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President Draupadi Murmu read the Preamble of the Constitution in the Central Hall of the Constitution House on the occasion of Constitution Day.
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संविधान दिवस के उपलक्ष्य पर संविधान सदन के केंद्रीय कक्ष में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने पढ़ी संविधान की प्रस्तावना

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने नई दिल्ली स्थित संविधान सदन के सेंट्रल हॉल में संविधान दिवस समारोह में भाग लिया। इस अवसर पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने कहा कि वष 2015 में, बाबा साहेब डॉ. भीमराव अंबेडकर की 125वीं जयंती के अवसर पर 26 नवंबर को प्रतिवर्ष संविधान दिवस के रूप में मनाने का निर्णय लिया गया था। यह निर्णय वास्तव में सार्थक सिद्ध हुआ है। इस दिन पूरा देश भारतीय लोकतंत्र की नींव, हमारे संविधान और उसके निर्माताओं के प्रति अपने सम्मान की पुष्टि करता है। ‘हम, भारत के लोग’ व्यक्तिगत और सामूहिक रूप से अपने संविधान के प्रति आस्था व्यक्त करते हैं। अनेक आयोजनों के माध्यम से नागरिकों, विशेषकर युवाओं को संवैधानिक आदर्शों के प्रति जागरूक किया जाता है। संविधान दिवस मनाने की परंपरा को शुरू करने और जारी रखने की पहल शब्दों से परे प्रशंसनीय है।

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने कहा कि संसदीय प्रणाली को अपनाने के पक्ष में संविधान सभा में दिए गए सटीक तर्क आज भी प्रासंगिक हैं। विश्‍व के सबसे बड़े लोकतंत्र में जन आकांक्षाओं को अभिव्यक्त करने वाली भारतीय संसद आज विश्‍व भर के कई लोकतंत्रों के लिए एक उदाहरण है।

राष्ट्रपति ने कहा कि हमारे संविधान की आत्मा को व्यक्त करने वाले आदर्श हैं: सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक न्याय; स्वतंत्रता, समानता और बंधुत्व। उन्हें यह जानकर प्रसन्‍नता हुई कि इन सभी आयामों पर सांसदों ने संविधान निर्माताओं के दृष्टिकोण को साकार किया है। उन्होंने कहा कि हमारी संसदीय प्रणाली की सफलता के एक ठोस प्रमाण के रूप में आज भारत तेज़ी से विश्‍व की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की ओर अग्रसर है। भारत ने आर्थिक न्याय के पैमाने पर विश्‍व की सबसे बड़ी सफलताओं में से एक हासिल की है, जिससे लगभग 25 करोड़ लोग गरीबी से बाहर आ गए हैं।

राष्ट्रपति ने कहा कि हमारा संविधान हमारे राष्ट्रीय गौरव का दस्तावेज़ है। यह हमारी राष्ट्रीय पहचान का ग्रंथ है। यह औपनिवेशिक मानसिकता को त्यागकर राष्ट्रवादी सोच के साथ देश को आगे बढ़ाने का मार्गदर्शक ग्रंथ है। इसी भावना के साथ सामाजिक और तकनीकी विकास को ध्यान में रखते हुए आपराधिक न्याय प्रणाली से संबंधित महत्वपूर्ण कानून लागू किए गए हैं। दंड के बजाय न्याय की भावना पर आधारित भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय दंड संहिता लागू की गई है।

राष्ट्रपति ने कहा कि जन अभिव्यक्ति को प्रतिबिंबित करने वाली हमारी संसदीय प्रणाली विभिन्न आयामों में और अधिक सशक्त हुई है। वयस्क मताधिकार के प्रावधान के माध्यम से लोक विवेक में हमारे संविधान के प्रति विश्वास की सफलता की सराहना कई अन्य देशों में भी की जाती है। पिछले कुछ वर्षों में महिला मतदाताओं की बढ़ती संख्या ने हमारी लोकतांत्रिक चेतना को विशेष सामाजिक अभिव्यक्ति दी है। महिलाएं, युवा, गरीब, किसान, अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति, वंचित वर्ग के लोग, मध्यम वर्ग और नव-मध्यम वर्ग, पंचायत से संसद तक हमारी लोकतांत्रिक व्यवस्था को मजबूत कर रहे हैं।

राष्ट्रपति ने कहा कि संवैधानिक आदर्शों में निहित सर्वसमावेशी दृष्टिकोण हमारी शासन व्यवस्था को दिशा प्रदान करता है। हमारे संविधान में निहित राज्य के नीति निर्देशक सिद्धांत हमारी शासन व्यवस्था को मार्गदर्शन प्रदान करते हैं। संविधान सभा के अध्यक्ष डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने कहा कि हमें प्राप्त स्वतंत्रता की रक्षा और संरक्षण तथा उसे आम लोगों के लिए उपयोगी बनाना इस संविधान को लागू करने वालों पर निर्भर करता है। उन्हें यह जानकर प्रसन्नता हुई कि हमारी संसद ने डॉ. राजेंद्र प्रसाद की परिकल्पना के अनुरूप राष्ट्रहित में कार्य किया है और आम लोगों के जीवन को बेहतर बनाने के लिए निरंतर प्रयास किए हैं।

राष्ट्रपति ने कहा कि संवैधानिक व्यवस्था के अनुरूप आगे बढ़ते हुए हमारे देश की कार्यपालिका, विधायिका और न्यायपालिका ने देश के विकास को सुदृढ़ किया है और नागरिकों के जीवन को स्थिरता तथा संबल प्रदान किया है। संसद के दोनों सदनों के सदस्यों ने न केवल हमारे देश को आगे बढ़ाया है, बल्कि गहन राजनीतिक चिंतन की एक स्वस्थ परंपरा भी विकसित की है। आने वाले युगों में जब विभिन्न लोकतंत्रों और संविधानों का तुलनात्मक अध्ययन किया जाएगा, तो भारतीय लोकतंत्र और संविधान स्वर्ण अक्षरों में अंकित होंगे।

राष्ट्रपति ने कहा कि सांसद हमारे संविधान और लोकतंत्र की गौरवशाली परंपरा के वाहक, निर्माता और साक्षी हैं। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि हमारी संसद के मार्गदर्शन में देश को एक विकसित राष्ट्र बनाने का संकल्प अवश्य पूरा होगा।

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