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Lok Sabha Speaker Om Birla delivers valedictory address at the National Conference of Assessment Committees of Parliament and State UT Legislatures
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लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने संसद और राज्य/संघ राज्य क्षेत्र विधानमंडलों की आकलन समितियों के राष्ट्रीय सम्मेलन में समापन भाषण दिया

संसद और राज्य/संघ राज्य क्षेत्र विधानसभाओं की प्राक्कलन समितियों के अध्यक्षों का दो दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन मंगलवार को संपन्न हो गया। गौरतलब है कि सम्मेलन का उद्घाटन सोमवार को लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने महाराष्ट्र विधान भवन, मुंबई में किया था।

लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने समापन सत्र को संबोधित करते हुए संस्थागत तालमेल को बढ़ावा देने, वित्तीय जवाबदेही बढ़ाने और लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं को मजबूत करने के लिए प्रौद्योगिकी-संचालित शासन को अपनाने के महत्व को रेखांकित किया। ओम बिरला ने इस बात पर प्रकाश डाला कि कुशल नीति कार्यान्वयन और नागरिक-केंद्रित प्रशासन के लिए शासन के विभिन्न अंगों के बीच बेरोक-टोक समन्वय बेहद जरूरी है। लोकसभा अध्यक्ष ने पारदर्शिता और राजकोषीय जिम्मेदारी पर जोर देते हुए सार्वजनिक धन के विवेकपूर्ण उपयोग को सुनिश्चित करने के लिए मजबूत तंत्रों का आह्वान किया। इसके अलावा उन्होंने प्रशासनिक दक्षता में सुधार, वास्तविक समय पर सार्वजनिक सेवा वितरण को बढ़ावा देने और डिजिटल युग में सुशासन के मूल्यों को बनाए रखने के लिए उन्नत डिजिटल प्रौद्योगिकियों के एकीकरण की वकालत की।

लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने शासन में जवाबदेही और नवाचार पर जोर देते हुए कहा कि संसदीय समितियां, चाहे वे केंद्र में हों या राज्यों में, सरकार के विरोध में नहीं हैं बल्कि सहायक और सुधारात्मक साधन के रूप में कार्य करती हैं, जो रचनात्मक मार्गदर्शन प्रदान करती हैं। उन्होंने कहा कि अच्छी तरह से शोध की गई सिफारिशें पेश करके और कार्यपालिका और विधायिका के बीच एक सेतु के रूप में कार्य करके ये समितियां पारदर्शी, जवाबदेह और प्रभावी शासन में योगदान देती हैं। लोकसभा अध्यक्ष ने सदस्यों से सहयोग और जिम्मेदारी की भावना को बनाए रखने का आग्रह किया, जिससे समितियों की संसदीय लोकतंत्र के स्तंभ के रूप में भूमिका को मजबूत किया जा सके। उन्होंने संसद की आकलन समितियों और राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों की विधानसभाओं के बीच समन्वय का भी आह्वान किया।

ओम बिरला ने सार्वजनिक व्यय में मजबूत समिति निगरानी और प्रौद्योगिकी एकीकरण की वकालत करते हुए कहा कि एआई और डेटा एनालिटिक्स जैसे आधुनिक तकनीकी उपकरणों का लाभ उठाकर निगरानी तंत्र अधिक सटीक और प्रभावशाली बन सकते हैं। उन्होंने व्यय की बारीकी से निगरानी करने के लिए आवश्यक संसाधनों और डिजिटल क्षमताओं के साथ समितियों को सशक्त बनाने का आह्वान किया, जिससे राजकोषीय अनुशासन को मजबूत किया जा सके और सुशासन को बढ़ावा मिले। ओम बिरला ने जोर देकर कहा कि जनता के साथ सीधे जुड़ाव के कारण जनप्रतिनिधियों को जमीनी स्तर के मुद्दों की गहरी समझ होती है और वे सार्थक जुड़ाव के माध्यम से बजट जांच को काफी हद तक बढ़ा सकते हैं।

