भारत व्यापार में मजबूत स्थिति में है और संतुलित एवं लाभकारी साझेदारियों के लिए गैर-प्रतिस्पर्धी देशों पर ध्यान केंद्रित कर रहा है: केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल
केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने जोर देते हुए बताया कि हाल के वर्षों में भारत में महत्वपूर्ण बदलाव आया है और अब वह मजबूत स्थिति में बातचीत कर रहा है, जो मुक्त व्यापार समझौतों और अन्य व्यापारिक व्यवस्थाओं के प्रति भारत के दृष्टिकोण के संदर्भ में देश के बढ़ते आर्थिक आत्मविश्वास और वैश्विक प्रतिष्ठा को दर्शाता है। पीयूष गोयल ने आज नई दिल्ली में एसोचैम के वार्षिक सम्मेलन और 105वीं वार्षिक आम बैठक में यह बात कही। उन्होंने कहा कि देश अब मुख्य रूप से उन देशों के साथ जुड़ रहा है जो भारत के प्रतिस्पर्धी नहीं हैं और यह सुनिश्चित कर रहा है कि व्यापारिक साझेदारियां संतुलित और पारस्परिक रूप से लाभकारी हों।
उन्होंने कहा कि यह रणनीतिक दृष्टिकोण भारत को अपने घरेलू उद्योगों की सुरक्षा करने, निर्यात को बढ़ावा देने और निवेश एवं प्रौद्योगिकी आधारित सहयोग के अवसर पैदा करने में सक्षम बनाता है, साथ ही ऐसे समझौतों से बचने में भी मदद करता है जो भारत की कीमत पर दूसरे पक्ष को अत्यधिक लाभ पहुंचा सकते हैं।
पीयूष गोयल ने बताया कि भारत का विदेशी मुद्रा भंडार लगभग 700 बिलियन अमेरिकी डॉलर के मजबूत स्तर पर बना हुआ है, जो भारतीय अर्थव्यवस्था की मजबूत बुनियाद को दर्शाता है। उन्होंने कहा कि हर दृष्टि से भारत के लोग, व्यवसाय और उद्योग मिलकर एक नई ऊर्जा, उत्साह और आत्मविश्वास का प्रतिनिधित्व करते हैं जो कई वर्ष पहले नहीं देखा गया था।
पीयूष गोयल ने कहा कि आज दुनिया भारत को एक महत्वपूर्ण व्यापारिक साझेदार और काम करने के लिए एक विश्वसनीय देश के रूप में पहचानती है। उन्होंने कहा कि वे दिन अब बीत चुके हैं जब भारत अपनी कमजोर स्थिति में व्यापार समझौतों पर बातचीत करता था और अब भारतीय पासपोर्ट को दुनिया भर में सम्मान और महत्व प्राप्त है। पीयूष गोयल ने बताया कि जहां एक ओर दुनिया चुनौतीपूर्ण वैश्विक दौर से गुजर रही है, वहीं दूसरी ओर भारत लगातार लचीलापन दिखा रहा है और सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था बना हुआ है। उन्होंने आईएमएफ के हाल के अनुमान का जिक्र किया, जिसमें भारत के विकास अनुमान को 6.4 प्रतिशत से बढ़ाकर 6.6 प्रतिशत कर दिया गया है। उन्होंने यह भी बताया कि सितंबर में खुदरा मुद्रास्फीति आठ वर्षों में सबसे कम 1.54 प्रतिशत रही।
पीयूष गोयल ने कहा कि वे दिन अब बीत चुके हैं जब भारत अपनी ताकत को पहचाने बिना असंतुलित मुक्त व्यापार समझौते करता था। उन्होंने कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था वर्तमान और भविष्य की चुनौतियों का सामना करने के लिए व्यवस्थित रूप से तैयार है, जो एक स्पष्ट विजन और राष्ट्र-प्रथम के दर्शन के प्रति दृढ़ प्रतिबद्धता द्वारा निर्देशित है। उन्होंने 15 अगस्त, 2022 को प्रधानमंत्री द्वारा व्यक्त किए गए पांच सिद्धांतों, यानी पंच प्रण का स्मरण किया, जिनके बारे में उन्होंने कहा कि ये सिद्धांत 2047 तक भारत को एक विकसित राष्ट्र बनाने की दिशा में मार्ग प्रशस्त करते हैं।
