दूरसंचार विभाग ने IIT मद्रास में प्रथम दूरसंचार प्रौद्योगिकी विकास निधि संगोष्ठी 2025 का आयोजन किया
दूरसंचार विभाग के सचिव डॉ. नीरज मित्तल ने आज आईआईटी मद्रास रिसर्च पार्क, चेन्नई में तीन दिवसीय दूरसंचार प्रौद्योगिकी विकास निधि (टीटीडीएफ) संगोष्ठी-2025 का उद्घाटन किया। यह संगोष्ठी आईआईटी मद्रास और दूरसंचार उत्कृष्टता केंद्र (टीसीओई) इंडिया के सहयोग से आयोजित की गई थी। आईआईटी मद्रास के निदेशक प्रो. वी. कामकोटि, अपर सचिव (दूरसंचार) श्री गुलजार नटराजन, डीडीजी (टीटीडीएफ) डॉ. पराग अग्रवाल और आईआईटी मद्रास के प्रो. आर के घांटी भी इस अवसर पर मौजूद रहे।
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दूरसंचार प्रौद्योगिकी विकास निधि (टीटीडीएफ) दूरसंचार विभाग (डीओटी) की एक प्रमुख योजना है। इसे अगली पीढ़ी की दूरसंचार प्रौद्योगिकियों में स्वदेशी अनुसंधान एवं विकास को बढ़ावा देने और ग्रामीण और दूरदराज के क्षेत्रों में डिजिटल कमी को पूरा करने के लिए शुरू किया गया है।
टीटीडीएफ का उद्देश्य दूरसंचार इकोसिस्टम का निर्माण और विकास करने के लिए शिक्षाविदों, स्टार्ट-अप्स, शोध संस्थानों और उद्योग के बीच तालमेल बिठाना है। इसके अतिरिक्त, प्रौद्योगिकी स्वामित्व और स्वदेशी विनिर्माण को बढ़ावा देना, प्रौद्योगिकी सह-नवाचार की संस्कृति बनाना, आयात कम करना, निर्यात के अवसरों को बढ़ावा देना और बौद्धिक संपदा का निर्माण करना भी इस योजना के उद्देश्यों में शामिल है।
टीटीडीएफ को अनुसंधान एवं विकास हेतु धनराशि के लिए 1300 से ज़्यादा प्रस्ताव मिले हैं। अब तक 120 परियोजनाओं को 500 करोड़ रूपये से ज़्यादा की फंडिंग के लिए मंज़ूरी मिल चुकी है और पूरे भारत में शैक्षणिक संस्थानों, स्टार्टअप्स, सुक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योगों (एमएसएमई) और शोध निकायों को 187 करोड़ रूपये से ज़्यादा की राशि पहले ही वितरित की जा चुकी है।
टीटीडीएफ संगोष्ठी-2025 का आयोजन एक ऐसा मंच है, जहां वित्त पोषण लाभार्थी एक साथ आकर अपने अनुसंधान एवं विकास को न केवल सार्थक बनाने के लिए तालमेल और संभावित तरीकों पर चर्चा कर रहे हैं, बल्कि यह भी सुनिश्चित कर रहे हैं कि संपूर्ण इको-सिस्टम इससे लाभान्वित हो सके।
संगोष्ठी में मल्टीकोर फाइबर टेस्टबेड परियोजना की घोषणा भी की गई। इसका उद्देश्य भारत के ऑप्टिकल संचार बुनियादी ढांचे को आगे बढ़ाना है। आईआईटी मद्रास और एसटीएल टेक्नोलॉजीज द्वारा संयुक्त रूप से स्थापित इस सुविधा में भूमिगत (4.07 किमी) और हवाई (1.20 किमी) दोनों केबल इंस्टॉलेशन शामिल हैं। केबल में 12 मल्टी-कोर फाइबर (प्रत्येक में 4 कोर) के साथ-साथ 12 मानक सिंगल-मोड फाइबर शामिल हैं। मल्टी कोर फाइबर परीक्षण सुविधा अकादमिक और उद्योग भागीदारों के लिए उपयोग के मामलों का आकलन करने और एमसीएफ इको-सिस्टम के भीतर घटक अंतर-संचालन क्षमता का परीक्षण करने के लिए सुलभ है।
