रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने सिडनी में पहली भारत-ऑस्ट्रेलिया रक्षा उद्योग व्यापार गोलमेज बैठक को संबोधित किया
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने सिडनी में पहली भारत-ऑस्ट्रेलिया रक्षा उद्योग व्यापार गोलमेज बैठक को संबोधित करते हुए दोनों देशों के बीच रणनीतिक, औद्योगिक और तकनीकी क्षेत्रों में बढ़ते सामन्जस्य की पुष्टि की। रक्षा मंत्री ने कहा कि वर्ष 2020 में स्थापित व्यापक रणनीतिक साझेदारी के अंतर्गत हम अपने रक्षा संबंधों को न केवल साझेदार के रूप में, बल्कि एक सुरक्षित और समृद्ध हिंद-प्रशांत के सह-निर्माता के रूप में पुनः स्थापित करने के एक महत्वपूर्ण मोड़ पर खड़े हैं। उन्होंने कहा कि यह गोलमेज बैठक केवल एक संवाद नहीं है, बल्कि भारत और ऑस्ट्रेलिया को व्यापार, उद्योग और नवाचार में स्वाभाविक सहयोगी बनाने की भावना की घोषणा है।
राजनाथ सिंह ने नवंबर 2024 में भारत-ऑस्ट्रेलिया शिखर सम्मेलन, अक्टूबर 2024 में 2+2 मंत्रिस्तरीय वार्ता, जून 2025 में ऑस्ट्रेलिया के उप-प्रधानमंत्री और रक्षा मंत्री की भारत यात्रा और ऑस्ट्रेलिया की अपनी वर्तमान यात्रा सहित द्विपक्षीय संबंधों को मज़बूत बनाने वाली उच्च-स्तरीय बैठकों की श्रृंखला का स्मरण किया। रक्षा मंत्री ने कहा कि द्विपक्षीय संबंधों की नींव साझा लोकतांत्रिक मूल्यों और संस्थागत समानताओं पर आधारित है। उन्होंने कहा कि भारत और ऑस्ट्रेलिया दोनों राष्ट्रमंडल देशों का हिस्सा हैं। हमारा साझा इतिहास लोकतंत्र, विविधता, स्वतंत्रता और समान शासन संरचनाओं पर आधारित है।
रक्षा मंत्री ने कहा कि मज़बूत द्विपक्षीय संबंध तीन आवश्यक स्तंभों एक दूरदर्शी सरकार-से-सरकार सहयोग, लोगों के बीच संपर्क और व्यावसायिक हितों के अभिसरण पर आधारित हैं। उन्होंने कहा कि हमारे सरकारी ढांचे मज़बूत हैं तथा और अधिक मज़बूत हो रहे हैं। जन-हित में, ऑस्ट्रेलिया में हमारे पास एक बड़ा भारतीय प्रवासी समुदाय है, जिसे भारत में बढ़ती ऑस्ट्रेलियाई उपस्थिति से और भी बल मिलता है। हालांकि, संयुक्त अनुसंधान एवं विकास, नवाचार, सह-निर्माण और सह-उत्पादन पर आधारित हमारी रक्षा औद्योगिक साझेदारी में अभी भी बहुत सी संभावनाएं हैं।
राजनाथ सिंह ने भारत की हाल की आर्थिक और औद्योगिक उपलब्धियों की जानकारी देते हुए कहा कि भारत संरचनात्मक सुधारों, विशेष रूप से विनिर्माण क्षेत्र में परिवर्तनकारी यात्रा पर है। उन्होंने कहा कि आज, भारत विश्व स्तर पर चौथी सबसे बड़ी और दुनिया की सबसे तेज़ी से बढ़ती अर्थव्यवस्था है। पिछले वित्त वर्ष में हमारा रक्षा उत्पादन 1.51 लाख करोड़ रुपये (लगभग 18 अरब अमेरिकी डॉलर) तक पहुंच गया, जो पिछले वर्ष की तुलना में 18 प्रतिशत की वृद्धि के साथ अब तक का सर्वोच्च स्तर है। हमारा रक्षा निर्यात 23,622 करोड़ रुपये (2.76 अरब अमेरिकी डॉलर) तक पहुंच गया, और भारतीय कंपनियां अब लगभग 100 देशों को निर्यात कर रही हैं।
घनिष्ठ औद्योगिक सहयोग का आह्वान करते हुए, राजनाथ सिंह ने कहा कि वह इस मंच को भारत और ऑस्ट्रेलिया को व्यापार और उद्योग में भी स्वाभाविक सहयोगी बनाने के एक महत्वपूर्ण साधन के रूप में देखते हैं। इस गठबंधन के सफल और पारस्परिक रूप से लाभकारी होने के मजबूत आर्थिक कारण हैं।