पीयूष गोयल ने विस्तार से बताया कि मॉरीशस, ऑस्ट्रेलिया, संयुक्त अरब अमीरात और यूरोपीय मुक्त व्यापार संघ (ईएफटीए) देशों के साथ हस्ताक्षरित मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) दुनिया के साथ भारत के व्यापारिक जुड़ाव में एक नया अध्याय जोड़ते हैं। उन्होंने कहा कि ये समझौते भारत की आर्थिक प्राथमिकताओं और विकास के दीर्घकालिक उद्देश्यों को सर्वोपरि रखते हुए एक रणनीतिक और संतुलित दृष्टिकोण के साथ तैयार किए गए हैं। पीयूष गोयल ने कहा कि कई अन्य व्यापार भागीदारों से भिन्न, ये देश प्रमुख विनिर्माण क्षेत्रों में भारत के साथ सीधे प्रतिस्पर्धा नहीं करते हैं, जिससे भारतीय उद्योगों को अनुचित प्रतिस्पर्धा के जोखिम का सामना किए बिना बेहतर बाजार पहुंच का लाभ मिलता है।
उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि हाल ही में हुए मुक्त व्यापार समझौतों (एफटीए) ने उच्च आय वाले बाज़ारों तक पहुंच बनाकर, निवेश को प्रोत्साहित करके और उन्नत तकनीकों को अपनाकर भारतीय निर्यातकों के लिए नए अवसर खोले हैं। उन्होंने कहा कि ये साझेदारियां औद्योगिक सहयोग को बढ़ावा देने, आपूर्ति श्रृंखला की मजबूती को बढ़ाने और भारत को एक वैश्विक विनिर्माण केंद्र बनाने के सरकार के दृष्टिकोण का समर्थन करने के लिए डिजाइन की गई हैं। पीयूष गोयल ने बताया कि इन समझौतों में नवाचार, अनुसंधान और कौशल विकास में सहयोग के लिए भी मजबूत प्रावधान हैं, जिससे यह सुनिश्चित होता है कि भारतीय व्यवसाय तेजी से विकसित हो रहे वैश्विक परिदृश्य में प्रतिस्पर्धी बने रहें।
पीयूष गोयल ने यह भी कहा कि सरकार ने इन मुक्त व्यापार समझौतों में, विशेष रूप से संवेदनशील क्षेत्रों में, भारत के हितों की पूरी तरह से बचाव भी सुनिश्चित किया है। उन्होंने कहा कि इन व्यापक और दूरदर्शी व्यापार समझौतों के माध्यम से, भारत न केवल वैश्विक व्यापार में अपनी स्थिति मजबूत कर रहा है, बल्कि अधिक न्यायसंगत और सतत आर्थिक विकास का मार्ग भी प्रशस्त कर रहा है।
उन्होंने कहा कि सरकार ने कारोबारी सुगमता के उपायों, कानूनों के गैर-अपराधीकरण और प्रक्रियाओं एवं अनुपालन के सरलीकरण के माध्यम से भारत को व्यापार के लिए एक आकर्षक गंतव्य बनाने के लिए काम किया है। पीयूष गोयल ने कहा कि भारत अपने सतत विकास लक्ष्यों को लेकर पूरी तरह प्रतिबद्ध है और उसने पहले ही 250 गीगावाट अक्षय ऊर्जा क्षमता हासिल कर ली है, जो देश के ट्रांसमिशन ग्रिड का 50 प्रतिशत है। उन्होंने कहा कि 2030 तक, भारत 500 गीगावाट स्वच्छ ऊर्जा क्षमता हासिल कर लेगा, जिससे यह डेटा केंद्रों और स्वच्छ ऊर्जा निवेश के लिए सर्वोत्तम गंतव्यों में से एक बन जाएगा।
पीयूष गोयल ने इस बात पर जोर दिया कि भारत सेवा क्षेत्र को अपनी मुख्य शक्ति मानता है। उन्होंने विश्वास व्यक्त करते हुए कहा कि अगले दो वर्षों में, देश का सेवा क्षेत्र का निर्यात वस्तु निर्यात से आगे निकल जाएगा। उन्होंने कहा कि भारत सेवा क्षेत्र में स्पष्ट रूप से अग्रणी है, जो न केवल रोजगार पैदा करता है और आर्थिक गतिविधियों को गति देता है, बल्कि विनिर्माण, रियल एस्टेट और वस्तुओं एवं सेवाओं की समग्र मांग को भी काफी प्रोत्साहन देता है। पीयूष गोयल