उद्घाटन सत्र में दूरसंचार सचिव डॉ. नीरज मित्तल ने इस बात पर जोर दिया कि नवाचार में छलांग लगाने का अवसर भारत की यात्रा में एक महत्वपूर्ण क्षण है। उन्होंने तकनीकी उन्नति में तेजी लाने के लिए विभिन्न कार्यक्रमों के माध्यम से पिछले एक दशक में सरकार के लगातार प्रयासों के बारे में बताया। डॉ. मित्तल ने सहयोग के महत्व पर जोर देते हुए हितधारकों से भारत के संसाधनों का इष्टतम उपयोग सुनिश्चित करने के लिए मिलकर काम करने का आग्रह किया। इस सम्बंध में उन्होंने सभी हितधारकों के बीच साझा संसाधनों को निर्बाध रूप से साझा करने के उद्देश्य से एक समर्पित पोर्टल को विकसित किए जाने की जानकारी दी।
दूरसंचार सचिव ने सहयोगात्मक इनपुट के महत्व पर बल देते हुए, दूरसंचार प्रौद्योगिकी विकास निधि (टीटीडीएफ) की दक्षता और प्रभावशीलता को बढ़ाने के लिए प्रशासनिक प्रक्रियाओं सहित विभिन्न मुद्दों पर हितधारकों से सुझाव आमंत्रित किए।
आईआईटी मद्रास के निदेशक प्रो. वी. कामकोटी ने दूरसंचार विभाग से प्राप्त महत्वपूर्ण सहयोग की सराहना करते हुए कहा कि पिछले दो वर्षों में टीटीडीएफ योजना के तहत बड़ी संख्या में परियोजनाएं प्रदान की गई हैं। उन्होंने सभी हितधारकों और संस्थानों से सरकार के प्रयासों का अत्यंत प्रभावी और उपयोगी परिणामों के साथ प्रतिदान करने का आह्वान किया।
दूरसंचार अपर सचिव श्री गुलज़ार नटराजन ने सहयोगात्मक नवाचार की गतिशील संस्कृति विकसित करने के लिए सामूहिक शक्ति का उपयोग करने की आवश्यकता पर बल दिया और यह सुनिश्चित किया कि भारत की राष्ट्रीय आकांक्षाओं का प्रभावी निष्पादन और सार्थक प्रभाव के माध्यम से साकार हो। उन्होंने दूरसंचार प्रौद्योगिकी विकास कोष (टीटीडीएफ) को एक वित्त पोषण उपकरण के रूप में वर्णित किया और बताया कि विभाग की प्रमुख रणनीतिक पहल के रूप में इसका उद्देश्य देश की आर्थिक वृद्धि, राष्ट्रीय सुरक्षा और सामाजिक प्रगति के लिए महत्वपूर्ण क्षेत्र में संप्रभु क्षमताओं का निर्माण करना है।
इस कार्यक्रम में प्रमुख अन्वेषक, डीन और संकाय सदस्य, उद्योग प्रतिनिधि, स्टार्टअप, एमएसएमई और दूरसंचार विभाग तथा अन्य सरकारी विभागों के वरिष्ठ अधिकारी सहित लगभग 500 प्रतिभागी भाग ले रहे हैं। संगोष्ठी में 6जी, आईओटी के लिए एआई/एमएल, क्वांटम संचार और उपग्रह नेटवर्क जैसे उभरते क्षेत्रों में प्रगति को गति देने के लिए तकनीकी सत्र, परियोजना प्रदर्शन और समूह तालमेल जैसे विषयों पर बातचीत होगी। इसमें दूरसंचार विभाग, भारत 6जी अलायंस, टीएसडीएसआई, सी-डॉट, सीओएआई और प्रमुख दूरसंचार कंपनियों के वरिष्ठ अधिकारी भाग ले रहे हैं।
