गुणवत्तापूर्ण अनुसंधान उन्मुख उच्च शिक्षा के प्रति प्रधानमंत्री की प्रतिबद्धता को दोहराते हुए, अनुसंधान राष्ट्रीय अनुसंधान फाउंडेशन (एएनआरएफ) ने त्वरित नवाचार और अनुसंधान के लिए साझेदारी (पीएआईआर) कार्यक्रम का शुभारंभ करने की घोषणा की।
अनुसंधान राष्ट्रीय अनुसंधान फाउंडेशन का संचालन 10 सितंबर, 2024 को गवर्निंग बोर्ड (जीबी) की पहली बैठक के साथ शुरू किया गया था। इसकी अध्यक्षता प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने गवर्निंग बोर्ड (जीबी) के अध्यक्ष के रूप में की थी।
यह देश के अनुसंधान एवं विकास पारिस्थितिकी तंत्र के लिए एक नई शुरुआत का संकेत है। पीएआईआर कार्यक्रम भारतीय विश्वविद्यालयों में बड़ा परिवर्तन लाएगा।
अनुसंधान राष्ट्रीय अनुसंधान फाउंडेशन की गवर्निंग बोर्ड की बैठक में हब और स्पोक मॉडल में एक कार्यक्रम शुरू करने का निर्णय लिया गया था। इसमें उन विश्वविद्यालयों को जोड़ा जाएगा जहां अनुसंधान प्रारंभिक अवस्था में है। उन्हें शीर्ष स्तरीय स्थापित संस्थानों के साथ मेंटरशिप मोड में जोड़ा जाएगा।
राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 द्वारा निर्धारित उद्देश्यों के साथ संरेखित पीएआईआर पहल को शीर्ष स्तरीय संस्थानों के साथ सहयोग को बढ़ावा दिया जाएगा। यह भारतीय विश्वविद्यालयों, विशेष रूप से सीमित शोध क्षमताओं वाले केंद्रीय और राज्य सार्वजनिक विश्वविद्यालयों में अनुसंधान उत्कृष्टता को बढ़ावा देने के लिए डिज़ाइन किया गया है।
यह संस्थानों में व्यवस्थित अनुसंधान विकास को सुविधाजनक बनाने के लिए एक मेंटरशिप-संचालित हब और स्पोक ढांचे के माध्यम से किया जाएगा। ये हब उभरते संस्थानों (स्पोक) को अनुसंधान गतिविधियों में मार्गदर्शन करेंगे, उनके संसाधनों और विशेषज्ञता का दोहन करने के लिए पहुँच प्रदान करेंगे, इस प्रकार संस्थानों के बीच की खाई को पाटेंगे और भारत में एक मजबूत अनुसंधान पारिस्थितिकी तंत्र का पोषण करेंगे।
भारत सरकार के सचिव, विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग तथा अनुसंधान राष्ट्रीय अनुसंधान फाउंडेशन के सीईओ प्रोफेसर अभय करंदीकर ने इस बात पर जोर दिया कि “पीएआईआर कार्यक्रम उन विश्वविद्यालयों में परिवर्तनकारी अनुसंधान के लिए उत्प्रेरक के रूप में कार्य करता है। ये सुस्थापित संस्थान समग्र अनुसंधान मानकों को बढ़ाने के लिए आवश्यक मार्गदर्शन प्रदान करते हैं। उन्होंने कहा कि अपने पहले चरण में अनुसंधान राष्ट्रीय अनुसंधान फाउंडेशन कुछ चुनिंदा विश्वविद्यालयों और संस्थानों को लक्षित करेगा। बाद में इसका दायरा बढ़ाया जाएगा। इसका उद्देश्य हमारे विश्वविद्यालयों में अनुसंधान पारिस्थितिकी तंत्र में सुधार करना है।”
प्रथम चरण में, हब संस्थानों में शीर्ष 25 राष्ट्रीय संस्थागत रैंकिंग फ़्रेमवर्क (एनआईआरएफ) समग्र रैंकिंग वाले संस्थानों के साथ-साथ शीर्ष 50 एनआईआरएफ समग्र रैंकिंग वाले राष्ट्रीय महत्व के संस्थान भी शामिल होंगे।
स्पोक संस्थानों में केंद्रीय और राज्य सार्वजनिक विश्वविद्यालय तथा चुनिंदा एनआईटी और आईआईआईटी शामिल होंगे। बाद के चरणों में अन्य विश्वविद्यालयों और संस्थानों को शामिल करने के लिए पात्रता शर्तों का विस्तार किया जाएगा।
प्रत्येक त्वरित नवाचार और अनुसंधान के लिए साझेदारी नेटवर्क में एक हब और अधिकतम सात स्पोक संस्थान शामिल होंगे। प्रत्येक हब संस्थान से केवल एक प्रस्ताव की अनुमति होगी, जिसमें स्पोक संस्थानों से बहु-विभागीय संकायों की अनिवार्य भागीदारी होगी। प्रतिभागियों के बीच क्षेत्रीय विविधता भी सुनिश्चित की जाएगी।
यह कार्यक्रम उच्च रैंकिंग वाले संस्थानों से मार्गदर्शन प्राप्त करके उभरते संस्थानों में नवाचार को प्रोत्साहित करने, महत्वपूर्ण परिणामों के साथ प्रभावशाली, अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रतिस्पर्धी अनुसंधान को बढ़ावा देने और सहयोगी नेटवर्क स्थापित करने, उन्नत बुनियादी ढांचे और सर्वोत्तम कार्य प्रणाली के माध्यम से अनुसंधान की गुणवत्ता बढ़ाने में मदद करेगा।