insamachar

आज की ताजा खबर

Government issues Standard Operating Procedure for Prevention of Non-Consensual Intimate Imagery (NCII) Content
भारत

सरकार ने गैर-सहमति वाली अंतरंग इमेजरी (NCII) सामग्री की रोकथाम के लिए मानक संचालन प्रक्रिया जारी की

इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने ऑनलाइन प्लेटफार्मों पर गैर-सहमति अंतरंग इमेजरी (एनसीआईआई) सामग्री को हटाने और रोकथाम के लिए तंत्र को मजबूत करने हेतु एक मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) जारी की है।

मद्रास उच्च न्यायालय (रिट याचिका-सिविल संख्या 25017/2025, दिनांक 15.07.2025 का आदेश) के निर्देशों के अनुपालन का ध्यान रखते हुए विकसित की गई इस पहल का उद्देश्य इस तरह की आपत्तिजनक सामग्री को तुरंत हटाने के लिए स्पष्ट और पीड़ित-केंद्रित प्रक्रियाएं प्रदान करना और सूचना प्रौद्योगिकी (मध्यवर्ती दिशानिर्देश और डिजिटल मीडिया आचार संहिता) नियम, 2021 के नियम 3(2)(बी) के प्रभावी कार्यान्वयन को सुनिश्चित करना है।

उद्देश्य और दायरा

यह एसओपी पीड़ितों, मध्यस्थों और कानून प्रवर्तन एजेंसियों के लिए विस्तृत मार्गदर्शन प्रदान करता है, ताकि एनसीआईआई सामग्री- जिसमें बिना सहमति के साझा की गई अंतरंग या छेड़छाड़ की गई तस्वीरें शामिल हैं- के ऑनलाइन प्रसार के खिलाफ त्वरित और एकसमान कार्रवाई सुनिश्चित की जा सके। इसमें रिपोर्ट प्राप्त करने के 24 घंटों के भीतर सामग्री को हटाने की व्यवस्था निर्धारित की गई है।

मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपीकी मुख्य विशेषताएं

1. पीड़ितों के लिए रिपोर्टिंग के कई रास्ते

  • वन स्टॉप सेंटर (ओएससी): पीड़ित सहायता के लिए निकटतम ओएससी से संपर्क कर सकते हैं, जिसमें राष्ट्रीय साइबर अपराध रिपोर्टिंग पोर्टल (एनसीआरपी) के माध्यम से रिपोर्टिंग में सहायता, कानूनी सहायता और मनोवैज्ञानिक परामर्श शामिल है।
  • मध्यस्थ: पीड़ित इन-ऐप रिपोर्टिंग तंत्र, संबंधित मध्यस्थों के शिकायत अधिकारियों के माध्यम से सीधे सामग्री की रिपोर्ट कर सकते हैं।
  • राष्ट्रीय साइबर अपराध रिपोर्टिंग पोर्टल (एनसीआरपी): यह पोर्टल व्यक्तियों को ऑनलाइन या 1930 डायल करके घटनाओं की रिपोर्ट करने में सक्षम बनाता है।
  • कानून प्रवर्तन एजेंसियां ​​(एलईए): तत्काल कार्रवाई के लिए स्थानीय पुलिस स्टेशनों पर भी शिकायत दर्ज कराई जा सकती है।

2. मध्यस्थों के लिए अनिवार्य समयसीमा

  • सभी मध्यस्थों को शिकायत प्राप्त होने के 24 घंटे के भीतर चिह्नित सामग्री को हटाना या उस तक पहुंच को अक्षम करना आवश्यक है।
  • महत्वपूर्ण सोशल मीडिया मध्यस्थों (एसएसएमआई) को समान या मिलती-जुलती सामग्री को दोबारा सामने आने से रोकने के लिए हैश-मैचिंग और क्रॉलर प्रौद्योगिकियों का उपयोग जरुर करना चाहिए।
  • मध्यस्थों को की गई कार्रवाई की रिपोर्ट भी देनी होगी तथा गृह मंत्रालय – I4C (भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र, गृह मंत्रालय) के अंतर्गत ‘सहयोग’ जैसे सरकारी पोर्टलों के साथ समन्वय सुनिश्चित करना होगा।

3. अंतर-एजेंसी समन्वय

  • भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्रगृह मंत्रालय: यह एनसीआईआई शिकायतों के लिए केंद्रीय एग्रीगेटर के रूप में कार्य करता है और एक सुरक्षित एनसीआईआई हैश बैंक बनाए रखता है।
  • दूरसंचार विभाग (डीओटी): यह चिह्नित यूआरएल को ब्लॉक करने के लिए इंटरनेट सेवा प्रदाताओं के साथ समन्वय करता है।
  • इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालययह अनुपालन की निगरानी करता है और मध्यस्थों एवं अन्य सरकारी हितधारकों के साथ समन्वय करता है।

पीड़ितों को सशक्त बनाना और डिजिटल सुरक्षा को मजबूत करना

यह मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) व्यक्तियों, विशेषकर महिलाओं को, उनकी डिजिटल पहचान पर नियंत्रण वापस पाने और एक सुरक्षित ऑनलाइन वातावरण सुनिश्चित करने की दिशा में एक बड़ा कदम है। यह साइबरस्पेस में निजिता, गरिमा और सुरक्षा की रक्षा के लिए सरकार की प्रतिबद्धता को भी मजबूत करता है।

LEAVE A RESPONSE

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा. आवश्यक फ़ील्ड चिह्नित हैं *