संगोष्ठी का उद्देश्य है:
- शोधकर्ताओं, प्रशासकों और उद्योग के बीच सहयोग को मजबूत करें।
- वित्तीय, प्रशासनिक और तकनीकी चुनौतियों का समाधान करके परियोजना निष्पादन को सुव्यवस्थित करें।
- राष्ट्रीय प्राथमिकताओं के साथ संरेखित नवाचार के समुदाय को बढ़ावा दें।
- व्यावसायीकरण, आईपीआर पीढ़ी और अगली पीढ़ी के दूरसंचार विकास को बढ़ावा दें।
टीटीडीएफ संगोष्ठी 2025 स्वदेशी अनुसंधान, गहन प्रौद्योगिकी विकास और वैश्विक सहयोग के माध्यम से दूरसंचार नवाचार में अग्रणी बनने की भारत की महत्वाकांक्षा को साकार करने की दिशा में एक बड़ा कदम है।
टीटीडीएफ योजना के बारे में
1 अक्टूबर 2022 को शुरू और डिजिटल भारत निधि (डीबीएन) द्वारा कार्यान्वित दूरसंचार प्रौद्योगिकी विकास कोष (टीटीडीएफ), भारतीय शिक्षाविदों, स्टार्टअप्स, अनुसंधान संस्थानों और उद्योग के नेतृत्व में अनुसंधान एवं विकास परियोजनाओं का समर्थन करके दूरसंचार क्षेत्र में नवाचार को बढ़ावा देने के लिए एक प्रमुख पहल के रूप में कार्य करता है।
टीटीडीएफ की प्रमुख उपलब्धियां:
- टीटीडीएफ 1.0 ने 300 करोड़ रूपये से ज़्यादा की कुल फंडिंग वाली 20 परियोजनाओं को मंज़ूरी दी है। इनमें शामिल हैं: बड़े पैमाने पर एमआईएमओ-आधारित 5जी एंटेना का विकास, भारत-विशिष्ट 5जी स्टैक का निर्माण, ड्रोन-आधारित फेशियल रिकग्निशन समाधान, ग्रामीण तैनाती के लिए मिलीमीटर वेव ट्रांसीवर, पोस्ट-क्वांटम सुरक्षित संचार प्लेटफ़ॉर्म, एलईओ सैटेलाइट संचार तकनीकें।
- 6जी इको-सिस्टम पर त्वरित अनुसंधान के तहत, 200 करोड़ रूपये से अधिक की स्वीकृत निधि के साथ 100 प्रस्तावों को मंजूरी दी गई है। यह आईओटी के लिए एआई/एमएल अनुकूलन, इंटेलिजेंट रिफ्लेक्टिंग सरफेस (आईआरएस), नॉन-टेरेस्ट्रियल नेटवर्क (एनटीएन) समाधान, क्वांटम-सक्षम संचार प्रणाली, वाइडबैंड स्पेक्ट्रम सेंसिंग, फ़ेडरेटेड और रीकॉन्फ़िगरेबल प्रोटोकॉल पर केंद्रित हैं।
- 18 जुलाई 2024 को शुरू की गई परीक्षण और प्रमाणन प्रतिपूर्ति योजना, उत्पाद परीक्षण और नियामक अनुपालन का समर्थन करते हुए स्टार्टअप्स और एमएसएमई के लिए 50 लाख रुपये तक की प्रतिपूर्ति प्रदान करती है।
- टीटीडीएफ के तहत दो नई पहलों में शामिल क्वांटम एन्क्रिप्शन एल्गोरिदम (क्यूईए), क्वांटम मानकीकरण और परीक्षण प्रयोगशालाएं अक्टूबर 2024 में लॉन्च की जाएंगी