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President Draupadi Murmu awards 20 artists at the 64th National Art Exhibition
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राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने 64वीं राष्ट्रीय कला प्रदर्शनी में 20 कलाकारों को पुरस्कृत किया

64वीं राष्ट्रीय कला प्रदर्शनी का पुरस्कार समारोह आज नई दिल्ली में आयोजित किया गया, जिसमें महामहिम राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू मुख्य अतिथि के रूप में सम्मिलित हुईं। इस कार्यक्रम में संस्कृति एवं पर्यटन मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत, विवेक अग्रवाल, सचिव, संस्कृति मंत्रालय और नंद लाल ठाकुर, उपाध्यक्ष, ललित कला अकादमी भी उपस्थित रहे। राष्ट्रपति ने दृश्य कला में विलक्षण योगदान के लिए 20 उत्कृष्ट कलाकारों को पुरस्कार प्रदान किए।

इस अवसर पर अपने संबोधन में महामहिम राष्ट्रपति मुर्मू ने सभी पुरस्कार विजेताओं को बधाई दी और विश्वास व्यक्त किया कि उनका कार्य अन्य कलाकारों को प्रेरित करेगा। उन्होंने कहा कि “भारतीय परंपरा में, कला को लंबे अर्से से एक आध्यात्मिक साधना माना जाता रहा है। कला केवल सौंदर्यबोध का माध्यम ही नहीं, बल्कि हमारी सांस्कृतिक विरासत को समृद्ध करने और समाज को अधिक संवेदनशील बनाने का सशक्त साधन भी है।” उन्होंने इस बात की सराहना की कि कलाकार अपनी दृष्टि और कल्पना का उपयोग करके एक नए भारत की छवि प्रस्तुत कर रहे हैं।

कलाकारों को आर्थिक सहायता देने के महत्व पर ज़ोर देते हुए राष्ट्रपति ने ललित कला अकादमी द्वारा पहली बार कलाकृतियों को बिक्री के लिए रखे जाने की पहल का स्वागत किया, जिससे 1 करोड़ रुपये से अधिक की धनराशि एकत्रित हुई। उन्होंने कहा, “इससे कलाकारों को आर्थिक सहायता मिलेगी और हमारी रचनात्मक अर्थव्यवस्था मज़बूत होगी। कला प्रेमी केवल कलाकृतियों की सराहना ही न करें, बल्कि उन्हें अपने साथ अपने घर भी ले जाएँ। आर्थिक और सांस्कृतिक शक्ति के रूप में भारत की पहचान मज़बूत बनाने के लिए हम सभी को मिलकर काम करना चाहिए।”

संस्कृति एवं पर्यटन मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने कहा,“कला किसी भी राष्ट्र की पहचान का प्रतिबिंब होती है। कला और कलाकारों का समर्थन हमारी राष्ट्रीय भावना और चेतना को मज़बूती प्रदान करता है।” उन्होंने कहा कि पुरस्कृत कृतियों को बिक्री के लिए उपलब्ध कराना कलाकारों को सशक्त बनाता है, उन्हें आत्मनिर्भर बनने में मदद करता है और उनकी आर्थिक प्रगति में योगदान देता है। उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि राष्ट्रीय चेतना को सही मायने में आकार देने के लिए कला को घरों, स्कूलों, संस्थानों और सार्वजनिक स्थानों का अभिन्न अंग बनना चाहिए।

विवेक अग्रवाल, सचिव, संस्कृति मंत्रालय ने 1955 से निरंतर आयोजित हो रही एनईए के महत्व को रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि इस वर्ष देशभर से प्राप्त 5,922 प्रविष्टियों में से 283 कलाकृतियों को प्रदर्शन के लिए चुना गया और 20 उत्कृष्ट कृतियों को पुरस्कृत किया गया। उन्होंने कहा, “पिछले कुछ वर्षों में, एनईए भारत की सांस्कृतिक गहराई को समझने और दृश्य कला के विविध रूपों को बढ़ावा देने के एक प्रमुख मंच के रूप में उभरी है, जिसमें प्रत्येक विजेता को 2,00,000 रुपये के नकद पुरस्कार के साथ एक स्मृति चिन्ह और प्रमाण पत्र प्रदान किया जाता है।”

राष्ट्रीय कला प्रदर्शनी के बारे में

64वीं राष्ट्रीय कला प्रदर्शनी का उद्घाटन नई दिल्ली में 5 अगस्त, 2025 को माननीय संस्कृति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने किया था। भारत की राष्ट्रीय कला अकादमी, ललित कला अकादमी द्वारा आयोजित यह प्रदर्शनी वरिष्ठ और नवोदित कलाकारों को अपनी प्रतिभा दिखाने का मंच प्रदान करते हुए भारत की समृद्ध दृश्य विरासत और समकालीन कला परिदृश्य का कीर्तिगान करती है।

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