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Union Health Ministry reiterates the need for strict adherence to regulatory protocols and fire safety norms in a meeting held with States-UTs and healthcare organisations
भारत

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों और स्वास्थ्य सेवा संगठनों के साथ आयोजित बैठक में नियामक प्रोटोकॉल और अग्नि सुरक्षा मानदंडों के कड़े अनुपालन की आवश्यकता को दोहराया

किसी भी स्वास्थ्य सेवा सुविधा में रोगियों (बाह्य और अंत: दोनों तरह के रोगियों), कर्मचारियों और आगंतुकों की सुरक्षा और भलाई बहुत महत्वपूर्ण है। अभी हाल ही में, कुछ स्थानों पर आग लगने की घटनाएं हुई हैं। ये घटनाएं उचित विद्युत रखरखाव की कमी और एयर-कंडीशनर एवं अन्य विद्युत उपकरणों के अधिक उपयोग के कारण विद्युत लाइनों के ओवरलोड होने के कारण हुए शॉर्ट-सर्किट का परिणाम हैं।

अस्पतालों में आग लगने के खतरों से जुड़े संभावित जोखिमों को देखते हुए यह आवश्‍यक हो गया है कि आग को रोकने, उसका पता लगाने और इससे प्रभावी ढंग से निपटने के लिए सख्त प्रोटोकॉल और उपाय किए जाने की जरूरत है। एक मजबूत अग्नि सुरक्षा योजना की स्थापना, अग्नि-निकासी और सुरक्षा ड्रिल आयोजित करने से न केवल नियामक आवश्यकताओं का अनुपालन होगा बल्कि जान-माल की सुरक्षा भी सुनिश्चित होगी।

इसलिए, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने कई बार सभी राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों को सूचित किया है कि गर्मी के महीनों के दौरान तापमान बढ़ जाता है और अस्पतालों में आग लगने की घटनाओं का खतरा हो जाता है। इसलिए राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों को संभावित संवेदनशील क्षेत्रों की पहचान करने के लिए नियमित रूप से अग्नि जोखिम निवारक आकलन ड्रिल आयोजित करने की सलाह दी गई है।

इस संबंध में अभी हाल में एक समीक्षा बैठक 29 मई 2024 को अपर सचिव (जन स्वास्थ्य और नीति) तथा स्वास्थ्य सेवा महानिदेशक की सह-अध्यक्षता में सभी राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के साथ आयोजित की गई थी। जिसमें उन्‍होंने दिल्ली में एक निजी स्वास्थ्य सुविधा में हुई दु:खद आग लगने की दुर्घटना की रिपोर्ट के बारे में प्रकाश डाला था।

इस बैठक में राज्य स्वास्थ्य विभागों के 15 प्रतिनिधियों और लगभग 390 स्वास्थ्य सेवा संगठनों ने भाग लिया। विचार-विमर्श के परिणाम निम्नलिखित हैं:

  1. सभी स्वास्थ्य सुविधाओं में अग्नि सुरक्षा मानदंडों के कड़े अनुपालन और कठोर आवधिक मूल्यांकन की आवश्यकता पर जोर दिया।
  2. राज्यों/केन्‍द्र शासित प्रदेशों और संस्थानों को पीडब्ल्यूडी और स्थानीय अग्निशमन विभागों के साथ बेहतर समन्वय सुनिश्चित करने की सलाह दी गई, ताकि अग्नि सुरक्षा एनओसी समय पर प्राप्त की जा सके।
  3. ‘अग्नि सुरक्षा की रोकथाम और रखरखाव’ पर एक जांच सूची राज्यों/केन्‍द्र शासित प्रदेशों के साथ साझा की गई थी और यह अनुरोध किया गया कि इसे सभी स्वास्थ्य सुविधाओं से भरवाया जाए और इस पर प्रतिक्रिया दी जाए।
  4. सभी राज्य/केंद्र शासित प्रदेश वृहद-स्तरीय आकलनों की फीडबैक प्राप्त करने के बाद नियामक प्रोटोकॉल का सख्त अनुपालन और अग्नि सुरक्षा पर नियमित मॉक-ड्रिल आयोजन सुनिश्चित कराएं।

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