रक्षा मंत्री ने कहा कि ऑस्ट्रेलिया क्वांटम सिस्टम, स्वचालित अंडरवाटर व्हीकल्स और उन्नत समुद्री निगरानी जैसी विशिष्ट तकनीकों में उत्कृष्ट है, जबकि भारत विशाल विनिर्माण पैमाने, सॉफ़्टवेयर क्षमताओं और जहाज निर्माण, मिसाइल तकनीक तथा अंतरिक्ष में स्वदेशी क्षमता प्रदान करता है। उन्होंने कहा कि यह गोलमेज सम्मेलन हमारे रक्षा उद्योग सहयोग में अप्रयुक्त क्षमता का दोहन करने के लिए एक बड़ा उत्प्रेरक हो सकता है।
रक्षा मंत्री ने कहा कि मेक इन इंडिया, उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन योजनाओं और डिजिटल परिवर्तन जैसी पहलों ने नवाचार और निवेश के लिए अनुकूल वातावरण तैयार किया है। उन्होंने कहा कि सरकार ने स्वचालित मार्ग से 74 प्रतिशत तक प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) नीति को उदार बनाया है और विशेष रूप से आधुनिक तकनीक के उपयोग के मामले में, सरकारी स्वीकृति के साथ उससे भी आगे की स्थिति निर्धारित की है। राजनाथ सिंह ने कहा कि नीतिगत हस्तक्षेपों और अनुपालन व्यवस्थाओं के सरलीकरण के माध्यम से रक्षा उत्पादन इको-सिस्टम को निरंतर उदार बनाया जा रहा है।
राजनाथ सिंह ने अनुसंधान और नवाचार को बढ़ावा देने के लिए की गई पहलों की जानकारी देते हुए कहा कि निजी क्षेत्र में रक्षा अनुसंधान एवं विकास को गति देने के लिए, हमने डीआरडीओ के माध्यम से निःशुल्क प्रौद्योगिकी हस्तांतरण के रास्ते खोले हैं। अत्याधुनिक तकनीकों के विकास के लिए आकर्षक योजनाएं उत्कृष्ट परिणाम दे रही हैं। उन्होंने कहा कि डीआरडीओ और ऑस्ट्रेलिया का रक्षा विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी समूह पहले से ही टोएड ऐरे सेंसर पर सहयोग कर रहे हैं और क्वांटम प्रौद्योगिकी, एआई, साइबर सुरक्षा, सूचना युद्ध और उन्नत विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी पर चर्चाएं आगे बढ़ रही हैं।
रक्षा मंत्री ने कहा कि भारत ऑस्ट्रेलिया की कंपनियों की प्रणोदन प्रौद्योगिकियों, स्वचालित जल-जल वाहनों, उड़ान सिमुलेटरों और उन्नत सामग्रियों सहित उच्च-स्तरीय प्रणालियों के सह-विकास और सह-उत्पादन के लिए स्वागत करता है। उन्होंने कहा कि ये उद्यम दोनों देशों के रणनीतिक उद्देश्यों के अनुरूप अंतर-संचालनीय प्लेटफ़ॉर्म बनाने में सहायता कर सकते हैं।
साझेदारी के विशिष्ट क्षेत्रों का उल्लेख करते हुए, राजनाथ सिंह ने कहा कि भारत अपनी मज़बूत जहाज निर्माण क्षमताओं, विविध विनिर्माण आधार और निजी क्षेत्र के नवप्रवर्तकों एवं स्टार्ट-अप्स के बढ़ते इको-सिस्टम के साथ, एक विश्वसनीय साझेदार बनने के लिए तैयार है। उन्होंने कहा कि हमारे शिपयार्डों का विभिन्न प्रकार के नौसैनिक प्लेटफार्मों के निर्माण और रखरखाव में एक सिद्ध ट्रैक रिकॉर्ड है। भारतीय यार्ड रॉयल ऑस्ट्रेलियाई नौसेना और ऑस्ट्रेलिया के प्रशांत समुद्री सुरक्षा कार्यक्रम के अंतर्गत आने वाले जहाजों को रीफिट, मध्य-जीवन उन्नयन और रखरखाव सेवाएं प्रदान कर सकते हैं।