लोकसभा अध्यक्ष ने इस बात पर जोर दिया कि आकलन समितियों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि खर्च किया गया प्रत्येक रुपया लोगों के कल्याण के लिए हो और देश के वित्तीय संसाधनों का कुशलतापूर्वक और जिम्मेदारी से उपयोग हो। उन्होंने दोहराया कि आकलन समितियों की भूमिका केवल व्यय की निगरानी करना नहीं है बल्कि यह सुनिश्चित करना है कि कल्याणकारी योजनाएं आम नागरिक के लिए प्रासंगिक, सुलभ और प्रभावी हों, जिसमें सामाजिक न्याय और कल्याण पर विशेष जोर दिया गया हो। ओम बिरला ने कहा कि प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण (डीबीटी) जैसे प्रौद्योगिकी-संचालित शासन ने चोरी को कम किया है और यह सुनिश्चित किया है कि लाभ इच्छित प्राप्तकर्ताओं तक पहुंचे। एक ऐसा लक्ष्य जिसका आकलन समितियों को समर्थन करना जारी रखना चाहिए।

ओम बिरला ने सम्मेलन के उद्देश्य और प्रभाव पर विचार करते हुए कहा कि यह मंच वित्तीय अनुशासन, पारदर्शिता और सार्वजनिक जवाबदेही के लिए विधायी संस्थाओं की सामूहिक प्रतिबद्धता की पुष्टि करता है। ओम बिरला ने समिति की प्रक्रिया में व्यापक सार्वजनिक सहभागिता का भी आह्वान किया और लोकतांत्रिक संस्थाओं में अधिक विश्वास पैदा करने के लिए समिति के निष्कर्षों के प्रचार-प्रसार को प्रोत्साहित किया। उन्होंने सुझाव दिया कि अंतर-विधायी संवाद को प्रोत्साहित करने और सर्वोत्तम प्रथाओं को अपनाने को बढ़ावा देने के लिए विशेषाधिकार समिति, याचिका समिति और महिला सशक्तिकरण समिति जैसी अन्य समितियों के लिए भी इसी तरह के सम्मेलन आयोजित किए जाने चाहिए। ओम बिरला ने विश्वास व्यक्त किया कि इस सम्मेलन में बनी आम सहमति और विचार अधिक कुशल, जवाबदेह और जन-केंद्रित शासन में तब्दील होंगे।

सम्मेलन में सर्वसम्मति से छह प्रमुख प्रस्ताव पारित किए गए, जिनमें आकलन समितियों को मजबूत बनाने के लिए एक दूरदर्शी रोडमैप प्रस्तुत किया गया।

महाराष्ट्र के राज्यपाल सी.पी. राधाकृष्णन ने समापन भाषण दिया। इस अवसर पर राज्य सभा के उपसभापति हरिवंश और भारतीय संसद की प्राक्कलन समिति के अध्यक्ष संजय जायसवाल ने भी अपने विचार रखे। महाराष्ट्र विधान परिषद में विपक्ष के नेता अंबादास दानवे ने स्वागत भाषण दिया और महाराष्ट्र विधानसभा के उपाध्यक्ष अन्ना दादू बनसोडे ने धन्यवाद ज्ञापन किया। महाराष्ट्र विधान परिषद के अध्यक्ष राम शिंदे; महाराष्ट्र विधानसभा के अध्यक्ष राहुल नार्वेकर; भारतीय संसद की प्राक्कलन समिति के सदस्य; राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की विधानसभाओं की प्राक्कलन समितियों के अध्यक्ष; महाराष्ट्र विधान मंडल के सदस्य और अन्य गणमान्य व्यक्ति समापन सत्र के दौरान उपस्थित रहे।

सम्मेलन में 23 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की प्राक्कलन समितियों के अध्यक्षों और सदस्यों ने भाग लिया।

यह सम्मेलन, जो आकलन समिति की यात्रा के 75 वर्ष पूरे होने का प्रतीक है, प्रमुख हितधारकों को एक साथ लाकर दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र में वित्तीय निगरानी के संस्थागत तंत्र को मजबूत करने और प्रशासनिक दक्षता में सुधार करने के तरीकों पर चर्चा करने के लिए बुलाया गया। सम्मेलन का विषय था, ‘प्रशासन में दक्षता और मितव्ययिता सुनिश्चित करने के लिए बजट अनुमानों की प्रभावी निगरानी और समीक्षा में आकलन समिति की भूमिका’।

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