ने बताया कि सरकार दोमट और एल्डो जैसे दुर्लभ मृदा तत्वों के निष्कर्षण हेतु अपशिष्ट की रिसाइकलिंग पर काम कर रहे स्टार्ट-अप के साथ सक्रिय रूप से जुड़ रही है। उन्होंने कहा कि भारत में दुर्लभ मृदा प्रसंस्करण सुविधाएं स्थापित करने के लिए स्टार्ट-अप के साथ भी चर्चा चल रही है, जो वर्तमान में एक खास क्षेत्र तक ही सीमित है। आत्मनिर्भरता और सशक्तता के महत्व पर प्रकाश डालते हुए, उन्होंने सभी हितधारकों से अपनी-अपनी आपूर्ति श्रृंखलाओं का नियमित रूप से आकलन और सुदृढ़ीकरण करने का आग्रह किया।
पीयूष गोयल ने दीर्घकालिक मजबूती और स्थायित्व सुनिश्चित करने के लिए आपूर्ति श्रृंखलाओं का आकलन और सुदृढ़ीकरण करने के महत्व पर विशेष बल दिया। उन्होंने कहा कि हाल के वैश्विक व्यवधानों ने देशों और उद्योगों के लिए सुरक्षित, विविध और आत्मनिर्भर आपूर्ति नेटवर्क बनाने की आवश्यकता को उजागर किया है। पीयूष गोयल ने कहा कि भारत को अपनी आपूर्ति श्रृंखलाओं यानी कच्चे माल की सोर्सिंग से लेकर उत्पादन और वितरण तक, प्रत्येक कड़ी का सावधानीपूर्वक मूल्यांकन करना चाहिए ताकि कुछ भौगोलिक क्षेत्रों पर निर्भरता कम हो सके और संभावित कमजोरियों से बचा जा सके।
उन्होंने बताया कि सरकार उद्योग जगत के हितधारकों को अपनी आपूर्ति श्रृंखलाओं का मानचित्रण करने और उन क्षेत्रों की पहचान करने के लिए सक्रिय रूप से प्रोत्साहित कर रही है, जहां घरेलू क्षमताओं को बढ़ाया जा सकता है। उन्होंने कहा कि सार्वजनिक और निजी क्षेत्रों के बीच बेहतर सहयोग के माध्यम से, भारत मजबूत मूल्य श्रृंखलाएं विकसित कर सकता है जो न केवल घरेलू मांग को पूरा करेंगी, बल्कि वैश्विक व्यापार इको-सिस्टम में विश्वसनीय भागीदार के रूप में भी काम करेंगी। उन्होंने कहा कि यह प्रयास सरकार के “आत्मनिर्भर भारत” के व्यापक विजन के अनुरूप है, जिसका उद्देश्य आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देते हुए भारत को वैश्विक मूल्य श्रृंखलाओं में और भी अधिक मजबूती से जोड़ना है।
पीयूष गोयल ने विभिन्न निर्यात संवर्धन बोर्डों (ईपीसी) और उद्योग संघों के साथ अपनी बातचीत के बारे में भी बताया, जहां उन्होंने नवाचार, स्थानीय विनिर्माण और कुशल रसद के माध्यम से आपूर्ति श्रृंखलाओं को मजबूत करने की आवश्यकता पर बार-बार जोर दिया है। उन्होंने कहा कि भारत का ध्यान अपनी व्यापार प्रणालियों में चपलता और अनुकूलनशीलता का निर्माण करने पर होना चाहिए ताकि उद्योग भविष्य की चुनौतियों और अवसरों का प्रभावी ढंग से सामना कर सकें।
उन्होंने कहा कि एमएसएमई क्षेत्र कई चुनौतियों का सामना कर रहा है और एसोचैम जैसे उद्योग संगठनों के सामूहिक प्रयास इन चुनौतियों का प्रभावी ढंग से समाधान करने में मदद कर सकते हैं। उन्होंने भारत भर में स्टार्टअप, एमएसएमई और उद्योगों के साथ जुड़ने में एसोचैम की भूमिका की सराहना करते हुए कहा कि यह संगठन नीतिगत संवाद, व्यापार सुगमता और अंतरराष्ट्रीय सहयोग में एक महत्वपूर्ण भागीदार रहा है। पीयूष गोयल ने कहा कि साझा संकल्प, टीम वर्क और प्रतिबद्धता के साथ, भारत चुनौतियों पर विजय प्राप्त कर सकता है तथा 2047 तक एक विकसित और आत्मनिर्भर राष्ट्र बनने की दिशा में तेजी से आगे बढ़ सकता है।




