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थल सेना ने भारत के ओलंपिक मिशन 2036 को बढ़ावा देने के लिए आर्मी स्पोर्ट्स कॉन्क्लेव 2025 की मेजबान की

थल सेना ने आज नई दिल्ली स्थित मानेकशॉ सेंटर में आर्मी स्पोर्ट्स कॉन्क्लेव 2025 का आयोजन किया। भारत की खेल यात्रा के एक निर्णायक मोड़ पर आयोजित इस कार्यक्रम ने चैंपियन खिलाड़ियों को तैयार करने और ओलंपिक मिशन 2036 के राष्ट्र के विजन में योगदान देने के लिए थल सेना की प्रतिबद्धता को दोहराया।

एकीकृत प्रशिक्षण महानिदेशक, लेफ्टिनेंट जनरल अजय रामदेव ने स्वागत भाषण देते हुए विचार-विमर्श की दिशा निर्धारित की। उन्होंने आर्मी स्पोर्ट्स कॉन्क्लेव 2025 को एक ऐसे मंच के रूप में रेखांकित किया, जहां भारत की खेल महत्वाकांक्षाओं को आगे बढ़ाने में “उद्देश्य और जुनून का संगम” होता है। उन्होंने मिशन ओलंपिक विंग और पैरा-एथलीटों की सराहना करते हुए प्रशिक्षण के वैज्ञानिक, आंकड़ा आधारित और मानसिक रूप से परिपुष्ट दृष्टिकोण की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने देश के वैश्विक खेल स्तर को ऊंचा उठाने के लिए भारत के ओलंपिक मिशन 2036 के प्रति सामूहिक संकल्प का आह्वान किया।

इस कार्यक्रम में खेल सचिव हरि रंजन राव ने मुख्य भाषण दिया। उन्होंने विश्व स्तरीय एथलीटों को तैयार करने और राष्ट्रीय गौरव के प्रतीक पैरा और एडवेंचर स्पोर्ट्स को बढ़ावा देने में थल सेना की महत्वपूर्ण भूमिका की सराहना की। टारगेट ओलंपिक पोडियम योजना, खेलो इंडिया केंद्रों और खेल विज्ञान एकीकरण जैसी सरकारी पहलों पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने दीर्घकालिक योजना, समावेशिता और वैज्ञानिक उत्कृष्टता के जरिये 2036 के लिए भारत की ओलंपिक आकांक्षाओं को साकार करने के लिए सभी हितधारकों के बीच तालमेल पर ज़ोर दिया।

उप-सेना प्रमुख (सूचना प्रणाली एवं प्रशिक्षण) लेफ्टिनेंट जनरल राकेश कपूर ने अपने संबोधन में थल सेना और खेलों के बीच अटूट संबंध पर प्रकाश डाला, जो फिटनेस, अनुशासन और टीम वर्क पर आधारित है। उन्होंने थल सेना की प्रमुख खेल पहलों और उत्कृष्टता को बनाए रखने के लिए वैज्ञानिक, आँकड़ों पर आधारित प्रशिक्षण पर ध्यान केंद्रित करने का उल्लेख किया। थल सेना, भारतीय खेल प्राधिकरण, निजी क्षेत्र और अकादमिक संस्थानों के बीच तालमेल का आग्रह करते हुए उन्होंने भारत के ओलंपिक मिशन 2036 के लिए सामूहिक संकल्प का आह्वान किया।

यह कॉन्क्लेव दो मुख्य थीम्ज़, ‘संस्थागत तालमेल’ और ‘एथलीट 360’ पर आधारित था, जिसमें हितधारकों के बीच समन्वित सहयोग और समग्र एथलीट विकास पर ज़ोर दिया गया। दोनों सत्रों में ओलंपिक में निरंतर सफलता प्राप्त करने के लिए राष्ट्रीय खेल नीतियों, संस्थागत ढांचों और तकनीकी नवाचार को एक साथ लाने पर विचार-विमर्श किया गया।

एक विशेष ‘फायर साइड चैट’ ने भारत के ओलंपिक लक्ष्यों के रोडमैप पर एक इंटरऐक्टिव संवाद के लिए वरिष्ठ अधिकारियों, अनुभवी एथलीटों और खेल प्रशासकों को एक साथ लाया। चर्चाओं में उच्च प्रदर्शन के लिए अनुकूल एक इको-सिस्टम को बढ़ावा देने में सशस्त्र बलों, नागरिक खेल प्राधिकरणों और निजी क्षेत्र के भागीदारों के एकीकृत प्रयासों के महत्व को रेखांकित किया गया।

कॉन्क्लेव के एक भाग के रूप में बाद में तीन प्रतिष्ठित एथलीटों को भारतीय खेलों में उनके असाधारण योगदान के लिए सेना प्रमुख जनरल उपेन्द्र द्विवेदी द्वारा आर्मी स्पोर्ट्स लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्कार से सम्मानित किया गया।

  • कर्नल बलबीर सिंह कुल्लर (सेवानिवृत्त) , ओलंपिक कांस्य पदक विजेता, हॉकी (1968)
  • मुरलीकांत पेटकर, पैरालंपिक स्वर्ण पदक विजेता (1972)
  • ऑनरेरी कैप्टन विजय कुमार शर्मा, ओलंपिक रजत पदक विजेता, निशानेबाजी (2012)

साउथ ब्लॉक में आयोजित इस सम्मान समारोह ने इन साहसी, समर्पित और उत्कृष्ट खिलाडियों का अभिनंदन किया, जिनकी यात्राएं थल सेना के आदर्श वाक्य “सेवा परमो धर्म:” की भावना का सजीव उदाहरण हैं।

इस कन्कलेव ने हाल ही में तैयार किए गए सेना रोडमैप 2032, राष्ट्रीय खेल विकास विधेयक और खेल नीति 2025 के साथ थल सेना के समन्वय को भी रेखांकित किया गया। ये सभी पहलें मिलकर भारत के खेल परिदृश्य में परिवर्तनकारी प्रगति का मार्ग प्रशस्त करती हैं।

आर्मी स्पोर्ट्स कॉन्क्लेव 2025 का समापन साझेदारी बनाने, एथलीट-केंद्रित प्रणालियों में निवेश करने और 2036 तक वैश्विक खेल महाशक्ति बनने की भारत की आकांक्षा को साकार करने के लिए एक सामूहिक कार्रवाई के आह्वान के साथ हुआ।

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