केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने आज नोएडा में भारत के अंतर्राष्ट्रीय राष्ट्र संघ (आईआईएमयूएन) सम्मेलन 2025 का उद्घाटन किया। छात्रों और युवा नेताओं की एक बड़ी सभा को संबोधित करते हुए पीयूष गोयल ने युवाओं से 2047 तक विकसित भारत के निर्माण में सक्रिय योगदान देने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अमृत काल के लिए ‘पंच प्रण’ के तहत यही कल्पना की है।
पीयूष गोयल ने इस बात पर प्रकाश डाला कि भारत एक बड़े परिवर्तन के मुहाने पर खड़ा है। 15 अगस्त 2022 को प्रधानमंत्री के संबोधन को याद करते हुए, उन्होंने कहा कि 2047 में भारत की स्वतंत्रता की शताब्दी तक अमृत काल की 25 वर्ष की अवधि राष्ट्र के लिए एक निर्णायक क्षण है। उन्होंने युवाओं से 2047 तक भारत को एक विकसित देश बनाने के लिए प्रतिबद्ध होने का आह्वान किया।
उन्होंने विस्तार से बताया कि पांच प्रतिज्ञाओं में से पहली प्रतिज्ञा भारत को एक विकसित राष्ट्र बनाने का संकल्प है। इस संकल्प के लिए युवाओं से अगले कुछ दशकों की अपनी कल्पना करने का आग्रह करते हुए, उन्होंने कहा कि वे इस परिवर्तन के प्रमुख प्रेरक होंगे। उन्होंने कहा, “यह प्रतिबद्धता तभी साकार हो सकती है जब हम शेष चार प्रतिज्ञाओं को भी उतनी ही गंभीरता से अपनाएं।”
पीयूष गोयल ने कहा कि दूसरा संकल्प औपनिवेशिक मानसिकता को त्यागना है। वैश्विक आर्थिक महाशक्ति के रूप में भारत के समृद्ध इतिहास का उल्लेख करते हुए, उन्होंने कहा कि सदियों की विदेशी अधीनता ने आत्मविश्वास को कम किया है और सीमाएं लगाई हैं। उन्होंने कहा, “हमें अतीत की सीमाओं से बंधे नहीं रहना चाहिए, बल्कि वैश्विक मानकों को पूरा करने और महत्वाकांक्षी लक्ष्य निर्धारित करने की आकांक्षा रखनी चाहिए।”
तीसरा संकल्प भारत की विरासत पर गर्व करने का है। पीयूष गोयल ने कहा कि जैसे-जैसे हम एक विकसित राष्ट्र बनने की ओर बढ़ रहे हैं, हमारे लिए भारत का इतिहास, संस्कृति, परंपराएं और मूल्य प्रणालियां अधिक महत्व रखती हैं। उन्होंने आगे कहा, “विकास भी, विरासत भी। हमें अपनी विरासत को संरक्षित करते हुए विकास करना होगा। हमारी विविधता हमारी ताकत है और हमें अपनी परंपराओं को प्रगति की एक सामूहिक यात्रा में समाहित करना होगा।”
पीयूष गोयल ने चौथी प्रतिज्ञा के बारे में कहा कि राष्ट्र की एकता और अखंडता सर्वोपरि होनी चाहिए। देश-विदेश के युवाओं को जोड़ने के आईआईएमयूएन के प्रयासों की सराहना करते हुए उन्होंने कहा कि यह एकता भारत की सबसे बड़ी ताकत है और इसे हर स्तर पर पोषित किया जाना चाहिए। उन्होंने इस बात पर ज़ोर दिया कि यह सामूहिक भावना देश के विकसित राष्ट्र बनने की यात्रा का आधार है।
उन्होंने कहा कि पांचवां संकल्प, राष्ट्र निर्माण में योगदान देने के लिए 1.4 अरब भारतीयों का सामूहिक संकल्प है। पीयूष गोयल ने ज़ोर देकर कहा कि एक विकसित भारत तभी उभर सकता है जब सभी नागरिक एक परिवार की तरह, साझा ज़िम्मेदारी और करुणा के साथ मिलकर काम करें। उन्होंने कहा, “हमें हाशिए पर पड़े लोगों की चिंता करनी चाहिए, वंचितों का ध्यान रखना चाहिए और यह सुनिश्चित करना चाहिए कि हमारी प्रगति समावेशी और टिकाऊ हो।”
पीयूष गोयल ने युवाओं को राष्ट्र निर्माण को अपना कर्तव्य और विशेषाधिकार मानकर, हर कार्य को प्रतिबद्धता और समर्पण के साथ करने के लिए प्रोत्साहित किया। उन्होंने युवाओं से दूसरों के प्रति चिंता और उनकी देखभाल का नजरिया विकसित करने और जो भी काम कर रहे हों, उसमें अपना सर्वश्रेष्ठ देने का आग्रह किया।
पीयूष गोयल ने शिक्षकों और मार्गदर्शकों की भूमिका की सराहना करते हुए कहा कि स्कूल और कॉलेज के वर्षों में उनके योगदान को अक्सर नज़रअंदाज़ कर दिया जाता है, लेकिन वे व्यक्ति और राष्ट्र के भविष्य को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। उन्होंने इस संबंध को जीवन के सबसे मूल्यवान और स्थायी रिश्तों में से एक बताया।
पीयूष गोयल ने युवाओं से सार्वजनिक जीवन में सक्रिय रूप से भाग लेने पर विचार करने का भी आग्रह किया। स्वतंत्रता दिवस 2024 पर प्रधानमंत्री के संबोधन को याद करते हुए, उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री ने एक लाख युवक-युवतियों से राजनीति और जनसेवा के क्षेत्र में आकर परिवर्तन का वाहक बनने का आह्वान किया था। उन्होंने कहा, “करुणा, समर्पण और सेवा की भावना के साथ नीति निर्माण में योगदान देने के लिए सक्षम और प्रतिबद्ध व्यक्तियों की आवश्यकता है।”
पीयूष गोयल ने युवाओं से भारत के भविष्य की कमान संभालने का आग्रह करते हुए कहा, “कल के भारत के परिवर्तनकर्ता और प्रेरक बनें। सामूहिक संकल्प के साथ, हम हर चुनौती से पार पा सकते हैं और अपने राष्ट्र को नई ऊंचाइयों पर ले जा सकते हैं।”