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भारत के वस्त्र निर्यात में लचीलापन और विविधता दिखी; 111 देशों को निर्यात में वृद्धि दर्ज की गई

भारत के हस्तशिल्प निर्यात सहित वस्त्र एवं परिधान ने वैश्विक प्रतिकूलताओं और प्रमुख बाजारों में शुल्क संबंधी चुनौतियों के बावजूद वित्त वर्ष 2025-26 की पहली छमाही में उल्लेखनीय लचीलापन प्रदर्शित किया। भारत के वस्त्र, परिधान और बने बनाए वस्त्रों के वैश्विक निर्यात में अप्रैल-सितंबर 2025 के दौरान 2024 की इसी अवधि की तुलना में 0.1% की मामूली वृद्धि हुई।

भारत के लिए वृद्धि दर दर्ज करने वाले कुछ बड़े निर्यात बाज़ारों में संयुक्त अरब अमीरात (14.5%), ब्रिटेन (1.5%), जापान (19.0%), जर्मनी (2.9%), स्पेन (9.0%) और फ़्रांस (9.2%) शामिल थे। दूसरी ओर, उच्च वृद्धि दर दर्ज करने वाले कुछ अन्य बाज़ारों में मिस्र (27%), सऊदी अरब (12.5%), हांगकांग (69%) आदि शामिल थे।

इन 111 बाजारों ने अप्रैल-सितंबर 2025 के दौरान 8,489.08 मिलियन अमरीकी डॉलर का योगदान दिया, जबकि पिछले वर्ष यह 7,718.55 मिलियन अमरीकी डॉलर था – जो 10% की वृद्धि और 770.3 मिलियन अमरीकी डॉलर की वृद्धि को दर्शाता है।

इस वृद्धि को संचालित करने वाले प्रमुख क्षेत्र निम्नलिखित हैं:

  • सभी वस्त्रों में सिले सिलाए वस्त्रों (आरएमजी) – 3.42% वृद्धि
  • जूट – 5.56% वृद्धि

यह प्रदर्शन वैश्विक अनिश्चितताओं के समक्ष क्षेत्र की अनुकूलनशीलता और प्रतिस्पर्धात्मकता को उजागर करता है।

गैर-पारंपरिक बाजारों में भारत का निरंतर विस्तार “मेक इन इंडिया” और “आत्मनिर्भर भारत” पहल के अंतर्गत निर्यात विविधीकरण, मूल्य संवर्धन और वैश्विक बाजार एकीकरण पर केंद्रित सरकार की निति को मजबूत करता है।

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