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एआई और ब्लॉकचेन तकनीक अब वैकल्पिक नहीं रह गई हैं, बल्कि भविष्य के लिए एकमात्र व्यवहार्य विकल्प हैं – डॉ. जितेंद्र सिंह

केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने इस बात पर जोर दिया कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) और ब्लॉकचेन तकनीक अब वैकल्पिक नहीं रह गई हैं, बल्कि भविष्य के लिए एकमात्र व्यवहार्य विकल्प हैं। पीएचडी चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री में साइबर सुरक्षा, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और ब्लॉकचेन पर राष्ट्रीय सम्मेलन को संबोधित करते हुए डॉ. सिंह ने कहा, “चुनौती इन तकनीकों का मानव जाति के लाभ के लिए सर्वोत्तम उपयोग करने में है।”

केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), पृथ्वी विज्ञान राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), पीएमओ, परमाणु ऊर्जा विभाग और अंतरिक्ष विभाग, कार्मिक, लोक शिकायत और पेंशन राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने पिछले सात वर्षों से वार्षिक सम्मेलन के साथ अपने जुड़ाव को याद करते हुए, ऐसी संगोष्ठियों के महत्व पर प्रकाश डाला, जो वर्तमान समय में सरकार और समाज के सामने आने वाली चुनौतियों पर चर्चा करने के लिए एक मंच प्रदान करती हैं।

डॉ. सिंह ने स्वीकार किया कि साइबर सुरक्षा और अगली पीढ़ी की प्रौद्योगिकियों द्वारा उत्पन्न चुनौतियां वैश्विक चिंता का विषय हैं, और भारत भी इसका अपवाद नहीं है। उन्होंने पिछले दशक में प्रौद्योगिकी विकास की तीव्र गति का उल्लेख किया, जो प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नवाचार और तकनीकी उन्नति के दृष्टिकोण से प्रेरित है। उन्होंने यह भी कहा कि प्रौद्योगिकी एक दोधारी तलवार है, जिसमें दुर्भावनापूर्ण तत्व संभावित रूप से इनकी प्रगति का फायदा उठा सकते हैं।

कार्मिक, लोक शिकायत और पेंशन राज्य मंत्री ने नागरिकों के जीवन को बेहतर बनाने के लिए अपने मंत्रालय द्वारा की गई अग्रणी पहलों का भी उल्लेख किया। इसका एक उल्लेखनीय उदाहरण पेंशन विभाग है, जो डिजिटल जीवन प्रमाण पत्र जारी करने के लिए चेहरा पहचानने (फेस रिकग्निशन) तकनीक को अपनाने वाले पहले विभागों में से था। यह पहल पेंशनभोगियों को बैंकों या सरकारी कार्यालयों में भौतिक उपस्थिति के बिना घर पर ही अपने प्रमाण पत्र प्राप्त करने में सक्षम बनाती है।

डॉ. सिंह ने इस बात पर जोर दिया कि प्रौद्योगिकी द्वारा उत्पन्न चुनौतियों का समाधान प्रौद्योगिकी के माध्यम से ही किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि एआई को मनुष्यों का सहायक होना चाहिए, न कि वर्चस्व का साधन। प्रशासनिक सुधार और लोक शिकायत विभाग (डीएआरपीजी) से एक उदाहरण साझा करते हुए, डॉ. सिंह ने कहा कि एआई ने शिकायत समाधान को काफी हद तक बढ़ाया है, लेकिन मानवीय भावनात्मक बुद्धिमत्ता अभी भी महत्वपूर्ण है। लगभग 95 प्रतिशत शिकायत निपटारा दर हासिल करने के बावजूद, नागरिक कभी-कभी असंतुष्ट महसूस करते हैं, जिससे इन चिंताओं को दूर करने के लिए दिसंबर 2023 में एक मानव डेस्क की स्थापना की गई।

डॉ. सिंह ने इस बात पर भी प्रकाश डाला कि कैसे सीपीजीआरएएमएस पोर्टल के माध्यम से शिकायतों का बेहतर विश्लेषण और समाधान करने के लिए एआई का उपयोग किया गया है, जो अन्य देशों के लिए एक मॉडल के रूप में कार्य करता है। केंद्रीय मंत्री ने यह भी रेखांकित किया कि वर्तमान सरकार प्रौद्योगिकी की भविष्य की चुनौतियों का समाधान करने के लिए गैर-सरकारी संगठनों और क्षेत्रों के साथ सहयोग करने के लिए तैयार है। उन्होंने हाल ही में स्वीकृत बायो ई3 नीति का उल्लेख किया, जो भारत को वैश्विक आर्थिक बदलावों के साथ तालमेल करने और वैश्विक मंच पर महत्वपूर्ण योगदान देने में सक्षम बनाती है। डॉ. सिंह ने अनुसंधान एनआरएफ पर भी प्रकाश डाला, जिसने सरकारी धन पर देश की निर्भरता को कम किया है। एनआरएफ के माध्यम से, लगभग 60-70 प्रतिशत धन निजी स्रोतों से आएगा।

डॉ. सिंह ने पिछले दशक में स्टार्टअप्स के विकास पर भी प्रकाश डालते हुए कहा कि भारत में स्टार्टअप्स की संख्या में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है, जो मात्र 350 से बढ़कर लगभग 1,900 हो गई है। उन्होंने तालमेल और सहयोग की आवश्यकता पर जोर देते हुए सभी हितधारकों को असामाजिक तत्वों और निहित स्वार्थों से निपटने के लिए मिलकर काम करने का आग्रह किया, जिसका अंतिम लक्ष्य 2047 तक भारत को ‘विकसित भारत’ बनाना है। उन्होंने इस लक्ष्य को प्राप्त करने में पीएचडी चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री जैसे मंचों की महत्वपूर्ण भूमिका की सराहना की है।

इस सम्मेलन में प्रौद्योगिकी विकास बोर्ड, डीएसटी के सचिव राजेश कुमार पाठक, उत्तर प्रदेश पुलिस के अपर महानिदेशक, आईपीएस अशोक मुथा जैन, साइबर अपराध और साइबर कानून पर शोध केंद्र के अध्यक्ष अनुज अग्रवाल, पीएचडीसीसीआई से डॉ. रंजीत मेहता, सीईओ और महासचिव, और एमएसएमई समिति के अध्यक्ष विनोद करवा भी मौजूद थे। डिजिटल सुरक्षा पर टास्क फोर्स की अध्यक्ष डॉ. नेहा बर्लिया भी ऑनलाइन सत्र में शामिल हुईं।

यह सम्मेलन प्रौद्योगिकी के भविष्य, साइबर सुरक्षा और भारत के भविष्य को आकार देने में एआई और ब्लॉकचेन की भूमिका पर चर्चा के लिए एक महत्वपूर्ण मंच के रूप में कार्य करता है। डॉ. सिंह और अन्य विशेषज्ञों द्वारा साझा की गई अंतर्दृष्टि निरंतर सहयोग और नवाचार के लिए मंच तैयार करती है, जो आने वाले वर्षों में भारत की प्रगति के लिए अहम साबित होगी।

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