड़ रुपये के रिकॉर्ड आंकड़े को पार कर गया है। उन्होंने कहा कि रक्षा निर्यात जो 2014 में 686 करोड़ रुपये का था, वह वित्त वर्ष 2024-25 में 23,622 करोड़ रुपये तक पहुंच गया है। उन्होंने कहा कि भारत में निर्मित रक्षा उत्पादों का निर्यात करीब 100 देशों में किया जा रहा है। उन्होंने कहा, “हमने इस साल 1.75 लाख करोड़ रुपये और 2029 तक तीन लाख करोड़ रुपये के रक्षा उत्पादन का लक्ष्य रखा है। हमारा रक्षा निर्यात इस साल 30,000 करोड़ रुपये और 2029 तक 50,000 करोड़ रुपये तक पहुंच जाना चाहिए।”
राजनाथ सिंह ने 21वीं सदी में सूचना युद्ध के बढ़ते उपयोग पर प्रकाश डाला और लोगों से झूठ की पहचान करने, अफवाहों को रोकने और समाज में जागरूकता फैलाने के लिए सामाजिक सैनिक बनने का आग्रह किया। उन्होंने कहा, “डेटा और सूचना सबसे बड़ी ताकत है, लेकिन यह सबसे बड़ी चुनौती भी है। ऑपरेशन सिंदूर के दौरान पाकिस्तान ने फर्जी वीडियो, मनगढ़ंत खबरों और पोस्ट के जरिए हमारे सैनिकों और नागरिकों का मनोबल तोड़ने की साजिश रची। भले ही सैन्य कार्रवाई बंद कर दी गई हो, लेकिन सूचना युद्ध अब भी जारी है। अगर लोग बिना सोचे-समझे झूठी खबरें साझा करते हैं, तो वे अनजाने में दुश्मन के हथियार बन जाते हैं। अब समय आ गया है कि सभी नागरिक सामाजिक सैनिक बनें। सरकार अपने स्तर पर साइबर सुरक्षा पर काम कर रही है, लेकिन हर नागरिक को ‘फर्स्ट रिस्पॉन्डर’ यानी पहले प्रतिक्रिया करने वाला बनने की जरूरत है।”
रक्षा मंत्री ने मीडिया को समझाते हुए कहा कि आज के समय में ‘सबसे सही’ होने को ‘आगे रहने’ से ज्यादा प्राथमिकता दी जानी चाहिए। उन्होंने कहा, “‘सत्यापित’ होने के बजाय ‘वायरल’ होना पत्रकारिता का मानक बन गया है। इससे बचने की जरूरत है।”
राजनाथ सिंह ने मीडिया को एक “प्रहरी” बताया। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय सुरक्षा का मुद्दा सिर्फ़ सीमाओं से जुड़ा नहीं है, बल्कि अब यह साइबर और सामाजिक क्षेत्रों में भी एक चुनौती है। उन्होंने कहा, “पत्रकारिता सिर्फ़ एक पेशा नहीं बल्कि एक राष्ट्रीय कर्तव्य है। यह हमें देश की सुरक्षा के प्रति सजग और सतर्क रखते हुए सूचना प्रदान करती है। एक स्वतंत्र और स्वस्थ पत्रकारिता एक स्थिर शक्ति है जो समाज को सजग बनाती है, उसे एकजुट करती है और चेतना फैलाती है।”
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी भी इस कार्यक्रम में उपस्थित गणमान्य व्यक्तियों में शामिल थे।