रक्षा मंत्री ने सक्रिय औद्योगिक साझेदारियों के उदाहरण दिए, जैसे थेल्स ऑस्ट्रेलिया के साथ इंडो-एमआईएम प्राइवेट लिमिटेड, डब्ल्यू एंड ई प्लैट प्राइवेट लिमिटेड के साथ टाटा एडवांस्ड सिस्टम्स और एक्वास्पोर्ट के साथ म्यूनिशंस इंडिया लिमिटेड। उन्होंने कहा कि ये उदाहरण दर्शाते हैं कि कैसे हमारे औद्योगिक इको-सिस्टम एक-दूसरे के पूरक हैं और कैसे व्यवसाय हमारी सरकारों के रणनीतिक इरादों के पीछे प्रेरक शक्ति बन सकते हैं। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि निकट भविष्य में यह सूची और भी बड़ी हो सकती है, जिससे दोनों पक्ष मौजूदा क्षमता का पूरा लाभ उठा सकेंगे।
राजनाथ सिंह ने रक्षा वस्तुओं और सेवाओं के पारस्परिक प्रावधान के लिए ऑस्ट्रेलिया के प्रस्ताव का भी स्वागत किया। उन्होंने कहा कि हम इस पहल का स्वागत करते हैं। महत्वपूर्ण बात यह है कि ऑस्ट्रेलिया ने भारत को एक शीर्ष स्तरीय साझेदार के रूप में मान्यता दी है और प्रौद्योगिकी साझाकरण को आसान बनाने के लिए कुछ नियामक बाधाओं को दूर किया है। यह उस विश्वास और भरोसे का प्रमाण है जो हमें एक दूसरे से जोड़ता है।
रक्षा मंत्री ने दोनों देशों के लिए भविष्य में मौजूद अपार अवसरों को रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि ऑस्ट्रेलियाई और सहयोगी देशों के जहाजों के लिए भारत में नौसैनिक जहाजों और उप-प्रणालियों के सह-उत्पादन, जहाज मरम्मत, रीफिटिंग और एमआरओ सहायता, स्वायत्त प्रणालियों और हरित जहाज निर्माण प्रौद्योगिकियों में संयुक्त अनुसंधान एवं विकास के अपार अवसर मौजूद हैं। राजनाथ सिंह ने कहा कि आपूर्ति श्रृंखलाओं में विविधता लाकर, संयुक्त क्षमताओं का निर्माण करके और नवाचार में निवेश करके, दोनों देश एक उदार, सुरक्षित और आत्मनिर्भर हिंद-प्रशांत क्षेत्र में योगदान दे सकते हैं।
राजनाथ सिंह ने कहा कि वह ऑस्ट्रेलियाई व्यापार समुदाय को भारत में निवेश, सहयोग और नवाचार के लिए आमंत्रित करते हैं। हम सब मिलकर अत्याधुनिक तकनीकें विकसित कर सकते हैं, उन्नत प्लेटफ़ॉर्म बना सकते हैं और यह सुनिश्चित कर सकते हैं कि हमारे उद्योग केवल आपूर्तिकर्ता ही नहीं, बल्कि क्षेत्र में शांति और सुरक्षा के रणनीतिक प्रवर्तक भी बनें। रक्षा मंत्री ने इस अवसर का लाभ उठाकर एक ऐसी साझेदारी बनाने का आग्रह किया जो न केवल आर्थिक रूप से लाभकारी हो, बल्कि रणनीतिक रूप से भी परिवर्तनकारी हो।
रक्षा मंत्री ने कहा कि भारत-ऑस्ट्रेलिया रक्षा साझेदारी एक निर्णायक क्षण में है और रणनीतिक हितों का अभिसरण, उद्योगों की ऊर्जा और नेतृत्व की दूरदर्शिता के साथ मिलकर, दोनों देशों को भविष्य को एक साथ आकार देने का एक अनूठा अवसर प्रदान करता है।
इस गोलमेज सम्मेलन का आयोजन रक्षा मंत्रालय (भारत सरकार), ऑस्ट्रेलियाई रक्षा विभाग, न्यूलैंड ग्लोबल ग्रुप और ऑस्ट्रेलिया-भारत व्यापार परिषद द्वारा संयुक्त रूप से किया गया था। इस कार्यक्रम में ऑस्ट्रेलिया के सहायक रक्षा मंत्री पीटर खलील के साथ-साथ दोनों देशों के वरिष्ठ सरकारी अधिकारी, राजनयिक, उद्योग जगत दिग्गज, अनुसंधान संस्थान और नवप्रवर्तक भी शामिल हुए।





