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विदेश मंत्री डॉ जयशंकर ने कहा, भारत का एक पड़ोसी देश वैश्विक आतंकवाद का केंद्र

विदेश मंत्री डॉ सुब्रह्मण्यम जयशंकर ने कहा है कि भारत के पास एक ऐसा पड़ोसी देश है जो वैश्विक आतंकवाद का केंद्र है और भारत ने आजादी के बाद से ही आतंकवाद की चुनौती का सामना किया है। संयुक्त राष्ट्र महासभा के 80वें सत्र को संबोधित करते हुए डॉ. जयशंकर ने इस बात पर ज़ोर दिया कि दशकों से दुनिया में हुए बड़े आतंकवादी हमलों की जड़ें उसी एक देश से जुड़ी रही हैं। उन्होंने कहा कि संयुक्त राष्ट्र की आतंकवादियों की सूची में उसके नागरिक भी शामिल हैं। विदेश मंत्री ने इस साल अप्रैल में हुए पहलगाम आतंकी हमले का भी जिक्र किया।

सीमा पार बर्बरता का सबसे ताज़ा उदाहरण इस साल अप्रैल में पहलगाम में निर्दोष पर्यटकों की हत्या थी। भारत ने आतंकवाद के ख़िलाफ़ अपने लोगों की रक्षा करने के अपने अधिकार का इस्तेमाल किया और इसके आयोजकों और अपराधियों को न्याय के कटघरे में खड़ा किया। आतंकवाद एक साझा ख़तरा है, इसलिए यह ज़रूरी है कि इसमें और भी गहरा अंतरराष्ट्रीय सहयोग मिले।

डॉ. जयशंकर ने यह भी कहा कि संयुक्त राष्ट्र इस समय संकट की स्थिति में है। उन्होंने कहा कि सुधारों का विरोध संयुक्त राष्ट्र की विश्वसनीयता के क्षरण का मुख्य कारण रहा है। उन्होंने परिषद की स्थायी और अस्थायी, दोनों सदस्यता के विस्तार का आह्वान किया। डॉ. जयशंकर ने कहा कि दुनिया अब टैरिफ में अस्थिरता और अनिश्चित बाज़ार पहुँच देख रही है। डॉ. जयशंकर ने कहा कि भारत अपने फैसले स्‍वयं लेता रहेगा और ग्‍लोबल साउथ की आवाज़ बनेगा। उन्होंने ‘आत्मनिर्भरता’, ‘आत्मरक्षा’ और ‘आत्मविश्वास’ की तीन प्रमुख अवधारणाओं पर जोर दिया जो समकालीन दुनिया में भारत का दृष्टिकोण स्‍पष्‍ट करती हैं।

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